रूस-यूक्रेन संघर्ष का अंत नज़दीक? ट्रंप ने दिया चौंकाने वाला सुझाव
नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से चल रहे संघर्ष और मनमुटाव पर अब एक नई उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में सुझाव दिया है कि मज़बूत समझौते और बेहतर समाधान के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमिर ज़ेलेंस्की को बिना किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के आमने-सामने बैठकर खुलकर बात करनी चाहिए। ट्रंप का मानना है कि बैकडोर डिप्लोमेसी या दूसरे देशों की दखल से बेहतर है कि दोनों देश आपस में सीधा संवाद स्थापित करें।
क्यों जरूरी है पुतिन-ज़ेलेंस्की की सीधी मुलाकात?

ट्रंप का अनुभव और सुझाव
राष्ट्रपति ट्रंप खुद दोनों नेताओं से मिल चुके हैं। उन्होंने बताया कि पुतिन के साथ हुई उनकी मुलाकात बेहतरीन रही और ज़ेलेंस्की से भी अच्छी बातचीत हुई। ट्रंप का कहना है, “मुझे अब यह देखना है कि पुतिन और ज़ेलेंस्की बिना मेरी या किसी तीसरे पक्ष की मौजूदगी के यदि मिलते हैं, तो विषयों पर उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है और वे क्या निष्कर्ष निकालते हैं।” उनके अनुसार, सीधे संवाद से गलतफहमियां कम होंगी और शांति की प्रक्रिया में गति आ सकती है।
यूरोपीय नेताओं की राय
यूरोप के कई नेताओं ने भी ज़ेलेंस्की को सुझाव दिया है कि पुतिन से डाइरेक्ट मीटिंग की जाए। दरअसल, सालों से चल रहे इस युद्ध से यूरोप के बाकी देश भी प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए स्थायी समाधान की आशा आज भी बनी हुई है कि अगर दोनों देशों के प्रमुख खुलकर बैठें, तो रास्ता निकले।
पुतिन-ज़ेलेंस्की की अब तक की तैयारी
यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की ने भी मीडिया के जरिए बयान दिया था कि वह पुतिन से बैठक के लिए तैयार हैं, बशर्ते वार्ता ईमानदारी भरी हो और यूक्रेन की स्वतंत्रता व अखंडता से कोई समझौता न किया जाए। हालांकि रूस ने अब तक ऐसी सीधी मुलाकात पर आधिकारिक सहमति नहीं दी है।
रूस की शर्तें
रूस की ओर से कहा गया है कि सीज़फायर या अन्य किसी समझौते के लिए यूक्रेन को तीन शर्तें माननी होंगी:
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क्रीमिया और डोनबास समेत रूस द्वारा कब्ज़ा किए गए सभी इलाकों को रूस का हिस्सा मान लिया जाए।
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यूक्रेन अब किसी सैन्य गठबंधन में शामिल न हो।
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यूक्रेन के सांस्कृतिक, भाषाई और राजनीतिक अधिकारों को मान्यता दी जाए।
इन शर्तों के साथ रूस ने समाधान का रास्ता खुला छोड़ा है, लेकिन यूक्रेन ने अभी इनका समर्थन नहीं किया है। यही वजह है कि शांति वार्ता अनिश्चित बनी हुई है।
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