पीबीकेएमएस की मनरेगा मजदूरी बकाया संबंधी याचिका को सुनवाई के लिए कलकत्ता हाइकोर्ट ने किया स्वीकार

पीबीकेएमएस की मनरेगा मजदूरी बकाया संबंधी याचिका को सुनवाई के लिए कलकत्ता हाइकोर्ट ने किया स्वीकार

कोलकाता : पश्चिम बंगा खेत मजदूर समिति (पीबीकेएमएस-PBKMS) के द्वारा मनरेगा मजदूरों की लंबित मजदूरी के मामले में दाखिल याचिका को सुनवाई के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्वीकार कर लिया। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पीबीकेएमएस की याचिका पर सभी संबंधित पक्ष को अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराने का निर्देश दिया है।

पीबीकेएमएस ने 15 नवंबर 2022 को भारत संघ और पश्चिम बंगाल राज्य के खिलाफ एक रिट 0000 दायर किया था। मुकदमे में तर्क दिया गया था कि सरकार की कार्रवाई महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 0000 की धारा 3 और धारा 000 का उल्लंघन करती है। इन धाराओं में श्रमिकों को मजदूरी का समय पर भुगतान का एक सख्त आदेश है, जो अन्य बातों के साथ-साथ यह भी भरोसा प्रदान करती है कि दैनिक मजदूरी का वितरण साप्ताहिक आधार पर किया जाएगा और बाध्य रूप से, जिस तारीख को ऐसा काम किया गया था, उसके दो सप्ताह की अवधि के भीतर मजदूरी देना होगा।

पीबीकेएमएस ने अपने प्रेस बयान में कहा है कि हमारी याचिका में हमने आग्रह किया है कि नरेगा श्रमिकों ने योजना के तहत काम किया है, लेकिन उन्हें ग्यारह महीनों से अधिक समय से मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है। हमारे द्वारा बकाया मजदूरी के वितरण और विलंबित वेतन के लिए मुआवजे के भुगतान के संबंध में बार-बार मांग किए जाने के बावजूद, राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया है। इसके अलावा, हमने उल्लेख किया था कि श्रमिकों को कोई काम नहीं दिया जा रहा है, जिससे स्थिति और भी खराब हो गई है। विशेष रूप से महामारी के बाद की अवधि में। समिति ने कहा है कि हमने भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की भी मांग की है।

केंद्र सरकार पंचायत सदस्यों, प्रशासन और राजनीतिक नेताओं द्वारा धन के दुरुपयोग का हवाला दे रही है। पश्चिम बंगाल के लिए सभी फंडों को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने धारा 27 का उपयोग किया है और यहां तक कि 2022-23 के लिए कोई बजट भी स्वीकृत नहीं किया है। दूसरी ओर राज्य सरकार केंद्र सरकार की अनम्यता और राजनीतिक द्वेष पर दोष डालती रही है और सारी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश करती रही है। इस प्रक्रिया में सभी पीबीकेएमएस सदस्यों जैसे वास्तविक श्रमिकों को उनकी वाजिब कमाई से वंचित कर दिया गया है।

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Edited By: Samridh Jharkhand

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