NGT लागू होने के बावजूद, बालू माफियाओं के साठ-गांठ से लाखो टन बालू का हुआ भंडारण
बालू की कालाबाजारी , मालामाल हो रहे है माफिया और अधिकारी

चोरी की रेत से कम्पनी कर रहे है निर्माण कार्य ,करवाई के नाम पर महज खानापूर्ति
चतरा: बरसात से पहले बालू घाटों व नदियों से बालू उठाव पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। एनजीटी(NGT) के आदेश के बाद 10 जून से 15 अक्टूबर तक नदियों से बालू का उठाव नहीं किया जाना है। NGT ने अपने आदेश में कहा कि, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने बालू उत्खनन गाइडलाइन 2016 में खनन के लिए कुछ प्रावधान तय कर रखा है। जिसके मुताबिक बरसात के मौसम में नदी के इलाकों से बालू नहीं निकाला जा सकता।

दिलचस्प बात यह है कि चोरी के बालू को वैध बनाने के लिए बालू का चालान तथा कुछ चालान सहित बालू की खरीदारी कर अवैध भंडारण को खपाते रहते है। हालांकि स्थापित सभी कम्पनी तथा एनटीपीसी के कारनामों से स्थानीय प्रशासन पूरी तरह अवगत है। लेकिन कंपनियों का मैनेजमेंट अच्छा होने की वजह स्थानीय प्रशासन चोरी के बालू पर नजर तक नहीं रखती है । एनटीपीसी सहित कोल परियोजना क्षेत्र में कंपनियां पिछले दो वर्षों से लगातार चोरी का बालू अपने निर्माण कार्य मे लगा रहे है पर अब तक प्रशासन के द्वारा कोई उक्त कंपनियों के विरुद्ध ठोस करवाई नहीं की गई है । आम्रपाली कोल क्षेत्र में भवन निर्माण कार्य मे लगे एक कम्पनी के अधिकारी ने बताया कि लोकल बालू 20 रुपये सीएफटी ले रहे है और चालान सहित 43 रुपये सीएफटी । कम्पनी हजारों टन बालू स्टाक किये हुए है और बालू स्टाक हर दिन किया जा रहा है । अब देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में सम्बंधित अधिकारी क्या करवाई करते है ? या बालू चोरी का खेल टंडवा प्रखण्ड में जारी रहता है ।
वहीं टंडवा में स्थानीय प्रशासन ने 8 ट्रैक्टर एक साथ अवैध बालू लदा जप्त किया। टीवी चैनलों , सोसल मीडिया व अखबार के सुर्खियों में छाया रहा । प्रशासन की खूब सराहना की गई । होनी भी चाहिए पर ऐसा नहीं कि बड़ी मछली को छोड़ते रहे और छोटी मछली को पकड़ने की उपलब्धियां लेते रहे । अवैध बालू लदा पकड़े गए 8 ट्रैक्टर ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बड़े पैमाने पर अवैध बालू उठाव जारी है।