सभी ठोस कचरे को सड़क निर्माण में उपयोग करने की योजनाः नितिन गडकरी

80 लाख टन कचरे को सड़क परियोजनाओं में अब तक इस्तेमाल किया गया

सभी ठोस कचरे को सड़क निर्माण में उपयोग करने की योजनाः नितिन गडकरी
नितिन गडकरी

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 2027 तक देश के सभी ठोस कचरे को सड़क निर्माण में इस्तेमाल करने की योजना की घोषणा की। ‘कचरे से धन’ पहल के तहत अब तक 80 लाख टन कचरा सड़क परियोजनाओं में इस्तेमाल किया जा चुका है। उन्होंने वैकल्पिक ईंधन और ऑटोमोबाइल उद्योग में नवाचार के महत्व पर भी जोर दिया।

नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि साल 2027 तक देश के सभी ठोस कचरे को सड़क निर्माण में उपयोग करने की सरकार की योजना है। इस 'कचरे से धन' (वेस्ट टू वेल्थ) पहल के तहत अब तक 80 लाख टन कचरा चिह्नित कर सड़क परियोजनाओं में उपयोग किया जा चुका है। इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ टिकाऊ बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है।

गडकरी ने गुरुवार को यहां पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) के 120वें वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार की योजना 2027 के अंत तक देश में उपलब्ध सभी ठोस कचरे का उपयोग सड़क निर्माण में करने की है। उन्होंने कहा कि हम पहले ही 80 लाख टन कचरे को अलग कर उसके माध्यम से सड़कों का निर्माण कर रहे हैं। कचरे के ढेर अब संसाधन बन रहे हैं।

वैकल्पिक ईंधनों पर कहा कि जैव ईंधन, इथेनॉल, हाइड्रोजन, मेथनॉल, बायोडीजल, एलएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में नवाचारों के चलते भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहा है। वर्ष 2014 में भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग 14 लाख करोड़ रुपये का था, जो अब बढ़कर 22 लाख करोड़ रुपये का हो गया है। इस क्षेत्र में भारत अब अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है। उन्होंने विश्वास जताया कि अगले पांच वर्षों में भारत इस क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बन सकता है।

टू-व्हीलर निर्माताओं जैसे हीरो, होंडा, बजाज और टीवीएस अपनी 50 प्रतिशत उत्पादन क्षमता का निर्यात कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कृषि और निर्माण उपकरण निर्माताओं को नवाचार व पर्यावरण अनुकूल तकनीक अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश का सालाना पेट्रोलियम, डीजल और गैस आयात बिल 22 लाख करोड़ रुपये का है, जिसे वैकल्पिक ईंधनों के माध्यम से कम किया जा सकता है। यदि इस आयात में से 15 लाख करोड़ रुपये की बचत होती है, तो यह धनराशि देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में उपयोग की जा सकती है।

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Edited By: Mohit Sinha

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