बिरनी: पानी की व्यवस्था न होने के कारण प्रसव के लिए तय करना पड़ता है 15 किलोमीटर की दूरी

उपचार कराने आने वाले मरीज तथा स्वास्थ्य कर्मी भी हैं परेशान

बिरनी: पानी की व्यवस्था न होने के कारण प्रसव के लिए तय करना पड़ता है 15 किलोमीटर की दूरी

15 किलोमीटर की दूरी तय करने में कई बार हो जाती है मौत, स्थानीय जनप्रतिनिधि समेत विधायक- सांसद का भी इस ओर नहीं है ध्यान

बिरनी: प्रखण्ड के खैरीडीह पंचायत अंतर्गत शीतल टोला में लगभग 10 लाख रुपये की लागत से तैयार उप- स्वास्थ्य केंद्र इन दिनों शोभा की वस्तु साबित हो रही है। यह उप स्वास्थ्य केंद्र लगभग 5 वर्षों पूर्व पुनर्निर्माण किया गया है। शोभा की वस्तु इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पानी की व्यवस्था ही नहीं है जिसके कारण उप स्वास्थ्य केंद्र में कोई कर्मी भी रहना पसंद नहीं करते हैं। 

स्वास्थ्य केंद्र में दो एएनएम, एक एमपीडब्लू तथा एक सफाई कर्मी आउटसोरसिंग के पद पर कार्यरत हैं। पानी की व्यवस्था न होना कर्मियों के लिए भारी समस्या है। इतना ही नहीं स्वास्थ्य कर्मियों को बोतल में खरीदकर पीने के लिए पानी भी लाना पड़ता है। 

कर्मी कहते हैं कि ऐसा उप स्वास्थ्य केंद्र जहाँ पानी की सुविधा ही न हो ऐसे में कौन रहना पसंद करेगा? ऐसे में यदि कोई मरीज आ जाए और उन्हें जोर की प्यास लग जाये तो उनके लिए भी भारी समस्या उतपन्न होती है और वे भीषण गर्मी में भी प्यास से पानी के लिए तड़पते हैं। उप- स्वास्थ्य केंद्र परिसर से लगभग 500 मीटर दूर उ0 मध्य वि0 है जहाँ चापाकल की सुविधा है।

इतना ही नहीं स्वास्थ्य केंद्र में प्रसव कक्ष भी तैयार है लेकिन महिलाओं को 15 किलोमीटर दूर जाना पड़ता है और कई बार प्रसव पीड़ा के दौरान दूसरे स्थान ले जाने के कारण मौत हो जाती है। हालांकि इस ओर न ही तो स्थानीय जनप्रतिनिधि का ध्यान है न ही विधायक- सांसद का। उप स्वास्थ्य केंद्र की जब नींव रखी गई तो लोगों के अंदर बड़ी आश जगी ऐसा लगा था जैसे सारी सुविधाएं मिलेगी लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फेर गया। 

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लोगों को लगा कि 15 किलोमीटर दूर जाने की झंझट से निजात मिलेगी लेकिन क्या पता कि उसी कठिनाई से गुजरना पड़ेगा। एक ओर केंद्र की सरकार हर- घर जल- नल योजना के तहत सभी घरों में पेयजल उपलब्ध करवाने में जुटी हुई है तो दूसरी ओर इस उप- स्वास्थ्य केंद्र में बोरिंग भी नसीब नहीं है। सूत्र यह भी बताते हैं कि विधायक- सांसद अपने लोगों के लिए उनके घरों में चापाकल बोरिंग करवा देते हैं लेकिन सामुदायिक स्थल पर इसकी पहल तक नहीं की जाती है।

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Edited By: Ranju Abhimanyu

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