टाटा मोटर्स इवेको का करेगी $4.5 अरब में अधिग्रहण, बनेगा अब तक का सबसे बड़ा सौदा
इवेको के रक्षा डिवीजन को डील से रखा जाएगा बाहर
टाटा मोटर्स 4.5 अरब डॉलर में इतालवी ट्रक निर्माता इवेको का अधिग्रहण करने के अंतिम चरण में है. यह अधिग्रहण टाटा का अब तक का सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल सौदा होगा, जिसमें कंपनी इवेको के वाणिज्यिक ट्रक, बस और पावरट्रेन बिजनेस को खरीदेगी.
मुंबई: टाटा मोटर्स एक और बड़े अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण की तैयारी में है. कंपनी इतालवी ट्रक निर्माता इवेको को उसके प्रमुख शेयरधारक, एग्नेली परिवार से 4.5 अरब डॉलर (लगभग ₹37,000 करोड़) में खरीदने को तैयार है. यह सौदा न केवल टाटा मोटर्स के लिए बल्कि पूरे ऑटो उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है. जानकारी के अनुसार, यह टाटा समूह का जेएलआर के बाद दूसरा सबसे बड़ा सौदा होगा. वर्ष 2008 में टाटा मोटर्स ने जगुआर-लैंड रोवर को $2.3 अरब में खरीदा था.
बोर्ड बैठक में औपचारिक घोषणा

डील की प्रमुख शर्तें एवं संरचना
सूत्रों के अनुसार, टाटा मोटर्स एग्नेली परिवार की निवेश कंपनी एक्सॉर से 27.1% हिस्सेदारी खरीदेगी. इसके साथ ही कंपनी अन्य अल्पांशधारकों से शेयर खरीदने के लिए एक निविदा प्रस्ताव (टेंडर ऑफर) भी लाएगी. एक्सॉर के पास कंपनी के 43.1% मतदान अधिकार भी हैं.
हालांकि यह अधिग्रहण इवेको के रक्षा व्यवसाय को शामिल नहीं करता. इवेको पहले ही रक्षा इकाई को अलग करने या बेचने की प्रक्रिया में है. मई 2025 में इवेको ने कहा था कि उसे डिफेंस यूनिट के लिए संभावित खरीदारों से प्रस्ताव मिल चुके हैं और वह इसे 2025 के अंत तक अलग करेगी.
इवेको के शेयर में तेजी
डील की खबर के बाद इवेको के शेयरों में मंगलवार को 7.4% की तेजी देखी गई. साल 2025 में अब तक इसके शेयरों की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा हो चुकी है, जिससे कंपनी का बाज़ार मूल्य .15 अरब पहुंच गया है.
ऐतिहासिक संबंध और परामर्शदाता
टाटा समूह और एग्नेली परिवार का रिश्ता नया नहीं है. पहले फिएट इंडिया और टाटा मोटर्स के बीच संयुक्त उद्यम रह चुका है. एग्नेली समूह फेरारी और स्टेलेंटिस में भी प्रमुख हिस्सेदार हैं.
रणनीतिक मायने एवं विस्तार योजना
इवेको यूरोप, लैटिन अमेरिका और उत्तरी अमेरिका में अपनी मौजूदगी रखती है, जबकि टाटा का वाणिज्यिक वाहन व्यवसाय अब भी 90% भारत केंद्रित है. अधिग्रहण से टाटा को वैश्विक बाजारों तक पहुंच और तकनीकी नवाचार में मजबूती मिलेगी.
टाटा के लिए यह एक रणनीतिक कदम है क्योंकि कंपनी अपने कमजोर पड़ चुके सीवी सेगमेंट को फिर से मजबूत करना चाहती है. 2004 में खरीदी गई टाटा देवू से वित्त वर्ष 2025 में कंपनी को ₹5,394 करोड़ का राजस्व मिला, जो साल-दर-साल 11% कम था और परिचालन लाभ केवल 1% रहा.
भविष्य की चुनौती
विश्लेषकों का अनुमान है कि यह अधिग्रहण टाटा के वाणिज्यिक वाहन कारोबार को ₹75,000 करोड़ से बढ़ाकर ₹2 लाख करोड़ रुपये तक ले जा सकता है, लेकिन लाभ मार्जिन एक बड़ी चुनौती बनी रहेगी.
टाटा मोटर्स का यह अधिग्रहण न केवल कंपनी के लिए, बल्कि भारत के ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिए भी वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह सौदा टाटा को अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों में कितना लाभ पहुंचाता है.
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
