झारखंड : दलगत आधार पर नहीं होगा नगर निकाय चुनाव, पद से हटा सकेगी राज्य सरकार

डिप्टी मेयर प्रत्यक्ष चुनाव पर भी रोक, वार्ड पार्षद करेंगे चुनाव

नए प्रस्ताव के अनुसार, मेयर का चुनाव सीधे होगा। यानी मेयर प्रत्याशी को मतदाता सीधे वोट कर चुनेंगे। वहीं, डिप्टी मेयर पद के लिए प्रत्यक्ष चुनाव नहीं होगा, यानी इसके प्रत्याशी मैदान में नहीं उतरेंगे। निर्वाचित वार्ड पार्षद बहुमत से डिप्टी मेयर का चुनाव करेंगे।
यह व्यवस्था बहुत हद तक 2011 तक प्रभावी रही व्यवस्था के अनुरूप होगी। विधेयक में यह भी उल्लेख है कि नगर निकाय के प्रत्याशी पार्टी के आधार पर नहीं होंगे यानी व्यक्तिगत रूप से लोगों को मैदान में उतरना होगा और दलगत आधार पर चुनाव नहीं होगा। पार्टी का सिंबल उम्मीदवार को नहीं मिलेगा। मेयर व डिप्टी मेयर की तरह नगर परिषद व नगर पंचायत के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के लिए भी यही व्यवस्था लागू रहेगी।
नए विधेयक में मेयर को हटाने की शक्ति राज्य को देने का प्रावधान जोड़ा गया। यानी नगर निकाय की शक्ति पर एक तरह से अंकुश भी लगेगा। प्रस्तावित प्रावधान के अनुसार, अगर लगातार तीन से अधिक बैठकों में बिना पर्याप्त कारणों के मेयर अनुपस्थित रहता है अथवा जानबूझ कर अपने कर्तव्य की अनदेखी करता है तो उसे राज्य सरकार पद से हटा सकती है। साथ ही शारीरिक या मानसिक रूप से अक्षम होने की स्थिति में, किसी आपराधिक मामले में छह माह से अधिक फरार होने या दोषी करार दिए जाने पर भी राज्य सरकार उनसे स्पष्टीकरण पूछेगी और उसके बाद हटाने या पद पर बनाए रखने का निर्णय ले सकती है। एक बाद पद से हटाए गए मेयर या अध्यक्ष को पूरे कार्यकाल के दौरान पुनः उस पद पर निर्वाचित होने का अधिकार नहीं होगा।