प्राकृतिक संसाधन का अनुशासित दोहन ही पर्यावरण में संतुलन रखेगा : डाॅ रणजीत

साहिबगंज : शहर के जोहार सभागार में पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के बैनर तले पर्यावरण विनाश व जलवायु परिवर्तन और जेलों में बंद विचाराधीन कैदी के हालात और उनके निदान के लिए एक सेमिनार का आयोजन रविवार को किया गया। पर्यावरण विषय वस्तु पर मुख्य अतिथि व वक्ता राजमहल मॉडल कॉलेज के प्रचार्य डॉ. रणजीत कुमार सिंह ने विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया इन दिनों पर्यावरण में दूषित प्रदार्थों के कारण प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता जा रहा है। बायो प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, कल-कारखाने, खदान, नदी का दोहन, उत्खनन, बढ़ती जनसंख्या और मोटर गाड़ी से निकलते धुआं वायुमंडल में एक तरफ जीवन देने वाले ऑक्सीजन की मात्रा को कम कर रही हैं तो दूसरी ओर कार्बन डाइऑक्साइड व अन्य जहरीली गैस की मात्रा बढ़ा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि धन के लालच में धरोहर को नष्ट न करें। प्राकृतिक संसाधन पर सभी का सामान अधिकार है। सरकार और शासन को विशेष ध्यान देकर गरीब के हिस्सा के संसाधन को बचाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज पहाड़िया जनजाति की जनसंख्या लगातार घट रही है जो बहुत चिंतनीय है।
बंदियों तक संवैधानिक अधिकार पहुंचे : जनार्द्धन
वहीं विचाराधीन कैदी के हालात व निदान पर चर्चा करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता जनार्द्धन प्रसाद यादव ने कहा कि विचाराधीन बंदियों को उनके मिलने वाले संवैधानिक अधिकार उनतक पहुंचनी चाहिए, ताकि उन्हें लाभ मिल सके।
वहीं, युवा अधिवक्ता डॉ कुमार प्रभात ने विचाराधीन बंदियों के कानूनी पहलुओं विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि विचाराधीन कैदी एक अभियुक्त व्यक्ति होता है, जिसे अदालत में उनके मामले की सुनवाई के दौरान न्यायिक हिरासत में रखा जाता है। एनसीआरबी के रिपोर्ट के अनुसार देश के जेल मे बंद कैदियों में 76 प्रतिशत विचाराधीन हैं। जेल में बंद कुल 5,54034 कैदियों में 427165 कैदी विचाराधीन है । इनमें से 68 प्रतिशत निरक्षर या स्कूल छोड़ने वाले हैं। इनमें से 27 प्रतिशत बिल्कुल निरक्षर तथा 41 प्रतिशत दसवीं तक में स्कूल छोड़ने वाले हैं। दिल्ली एवं जम्मू कश्मीर में विचाराधीन कैदी 91 प्रतिशत, बिहार व पंजाब में 85 प्रतिशत, ओडिशा में 83 प्रतिशत विचाराधीन कैदी हैं। आर्टिकल 39ए निःशुल्क कानूनी सहायता एवं गांरटीयुक्त मौलिक अधिकार प्रदान करता है।
वरीय अधिवक्ता सीएन मिश्रा ने जेलों में बंद कैदियों पर विस्तार से चर्चा की और उन्हें न्याय मिले इसके लिए उन्होंने न्यायपालिका से अपील की। पीयूसीएल के प्रदेश महासचिव अरविंद अविनाश ने पीयूसीएल के कार्यकलापों को विस्तार से बताया। मिड-डे-मिल योजना, चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को अपनी संपत्ती और आपराधिक रिकॉर्ड घोषणा करना करने का नियम जो बनाया गया है वह पीयूसीएल के प्रयास हैं।
प्रदेश अध्यक्ष एससी भट्टाचार्य सहित अधिवक्ता अशोक झा ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। इसके पूर्व प्रथम सत्र में पीयूसीएल की राज्य कार्यसमिति की बैठक सम्पन्न हुई। इसमें सीएस भट्टाचार्य (जमशेदपुर), अरविंद अविनाश (राँची), संजय कुमार घोष (घाटशिला), जयंत पांडे, अशोक झा अधिवक्ता उच्च न्यायालय राँची तथा दशरथ महतो गुमला, निर्मला मुर्मू, पंकज कुजूर शामिल हुए। कार्यसमिति की बैठक में पर्यावरण और विचाराधीन कैदियों को लेकर कार्य योजना बनाई गई और प्रस्ताव पारित किया गया। मौके पर दुमका पीयूसीएल उपाध्यक्ष सुमंगल ओझा, रेखा प्रसाद, महासचिव अरबिंद वर्मा, नीरज दीक्षित, शिवकुमार गुप्ता, सुरेश दास, नितेश कुमार पाल, तापोश दास, रंजन कुमार सिन्हा, धर्मवीर मिश्रा, डॉ. सिकंदर कुमार भी उपस्थित थे। मंच संचालन फादर सुलेमन ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन पीयूसीएल के जिलाध्यक्ष मानवेल बेसरा ने किया।