केंद्र ने फिर पश्चिम बंगाल का मनरेगा फंड रोका, PBKMS ने कहा – इससे श्रमिकों पर पड़ेगा बुरा असर

कोलकाता: केंद्र सरकार ने एक बार फिर वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पश्चिम बंगाल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की धनराशि रोकने का फैसला किया है। यह खबर अंग्रेजी अखबार द हिंदू में प्रकाशित हुई है।

पश्चिम बंग खेत मजूर समिति ने कहा है कि अधिकतर श्रमिकों ने लगन और ईमानदारी से काम किया है, लेकिन दिसंबर 2021 से पहले किये गए काम के वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। व्यावहारिक रूप से 2022-23 में कोई नया काम नहीं किया गया है, जिससे श्रमिकों को पलायन करना पड़ रहा है और भोजन, चिकित्सा व्यय और शिक्षा जैसे आवश्यक खर्चों में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। 2023-24 में भी यही हश्र उनका इंतजार कर रहा है। यह निरंकुश निर्णय राज्य में बिना किसी गलती के पूरे 1.5 करोड़ नरेगा श्रमिकों के अपराधीकरण और सजा के बराबर है।
16 मार्च 2023 को पुरुलिया जिला प्रशासन ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 9 जनवरी 2023 के फैसले के अनुपालन में पुरुलिया जिले के 6 ब्लॉकों के पश्चिम बंग खेत मजूर समिति के प्रतिनिधियों के साथ सुनवाई की थी। पुरुलिया के जिला प्रशासन ने स्वीकार किया कि हालांकि पीबीकेएमएस सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किए गए दावे वास्तविक हैं, लेकिन जब तक केंद्र फंड जारी नहीं करता, तब तक वे देय मजदूरी को चुकाने की स्थिति में नहीं हैं। पीबीकेएमएस को यह बिल्कुल अनुचित लगता है कि केंद्र सरकार एक साल और तीन महीने की अवधि के बाद भी जांच का निष्कर्ष निकालने में असमर्थ है।
20 मार्च 2023 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी पीबीकेएमएस की अवैतनिक मजदूरी की शिकायत को मान्यता देते हुए (मामला संख्या- 651/25/0/2023), पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को 8 सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
ध्यान रहे कि नरेगा सामाजिक सुरक्षा कानून है जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत के काम के अधिकार की गारंटी देना है। कानून भारत जैसे एक समाजवादी राज्य की संवैधानिक दृष्टि को साकार करने के लिए कार्य करता है। पश्चिम बंग खेत मजदूर समिति का दृढ़ विश्वास है कि भ्रष्टाचार या अनियमितताओं के आरोपों की जांच के लिए मज़दूरी को रोकना आवश्यक नहीं है। जांच की जानी चाहिए और दोषी पाए जाने वाले सभी व्यक्तियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सहित उचित कार्रवाई की जानी चाहिए। लेकिन, किसी भी कीमत पर श्रमिकों के काम करने का अधिकार और श्रमिकों के मजदूरी के अधिकार से समझौता नहीं किया जा सकता है। पीबीकेएमएस केंद्र सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा करता है और इसे अदालत में चुनौती देने का इरादा रखता है।