अरुंधति राय का आखिर वह बयान क्या था, जिस पर देश में हंगामा बरपा हुआ है?


अरुंधति राय ने बुधवार यानी कल दिल्ली यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एनपीआर यानी नेशनल पिपुल रजिस्टर और एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर फोन सिटीजनशिप का तीखा विरोध किया. इसका विरोध जताने के दौरान ही उन्होंने इन दोनों शब्दों का प्रयोग किया. अरुंधति राय ने कहा कि एनपीआर वाले लोग आएं तो हम लोग पांच नाम तय कर लेते हैं, जब ये नाम पूछें तो अपना नाम रंगा-बिल्ला बता दें या कुंग फू कुत्ता और घर का पता सात रेसकोर्स रोड.
ध्यान रहे सात रेसकोर्स रोड प्रधानमंत्री आवास का पुराना नाम या पता है जो अब सात लोक कल्याण मार्ग कहलाता है. लुटियन दिल्ली में रोड और नंबर से बंगलों को जाना जाता है. यानी पीएम हाउस का बंगला नंबर सात है, वह जिस रोड पर है, उसे पहले रेसकोर्स रोड कहते थे लेकिन मोदी सरकार ने इसका नाम बदल कर लोक कल्याण मार्ग कर दिया. इसके बावजूद बौद्धिक, राजनीतिक व पत्रकारीय वर्ग में यह सात रेसकोर्स नाम से ही चर्चित है. यानी अरुंधति का कहने का आशय था कि पीएम हाउस का पता दे दो.
दरअसल, अरुंधति राय ने ऐसा इसलिए कहा ताकि एनपीआर तैयार करने वालों को सही जानकारी नहीं मिले और वे लोगों का डेटा नहीं जुटा सकें. ध्यान रहे कि मोदी कैबिनेट की हाल की बैठक में एनपीआर को स्वीकृति दी गयी है.
अरुंधति ने मोदी सरकार की योजना का विरोध जताने के लिए जिस रंगा बिल्ला के नाम का प्रयोग किया वे खूंखार अपराधी थे, जिन्हें 1982 में 16 साल की गीता और 14 साल के संजय चोपड़ा के अपहरण-रेप केस में फांसी दी गयी थी.
अरुंधति के इस बयान पर भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने उन पर हमला किया है और गलत जानकारी देने के लिए लोगों को उकसाने के आधार पर उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए गिरफ्तार करने की मांग की है.