हेलमेट न पहनने पर मददगार महिला को रोक ट्रैफिक पुलिस ने काटा चालान, सांस लेने में है तकलीफ

समृद्ध डेस्क : आज पूरी दुनिया कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से जूझ रही है. महामारी का असर लोगों पर कुछ इस कदर नकारात्मक प्रभाव (Negative Impact) छोड़ चूका है कि जाने कितने लोग असहाय हो गए है. हालातों के चलते लोगों के हाथ जिन्हे चुके हैं. कितने लोग आर्थिक तंगी, भूख -प्यास आदि से अपनी जान गवां चुके है. वहीं कई लोग इस कदर असक्षम (Incapable) हो चुके है कि अपने बंद पड़े कार्यों को दोबारा से शुरू करने के लिए बहुत हिम्मत जुटाने की आश्यकता पड़ रही है. महामारी ने लोगों की इस कदर हताश और निराश कर दिया था कि लोग टूट गए.

मगर इस मुसीबत की घड़ी में भी कुछ ऐसे लोग थे जो मज़बूत इरादों के साथ ज़रूरतमंदों (Needy) की मदद के लिए बाहर आये. इनके बढ़ाये हुए एक हाथ से कई लोग को इस मुसीबत में उम्मीद की रौशनी नज़र आयी. एक तरफ कोरोना का कहर संभाले ने संभल रहा. वहीं मुख्यमंत्री (Chief Minister) हेमंत सोरेन ने यह कहकर राज्य पर कहर ढा दिया कि इस वक़्त राज्य सरकार का ख़ज़ाना खाली है. आगे के वित्तीय हालत ख़राब हो सकते है. साथ ही शायद यह भी स्थिति रहे कि राज्य के लोगो को कई महीनों तक तनख्वाह भी देने में असक्षम रहें.
वहीं इस कठिन परिस्थिति में योद्धाओं द्वारा की जा रही मदद से लोगों को राहत मिल रही है. ऐसे में ज्योति दास नामक महिला भी ज़रूरतमंदों को अपनी टिफिन सेवाओं के ज़रिये मदद करती है. मगर जहां राज्य सरकार लोगों की मदद करने में असक्षम है. वहीं जब कोई और किसी ज़रूरतमंद की मदद के लिए आगे आ रहा है तो उसे रोकना कहा तक सही है? बता दें कडरू की रहने वाली महिला ज्योति अपने टिफिन सेवाओं के ज़रिये लोगों की मदद करती है और लोगों तक खाना पहुँचाती हैं.
मगर क्या मदद करने वाले को रोकना सही है? बता दें महिला अपनी स्कूटी से 16 अप्रैल को रांची स्टेशन के समीप ओवरब्रिज के नीचे बैठे गरीबों को तक़रीबन 11 बजे भोजन करा कर लौट रही थी. वहीं लौटते वक़्त उन्हें ट्रैफिक पुलिस (Traffic Police) द्वारा हेलमेट न पहनने जाने पर रोका गया और वजह को बेबुनियाद (Baseless) बताते हुए उनका चालान काट दिया.
महिला ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस को उन्होंने इस बात की जानकारी दी कि वह गरीबों को भोजन करा कर लौट रही है. वह रोज़ यह कार्य करती है. जिससे ज़रूरतमंदों की मदद हो सकें. इससे लोगो के मन में आशा रहती है. उन्होंने पुलिस को यह भी बताया की उन्हें हेलमेट पहनने से सांस लेने में समस्या होती है. वह भी बहुत मुश्किल मास्क लगा पाती है. इसलिए वह हेलमेट नहीं पहन पायी. मगर इन वजहों को बेबुनियाद बताते हुए पुलिस ने उनका 1000 रूपए का चालान काट दिया.
हमारा उद्देश्य किसी को गलत साबित करना नहीं है. ट्रैफिक नियमों का पालन सबको करा चाहिए. लेकिन हमारा सवाल यह है कि क्या ज़रूरतमंदों की मदद करने वालों को एक मौका नहीं दिया जा सकता? अगर महिला ने अपनी समस्या साझा की है तो उन्हें उनकी बातों को प्रमाणित करने का एक अवसर देना व्यर्थ है? जहां इस मुसीबत की घड़ी में लोग केवल अपने बारे में सोच रहें हैं वहां सहायता करने वाली महिला को सफाई देने पूरा अधिकार है. केवल बातों को सुनकर उन्हें झुठला देना यह सही है?
जहां लोग सहायता करने के लिए जल्दी आगे नहीं आते. वहां राज्य सरकार मददगारों को क्या एक अवसर प्रदान नहीं कर सकती? ऐसे मरीजों को ध्यान में रखते हुए हम सरकार को यह बताना चाहते है कि कुछ ऐसे भी लोग है जिन्हें साँस लेने जैसे समस्या आदि की परेशानी है. ऐसे लोगों के भी मद्देनज़र सरकार ध्यान दें