Opinion: संस्कार से ही शक्ति आती है, हेमंत सोरेन का अनुकरणीय निर्णय
मुख्यमंत्री होते हुए भी पुत्र धर्म को प्राथमिकता
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पिता शिबू सोरेन के निधन के बाद गांव में रहकर पूरे संस्कार निभाए. राजनीति के बीच पुत्र धर्म को प्राथमिकता देकर उन्होंने समाज को दिखाया कि शक्ति संस्कार और सनातन मूल्यों से ही आती है.
नेता अक्सर सत्ता की चकाचौंध में घिर जाते हैं. भीड़, सुरक्षा घेरे और व्यस्तताओं के बीच उनका सामान्य इंसान कहीं पीछे छूट जाता है. लेकिन शिबू सोरेन (दिसोम गुरु) के निधन के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आचरण यह बताने के लिए काफी है कि विरासत केवल राजनीतिक नहीं होती, बल्कि संस्कारों और परंपराओं की भी होती है.

आज के समय में जहां बड़े से बड़े लोग ‘व्यस्तता’ का बहाना बनाकर तीन दिन में सारे संस्कार निपटा डालते हैं, वहां हेमंत का यह निर्णय समाज को यह संदेश देता है कि परंपराएं बोझ नहीं हैं, बल्कि हमारी जड़ों से जुड़ने का अवसर हैं.
सनातन कोई जड़ धर्म नहीं, बल्कि प्रवाहमान जीवन-दर्शन है. इसमें सत्य है, करुणा है, समानता है, प्रेम है. यह हमें बताता है कि शक्ति संस्कार से आती है और संस्कार परंपराओं से. हेमंत सोरेन ने यही दिखाया कि राजनीति के शीर्ष पद पर बैठे हुए भी यदि कोई अपनी जड़ों से जुड़ा रहे तो उसका व्यक्तित्व और ऊंचा हो जाता है.
हेमंत का यह आचरण केवल व्यक्तिगत श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि समाज के लिए एक सीख भी है. पिता की विरासत केवल राजनीति की नहीं, बल्कि संस्कृति और सनातन मूल्यों की भी होती है.
यही सनातन है—यही सत्य है.
Mohit Sinha is a writer associated with Samridh Jharkhand. He regularly covers sports, crime, and social issues, with a focus on player statements, local incidents, and public interest stories. His writing reflects clarity, accuracy, and responsible journalism.
