माइग्रेन से छुटकारा: सिरदर्द, रोशनी की चिढ़ और मतली में तुरंत राहत के 7 आसान घरेलू उपाय
माइग्रेन में बार-बार धड़कता सिरदर्द, आंखों में भारीपन और रोशनी व आवाज़ से चिढ़ महसूस होती है। बर्फ की सिकाई, शांत कमरा, सही नींद, हल्का योग और माइंडफुलनेस जैसी तकनीकें दर्द को काफी हद तक कम करती हैं। डाइट और रुटीन का पालन करने से अटैक की आवृत्ति भी घटती है।
समृद्ध डेस्क: माइग्रेन आजकल एक आम लेकिन बहुत तकलीफ़देह समस्या बन चुकी है, जिसमें सिर के एक तरफ़ या पूरे सिर में तेज़ धड़कता हुआ दर्द, आंखों के आसपास भारीपन, रोशनी और आवाज़ से चिढ़, उलझन और कभी‑कभी मतली जैसे लक्षण दिखते हैं। कई लोगों को यह दर्द बार‑बार होता है, जिससे रोज़मर्रा की ज़िंदगी, कामकाज और नींद बुरी तरह प्रभावित हो जाती है, इसलिए समय रहते घरेलू उपायों और लाइफ़स्टाइल में बदलाव के ज़रिए इसे कंट्रोल करना ज़रूरी हो जाता है।
बर्फ की सिकाई से तुरंत आराम

कम रोशनी और शांति वाला कमरा
तेज़ रोशनी और तेज़ आवाज़, दोनों ही माइग्रेन के दर्द को और बढ़ा सकते हैं, इसलिए अटैक के समय मरीज़ को शांत, हल्की रोशनी या लगभग अंधेरे कमरे में आराम करने की सलाह दी जाती है। इससे दिमाग़ को सिग्नल्स की अधिकता से राहत मिलती है, तनाव कम होता है और कई मरीजों को सिरदर्द व मतली जल्दी कम महसूस होने लगती है।
कैफीन का सीमित और नियंत्रित इस्तेमाल
लेख में बताया गया है कि कई लोगों में नियंत्रित मात्रा में कॉफी या कैफीन सिरदर्द में राहत दे सकता है, क्योंकि यह दिमाग़ की रक्त वाहिकाओं को अस्थायी रूप से सिकोड़कर दर्द के एहसास को कम कर सकता है। हालांकि, जिन लोगों को रोज़ ज़्यादा कॉफी की आदत है, वे अचानक कैफीन कम करने पर “विथड्रॉल” सिरदर्द महसूस कर सकते हैं, इसलिए कैफीन का इस्तेमाल हमेशा सीमित मात्रा में और डॉक्टर की सलाह के अनुसार करना चाहिए।
एक्सरसाइज़ और नियमित गतिविधि का महत्व
रिपोर्ट के अनुसार, माइग्रेन के समय भारी‑भरकम एक्सरसाइज़ करना अच्छा विचार नहीं है, क्योंकि इससे सिरदर्द और बढ़ सकता है, लेकिन सामान्य दिनों में नियमित हल्की‑फुल्की कसरत माइग्रेन के दौरे की आवृत्ति कम करने में मददगार मानी जाती है। वॉक, स्ट्रेचिंग या हल्का योग शरीर में “फील गुड” हार्मोन रिलीज़ कर तनाव घटाते हैं, जिससे लंबे समय में माइग्रेन के ट्रिगर कम हो सकते हैं।
अच्छी और पूरी नींद ज़रूरी
खबर में साफ़ बताया गया है कि कम या बहुत ज़्यादा नींद, दोनों माइग्रेन को ट्रिगर कर सकते हैं, इसलिए रोज़ाना रात में लगभग 7‑8 घंटे की गहरी नींद लेना बेहद ज़रूरी है। तय समय पर सोना‑जागना, रात में तेज़ स्क्रीन लाइट से बचना और आरामदायक माहौल बनाना ब्रेन को रिलैक्स करने में मदद करता है और अगले दिन सिरदर्द की संभावना घटा सकता है।
मेडिटेशन और माइंडफुलनेस से तनाव नियंत्रण
रिपोर्ट के मुताबिक, मेडिटेशन या ध्यान माइग्रेन के दर्द को कम करने और बार‑बार होने वाले अटैक की संभावना घटाने में मदद कर सकता है, क्योंकि इससे दिमाग़ का तनाव और बेचैनी दोनों नियंत्रित होते हैं। रोज़ कुछ मिनट गहरी सांसों पर ध्यान केंद्रित करना, माइंडफुल ब्रीदिंग या सरल मेडिटेशन तकनीकें अपनाना शरीर की “रिलैक्सेशन रिस्पॉन्स” को सक्रिय करता है, जिससे दर्द की तीव्रता भी कम महसूस हो सकती है।
हेल्दी रुटीन, सही डाइट और ट्रिगर से बचाव
खबर में यह भी बताया गया है कि असंतुलित दिनचर्या, लगातार स्क्रीन टाइम और भोजन के समय में गड़बड़ी माइग्रेन के बड़े कारण बन सकते हैं। नियमित समय पर हल्का, पौष्टिक भोजन करना, पर्याप्त पानी पीना, अत्यधिक जंक फूड, तेज़ गंध या तेज़ रोशनी और तेज़ शोर वाले माहौल से जितना हो सके बचना माइग्रेन के लक्षणों को नियंत्रण में रखने में मदद कर सकता है।
डॉक्टर से कब मिलें
घरेलू नुस्खों से अगर राहत नहीं मिल रही हो, सिरदर्द के साथ बार‑बार उल्टी, धुंधली नज़र, शरीर में सुन्नपन या बोलने में दिक्कत जैसे गंभीर लक्षण दिखें तो तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट या योग्य डॉक्टर से संपर्क करने की सलाह दी गई है। माइग्रेन की सही पहचान, दवाइयों की उचित डोज़ और किसी भी तरह की जटिलता से बचने के लिए विशेषज्ञ की गाइडेंस ज़रूरी होती है, ताकि घरेलू उपायों के साथ‑साथ मेडिकल ट्रीटमेंट भी समय पर मिल सके।
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