भारतीय रेल नेट जीरो लक्ष्य की ओर किस तरह आगे बढ रही है?

भारतीय रेल नेट जीरो लक्ष्य की ओर किस तरह आगे बढ रही है?

31 अगस्त 2022 तक भारतीय रेलवे ने 245.38 मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता इंस्टॉल कर लिया। इसमें सौर ऊर्जा का हिस्सा 141.98 मेगावाट और पवन ऊर्जा का हिस्सा 103.4 मेगावाट है।

रांची : भारत में परिवहन से होने वाले उत्सर्जन को कम करने के लिए यह जरूरी है कि भारतीय रेल नेट जीरो लक्ष्यों की ओर बढे और उसे प्रभावी ढंग से हासिल करे। भारत के पास 67, 956 किलोमीटर लंबा रेल नेटवर्क है, जो लोगों के आवागमन व माल वहन दोनों के लिए उपयोग होता है। नेशनल ट्रांसपोर्ट डेवलपमेंट कमेटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में भारत में वर्ष 2005 की तुलना की में मालवहन दोगुणा होकर 2,250 बिलियन टन तक पहुंच गया। मालवहन में ट्रकों की हिस्सेदारी 65 प्रतिशत हैै।

 

भारतीय रेलवे की मालवहन क्षमता में कुछ थोक वस्तुओं के परिवहन की अहम हिस्सेदारी है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कोयला परिवहन है, जिसकी कुल हिस्सेदारी 45 प्रतिशत है।

कोल फेज आउट के दौर में रेलवे की चुनौतियां

भारतीय रेल भारत का एक प्रमुख पब्लिक सेक्टर यूनिट है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सस्टेनेबल डेवपलमेंट के हाल के एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत के नेट जीरो लक्ष्य में भारतीय रेलवे महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है। यह दो स्तरों पर होगा – पहला 1. खुद रेलवे अपने परिचालन के लिए किस हद तक ग्रीन एनर्जी टेक्नोलॉजी स्थापित करता है। 2. रेलवे कोयला ढुलाई आधारित अपने प्रमुख राजस्व स्रोत का विकल्प कैसे ढूंढता है वर्ष 2020 के आंकड़े के अनुसार कोयला ढुलाई का हिस्सा उसके सकल राजस्व में 34 प्रतिशत है। वर्तमान में माल ढुलाई का योगदान उसके सकल राजस्व में 12 प्रतिशत है। नेट जीरो के लक्ष्य के लिए वह रोड से रेलवे पर माल ढुलाई को किस मात्रा में स्थानांतरित कर पाता है, यह पक्ष भी महत्वपूर्ण है। भारतीय रेल के रोड ट्रांसपोर्ट की तुलना में माल ढुलाई 12 गुणा तक सस्ती पड़ती है, जबकि पैसेंजर का आवागमन तीन गुणा तक सस्ता होता है। इससे कार्बन इमीशन भी कम होता है।

इंटरनेशन एनर्जी एजेंसी ने अनुमान व्यक्त किया है कि अगले दशक के मध्य तक भारत में कोयले की खपत घटने लगेगी और इसका सीधा असर भारतीय रेलवे के राजस्व पर पड़ेगा। यानी कोल फेज आउट के दौर के लिए रेलवे को अपने राजस्व की वैकल्पिक तैयारी करनी होगी।

रेलवे की स्वच्छ ऊर्जा में सौर व पवन का योगदान

इस संवाददाता द्वारा स्वच्छ उर्जा उत्पादन लक्ष्य हासिल करने में रेलवे की स्थिति जानने के लिए सूचना का अधिकार आवेदन दायर किया। इसके जवाब में भारतीय रेलवे ने 29 सितंबर 2022 को दिए जवाब में कहा, 31 अगस्त 2022 तक भारतीय रेलवे ने 245.38 मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता इंस्टॉल कर लिया। इसमें सौर उर्जा का हिस्सा 141.98 मेगावाट और पवन उर्जा का हिस्सा 103.4 मेगावाट है।

इस सवाल के जवाब में कि रेलवे कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए क्या उपाय कर रहा है, भारतीय रेल ने बताया – 2030 तक नेट जीरो लक्ष्य के लिए रेलवे के विद्युतीकरण का मिशन संचालित किया जा रहा है। लोकोमेटिवस, इीएमयू व मेमू के लिए में रिजेनरेटिव ब्रेकिंग के लिए थ्री फेज टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जा रहा है। हेड जेनरेशन टेक्नोलॉजी कोअपनाया जा रहा है, नवीनीकृत ऊर्जा स्रोत को स्थापित किया जा रहा है, एलइडी लाइट के लिए प्रावधान किए जा रहे हैं, वनीकरण के माध्यम से अतिरिक्त कार्बन सिंक तैयार किया जा रहा है।

यहां यह उल्लेखनीय है कि भारतीय रेल ने नेट जीरो लक्ष्यों के अनुरूप दिसंबर 2023 तक 100 प्रतिशत ब्राडगेज रेल लाइन का विद्युतीकरण करने का लक्ष्य रखा है।

रेलवे ने अपने आरटीआइ जवाब में बताया, वित्त वर्ष 2021-22 में लैंड बेस्ड सोलर प्रोजेक्ट के जरिए कुल 8.57 मिलियन यूनिट बिजली तैयार की गयी।

भारतीय रेलवे सोलर एनर्जी पर अपनी निर्भरता बढाने के लिए कई तरह के उपाय कर रहा है। इसके तहत वह रूफटॉप सोलर, लैंड बेस्ड सोलर प्रोजेक्ट, विंड पॉवर प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है। उसने 3456.7 मेगावाट क्षमता का लैंड बेस्ड सोलर प्रोजेक्ट पर काम हो रहा है। भारतीय रेलवे के पास 20 गीगावाट सोलर विद्युत उत्पादन की क्षमता है।

Edited By: Samridh Jharkhand

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