33 अज्ञात शवों को दी सम्मानजनक विदाई, बैजनाथ सिंह बने मानवता की मिसाल
अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार से बड़ा दूसरा कोई कार्य नहीं: बैजनाथ सिंह
पलामू के मेदिनीनगर शहर स्थित हमीदगंज निवासी बैजनाथ सिंह द्वारा अभी तक 33 अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार कराया गया है. जिसका कोई नहीं है, वैसे अज्ञात लोगों का दाह संस्कार कराने से बैजनाथ सिंह को सुकून मिलता है.
पलामू: इस दुनिया में करोड़ों लोगों की आबादी में कई ऐसे लोग हैं जिनका इस भीड़ में कोई अपना नहीं है. लेकिन, कहते हैं न जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है. भगवान स्वयं तो नहीं पहुंचते हैं, लेकिन किसी न किसी को फरिश्ता बना कर जरूर भेजते हैं. इस दुनिया में रोजाना कई लोगों की मृत्यु होती है, जिनके शुभचिंतक होते हैं वे उनका रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करवाते हैं. वहीं जिसका कोई अपना नहीं होता है, उनका शव लावारिस की तरह पड़ा रहता है. लेकिन ऐसे में ईश्वर की प्रेरणा से कोई उनका हितैषी बनकर सामने आ ही जाता है. ऐसे ही हस्तियों में हैं बैजनाथ सिंह.
अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार से बड़ा दूसरा कोई कार्य नहीं: बैजनाथ सिंह

पहले शव की पहचान का प्रयास करते हैं फिर करते हैं अंतिम संस्कार
पलामू के मेदिनीनगर शहर स्थित हमीदगंज निवासी बैजनाथ सिंह द्वारा अभी तक 33 अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार कराया गया है. अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार करने से पहले शव की पहचान के प्रयास किये जाते हैं. इसके बाद कानूनी और अन्य प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उनके द्वारा शव का अंतिम संस्कार कराया जाता है. शव को अपने जिम्मे लेने के बाद शव के धर्म की जानकारी मिलती है तो वह उसी के अनुसार शव को जलाते या दफनाते है. एमएमसीएच परिसर में स्थापित अस्थायी पुलिस पिकेट प्रभारी कुमार नीरज के अनुसार अस्पताल में कई व्यक्ति पहुंचते हैं. जिनका कोई नहीं रहता है. वैसे व्यक्तियों की मौत हो जाती है. वैसे लोग की मौत के बाद पहचान के लिए 72 घंटे तक रखा जाता है. इसके बाद शव का दाह संस्कार करा दिया जाता है.
बैजनाथ सिंह बताते हैं कि मार्च 2023 में उनका छोटे पुत्र की तबीयत खराब हो गयी थी. जब इलाज के लिए डॉक्टर के पास जा रहे थे तो हॉस्पिटल चौक पर एक बुजुर्ग को कराहते देखा. उनके बीमार पुत्र ने कहा कि पापा वह बूढ़ा वैसे क्यों कर रहा है. उन्होंने अपने पुत्र के कहने पर बुजुर्ग के पास गये. फिर गीता भवन स्थित गोखुल कुंज मिष्ठान भंडार से दो रसगुल्ला व एक बोतल पानी लाकर उसे खिलाया-पिलाया. इसी बीच उसकी मौत हो गयी. उसकी मौत के बाद शहर थाना द्वारा पोस्टमार्टम कराया गया. तत्कालीन थाना प्रभारी द्वारा उसका दाह संस्कार के लिए कहा गया. इसके बाद उन्होंने पहली बार किसी अज्ञात व्यक्ति का दाह संस्कार कराया. वहीं से इस प्रकार के पुनीत कार्य को करने के लिए उन्होंने अपने मन में ठान लिया.
Mohit Sinha is a writer associated with Samridh Jharkhand. He regularly covers sports, crime, and social issues, with a focus on player statements, local incidents, and public interest stories. His writing reflects clarity, accuracy, and responsible journalism.
