US vs Venezuela: तीन अमेरिकी युद्धपोतों की एंट्री से बढ़ी भू-राजनीतिक खींचतान

वेनेजुएला ने जवाब में 45 लाख लड़ाके तैनात किए

US vs Venezuela: तीन अमेरिकी युद्धपोतों की एंट्री से बढ़ी भू-राजनीतिक खींचतान
यूएसएस जैक एच. लुकास (फाइल फ़ोटो)

कराकस/वॉशिंगटन: वेनेज़ुएला और अमेरिका के बीच भू-राजनीतिक टकराव एक बार फिर तेज़ हो गया है। अमेरिका ने हाल ही में कैरेबियन सागर में अपनी मौजूदगी मज़बूत करने के लिए तीन अत्याधुनिक युद्धपोत तैनात किए हैं। वॉशिंगटन का दावा है कि यह कदम क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए उठाया गया है, लेकिन कराकस (वेनेज़ुएला) ने इसे अपनी संप्रभुता पर सीधा हमला बताया है।


अमेरिकी वॉरशिप्स कौन सी हैं और क्यों भेजी गईं?

अमेरिकी नौसेना ने तीन अत्याधुनिक Arleigh Burke-Class Destroyers को तैनात किया है:

  1. USS ग्रेवली (USS Gravely)

  2. USS जेसन डनहम (USS Jason Dunham)

    • कई मिशनों को एक साथ अंजाम देने की ताकत

    • टॉमहॉक, स्टैंडर्ड और ESSM मिसाइलें

    • लोकेशन-गाइडेंस सिस्टम से दुश्मन पर सटीक वार

  3. USS सैम्पसन (USS Sampson)

    • अमेरिका के सबसे भरोसेमंद और तेज़ जहाज़ों में शामिल

    • टॉरपीडो, ASROC मिसाइल और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर सिस्टम से लैस

    • लंबी दूरी की मारक क्षमता, समुद्र में लगातार निगरानी करने की ताकत


निकोलस मादुरो का पलटवार

वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने अमेरिकी कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है:

“अमेरिका बार-बार हमारी संप्रभुता को चुनौती दे रहा है। अगर उसने सीमा लांघी तो हम चुप नहीं बैठेंगे।”

उन्होंने यह भी दावा किया कि वेनेज़ुएला की सेना पूरी तरह तैयार है और अमेरिका के किसी भी कदम का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।


पृष्ठभूमि: अमेरिका-वेनेज़ुएला संबंधों में तनाव क्यों?
  • अमेरिका और वेनेज़ुएला के बीच पिछले दो दशकों से रिश्ते खराब रहे हैं।

  • वॉशिंगटन, मादुरो सरकार को “तानाशाही शासन” मानता है और उस पर मानवाधिकार उल्लंघन व भ्रष्टाचार के आरोप लगाता रहा है।

  • दूसरी तरफ, मादुरो अमेरिका पर “तेल संसाधनों पर कब्ज़े की साजिश” का आरोप लगाते हैं।

  • हाल ही में अमेरिका ने वेनेज़ुएला पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे, जिससे यह टकराव और बढ़ गया।


45 लाख वेनेज़ुएलाई शरणार्थी बने मुद्दा

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक करीब 45 लाख वेनेज़ुएलाई नागरिक देश छोड़कर भाग चुके हैं। यह हालात मादुरो सरकार की नीतियों और आर्थिक संकट की ओर इशारा करते हैं। अमेरिका इसी मुद्दे को आधार बनाकर दबाव बना रहा है कि कराकस अपने फैसले बदले।


क्षेत्रीय प्रभाव: दक्षिण अमेरिका में बढ़ता अमेरिकी दबदबा

अमेरिकी वॉरशिप की तैनाती केवल वेनेज़ुएला ही नहीं, बल्कि पूरे कैरेबियन और दक्षिण अमेरिका के लिए बड़ा संदेश है।

  • इससे पड़ोसी देश कोलंबिया और ब्राज़ील पर भी दबाव बनेगा, जो पहले से ही अमेरिका के करीबी हैं।

  • रूस और चीन जैसे देश, जो वेनेज़ुएला का समर्थन करते हैं, इस पर तीखी प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

  • विशेषज्ञ मानते हैं कि यह तनातनी आगे चलकर नई शीत युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर सकती है।

अमेरिका और वेनेज़ुएला के बीच हालिया तनाव केवल दो देशों का विवाद नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन से जुड़ा मसला है। अमेरिकी वॉरशिप की मौजूदगी जहां मादुरो सरकार के लिए चुनौती है, वहीं कैरेबियन सागर अब एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय राजनीति का हॉटस्पॉट बन गया है।

Edited By: Samridh Desk
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