झारखंड के वरिष्ठ पत्रकार हरिनारायण सिंह का निधन, पत्रकारिता जगत में शोक की लहर
झारखंड की पत्रकारिता में अगर किसी एक नाम को मार्गदर्शक, संरक्षक और प्रेरणास्रोत के रूप में याद किया जाएगा तो वह नाम है हरिनारायण सिंह, जिन्हें सब प्यार से हरि भैया कहते थे।

हरि भैया ने पत्रकारिता की शुरुआत रांची से की और उसी धरती पर अपने जीवन की आख़िरी सांस ली। वे उस दौर में पत्रकारिता के ध्वजवाहक बने, जब इस पेशे में पत्रकारों को पहचान से ज्यादा ‘पैसे’ की जरूरत होने लगी थी। उन्होंने इस बदलती मानसिकता को गहराई से समझा और पत्रकारों की गरिमा एवं हक की लड़ाई को आगे बढ़ाया।
प्रभात खबर को अलविदा कहकर जब उन्होंने हिंदुस्तान का दामन थामा तो सिर्फ अपनी राह नहीं बदली, बल्कि दर्जनों पत्रकारों के लिए बेहतर अवसरों का द्वार खोल दिया। अच्छे पैकेज, बेहतर सम्मान और नई ऊर्जा-यह सब उनके निर्णय का ही प्रतिफल था। पत्रकारों के लिए यह किसी क्रांति से कम नहीं था।
उनके नेतृत्व में झारखंड में हिंदी पत्रकारिता को भी नई दिशा और पहचान मिली। प्रिंट मीडिया के हर कर्मी के वेतन में जो अचानक सुधार हुआ वह हरि भैया की देन है। हरि भैया की यह देन सिर्फ पत्रकारिता में ही नहीं, बल्कि कारोबार और राजनीति में भी दिखती है। उनके मार्गदर्शन में राजनीति के दर्जनों प्रशिक्षु नेताओं को मुकाम मिला और छोटे कारोबारी बड़े फलक पर काम करने लगे।
आज भले वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका काम, उनका व्यवहार और उनका संघर्ष, आने वाली पीढ़ियों को राह दिखाता रहेगा।
हरि भैया, झारखंड की पत्रकारिता आपको कभी नहीं भूलेगी।
आपको शत-शत नमन। विनम्र श्रद्धांजलि।
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