रीतलाल वर्मा की 21वीं पुण्यतिथि: गरीब- गुरबों तथा क्षेत्र के विकास के लिए वकालत छोड़कर अपनाया राजनीतिक सफ़र, पहले ही प्रयास में बने विधायक

1972 में पहली बार जनसंघ के जमुआ से विधायक बने

रीतलाल वर्मा की 21वीं पुण्यतिथि: गरीब- गुरबों तथा क्षेत्र के विकास के लिए वकालत छोड़कर अपनाया राजनीतिक सफ़र, पहले ही प्रयास में बने विधायक
दिवंगत पूर्व सांसद रीतलाल वर्मा (फाइल फ़ोटो)

वकालत छोड रीतलाल वर्मा ने पकड़ी थी राजनीति की राह, रीतलाल प्रसाद वर्मा जिन्होंने वकालत छोड़ कर गरीब-गुरबों तथा क्षेत्र के विकास के लिए राजनीतिक क्षेत्र को अपनाया

सुधीर सिन्हा

गिरिडीह: कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से सर्वाधिक पांच बार प्रतिनिधित्व करने वाले दिवंगत रीतलाल प्रसाद वर्मा जिन्होंने वकालत छोड़ कर गरीब-गुरबों तथा क्षेत्र के विकास के लिए राजनीतिक क्षेत्र को अपनाया। पूर्ववर्ती हजारीबाग जिला के समय क्षेत्र के पिछड़ा होने की कशक उन्हें झकझोर रहा था। उन्होंने राजनीति की राह पकड़ी और क्षेत्र के विकास को ही मकसद बनाया और 1972 में जमुआ विधानसभा से राजनीति शुरुआत की और कोडरमा संसदीय क्षेत्र का पांच बार प्रतिनिधित्व करने का गौरव हासिल किया। बताते चलें कि तत्कालीन हजारीबाग जिला वर्तमान में गिरिडीह जिला के जमुआ प्रखंड के भंडारो गांव में 1 फरवरी 1938 को साधारण किसान परिवार में जन्मे रीतलाल प्रसाद वर्मा ने रांची विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई पूरी कर वकालत का पेशा अपनाया।

समाज की कुरीतियों तथा गरीबों की दुर्दशा को भांप उन्होंने राजनीति को करियर बनाया। वकालत जैसे पेशे को छोड़कर 1970 में वे भारतीय जनसंघ से राजनीतिक सफर की शुरुआत की। 1972 के विधान सभा चुनाव में रीतलाल वर्मा ने जनसंघ के टिकट से चुनाव लड़ा और जमुआ विधानसभा क्षेत्र पर तत्कालीन श्रम मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सदानन्द प्रसाद सिन्हा को पराजित कर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 

बताया जाता है कि भाजपा में कुछ लोगों ने राजनीतिक द्वेष की भावना से रीतलाल वर्मा को अलग थलग करने का प्रयास किया। जिसे देख 2000 में अलग झारखंड राज्य बनने के बाद उपेक्षित महसूस कर रहे  रीतलाल वर्मा ने जीवन के अंतिम पड़ाव में भाजपा को ही अलविदा कह दिया। अलग झारखंड के लिए हुए आंदोलन में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई थी। भाजपा छोड़ने के बाद पिछड़ा चेतना मंच का गठन कर उन्होंने राजनीति सक्रियता बरकरार रखी। बाद में वे झामुमो में भी शामिल होकर इस क्षेत्र के विकास के लिए अहम योगदान दिए और अंतिम समय में भी देश के विकास के लिए काम करते रहे। रीतलाल वर्मा ने 2002 में सिंगापुर जाकर ई-रिक्शा कम्पनी को प्लांट लगने का न्यौता दिया था और देश के दो क्षेत्रों में से गुजरात के अहमदाबाद और झारखंड के कोडरमा लोकसभा क्षेत्र के रेम्बा का चयन किया था। 

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रीतलाल वर्मा (फाइल फ़ोटो)


रीतलाल वर्मा का कोडरमा गिरिडीह रेलखंड में महत्वपूर्ण योगदान

लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आवाह्न पर विधानसभा से इस्तीफा देने वाले रीतलाल प्रसाद वर्मा पूरे देश के इकलौते विधायक थे। 1977 में जनता दल ने उन्हें जनसंघ कोटे से उम्मीदवार बनाया और वे कोडरमा सीट पर कब्जा जमाने में सफल रहे। स्वर्गीय रीतलाल वर्मा न सिर्फ सांसद के रूप में कोडरमा का प्रतिनिधित्व की बल्कि पूर्व में जनसंघ और बाद में भाजपा के लिए इस क्षेत्र में मजबूत राजनीतिक जमीन भी तैयार किए। जिसका लाभ आज भी भाजपा को मिलते आ रहा है। संसदीय कार्यकाल में उन्होंने इस क्षेत्र में विकास के कई उल्लेखनीय कार्य किए जिसमें वनांचल के नाम से बर्तमान झारखंड की मांग की, नींव रखी। कोडरमा- गिरिडीह रेलखंड के अलावा पूरे देश में चलने वाले ई-रिक्शा उन्हीं के प्रयासों का फलाफल है।

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वकालत छोड़ रीतलाल वर्मा ने पकड़ी थी राजनीति की राह...

कोडरमा लोकसभा क्षेत्र का सबसे अधिक बार प्रतिनिधित्व करने को मिला था। वे वकालत छोड़ राजनीति में आए और यहां अपनी एक अलग पहचान बनाई। अपने राजनीतिक करियर में रीतलाल वर्मा ने जमुआ विधानसभा का एक बार और कोडरमा लोकसभा क्षेत्र का पांच बार प्रतिनिधित्व किया। जमुआ प्रखंड के भंडारो गांव में एक फरवरी 1938 को उनका जन्म हुआ था। रांची

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विश्वविद्यालय से उन्होंने वकालत की पढ़ाई की थी। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ संसद में कोडरमा का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि पूर्व में जनसंघ और बाद में भाजपा के लिए इस क्षेत्र में मजबूत राजनीतिक जमीन तैयार की। कोडरमा गिरिडीह रेलखंड को उन्हीं के प्रयासों को परिणाम माना जाता है। बताया जाता है कि 2000 में अलग झारखंड राज्य बनने के उपेक्षित महसूस कर रहे रीतलाल प्रसाद वर्मा ने भाजपा को अलविदा कह दिया। उनके करीबी लोगों का कहना हैं कि अलग झारखंड राज्य के लिए लगातार संघर्षरत रहने के बावजूद पार्टी में उपेक्षा के कारण उन्होंने भाजपा से किनारा कर लिए, हालांकि पिछड़ा चेतना मंच का गठन कर उन्होंने अपनी राजनीतिक सक्रियात बरकरार रखी। बाद में वे झामुमो में भी गए।

2004 में 15 जनवरी को उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके बाद उनके पुत्र प्रणव वर्मा ने कोडरमा लोकसभा सीट से 2014 में किस्मत आजमाया, लेकिन विफल रहे। अभी वह झामुमो के नेता है। कोडरमा बिहार क्षेत्र में 1977- 95 के दौरान किए अनेक कार्य 7 कॉलेजों की स्थापना, 16 महा विद्यालयों की स्थापना, 72 बैंक शाखाओं का खुलवाना 15 ब्लॉक (अधिकतर गाँव में बिजली लगवाना 294 किलो मीटर लम्बी नई रेलवे लाइन स्वीकृति गिरिडीह से रांची वाया हजारीबाग शहर और कोडरमा 1994 में व्यय अनुमोदित नई सिचाई परियोजना कोनार नहर योजना 1978 कुछ कार्य शेष बरिपारडीह परकच्चों ब्लॉक में आर्डिनेस फैक्ट्री पंचखेरी जलाशय योजना 20,000 एकड़, केसो जलाशय योजना -20,000 एकड़, सलैया जलाशय योजना -20, 000एकड़, तिलैया डैम कोडरमा में भारी पानी परिष्करण प्लॉट (यूरेनियम आधारित नवीन पद्धति) सात टेलीफोन केन्द्र, नौ बिजली घर (स्थापना के दौर में) घंटों काम, भोजन एक शाम जैसी एक पार्टी योजना द्वारा करीब 2,00,000 लोगों को राहत, 1967 में अकाल व सूखा पीड़ित जनता को लाभ देने हेतु सहायता पहुंचाई। 

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रीतलाल वर्मा (फाइल फ़ोटो)


लेखक भी थे स्वर्गीय रीतलाल प्रसाद वर्मा

लेखक गौरक्षा संदेश कविता 1958 में, विभित्र दैनिक व मासिक समाचार पत्रों के अनेक स्तम्भों के नियमित लेखक भी थे। उपलब्धियां 1967 में भारतीय जनसंघ में प्रवेश। 1969 में गिरिडीह जिला जनसंघ के अध्यक्ष गौरक्षा आंदोलन में सक्रिय, 1972 में पहली बार जनसंघ के जमुआ से विधायक बने, जे.पी के आवाहन पर 1974 में विधानसभा से इस्तीफा 19 महीनों तक जेल में रहे, 1977 में कोडरमा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर सांसद बने, 1977 से 2000 तक, छह बार लोकसभा सदस्य बने, सन् 2003 में भाजपा छोड़ झामुमो में शामिल हुए।

Edited By: Sujit Sinha

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