मूल नक्षत्र और ऐंद्र योग में मनाया जायेगा आषाढ़ माह की गुरु पूर्णिमा
गुरु सूर्य एक साथ होने से गुरु पूर्णिमा का महत्व कई गुणा अधिक
प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले शुद्ध जल में या पवित्र गंगा नदी स्नान करना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु की तस्वीर के आगे दीप प्रज्जवलित कर व्रत का संकल्प लें
आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है. यह पूर्णिमा गुरु को समर्पित होता है. इसी दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था. जिसके कारण इस दिन को व्यास जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. वेदव्यास जी ने समस्त मानव जाति के कल्याण हेतु चारों वेदों से जुड़े ज्ञान को बताया था. महर्षि व्यास जी का सनातन संस्कृति में महान योगदान को देखते हुए आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन गुरुओं की पूजा की जाती है. इस दिन श्रद्धालु शिष्य गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, महेश के समान मान कर श्रद्धा के अनुसार उनकी पूजा करते हैं और उन्हें उपहार देते हैं.
गुरु पूर्णिमा का शुभ संयोग

शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 9 जुलाई को रात्रि 1 बजे पूर्णिमा प्रवेश करेगा जो 10 जुलाई को रात्रि 01:41 तक है. इसलिए 10 को दिनभर मान रहेगा गुरुपूर्णिमा का.
पूजा विधि
प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य प्रणव मिश्रा ने बताया कि पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले शुद्ध जल में या पवित्र गंगा नदी स्नान करना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु की तस्वीर के आगे दीप प्रज्जवलित कर व्रत का संकल्प लें. इस दिन गुरुजनों की पूजा करने का विधान है. आषाढ़ पूर्णिमा के दिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
विष्णु जी और माता लक्ष्मी को फूल, फल, अक्षत्, धूप, दीप, जैन गंध, चंदन, रोली, वस्त्र, मिठाई आदि अर्पित करते हुए पूजा करें. साथ ही पूर्णिमा पर श्री. सत्यनारायण कथा जरुर पढ़ें. साथ ही इस दिन विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना शुभ माना जाता है. इस दिन गुरु मंत्र का जाप करने से जीवन में सफलता प्राप्त होगी.
आषाढ़ पूर्णिमा पर पूजा का महत्व
आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर आप भगवान विष्णु की पूजा के साथ सत्यनारायण भगवान की कथा का श्रवण करें. पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन, सुख, वैभव आदि में वृद्धि होती है. आषाढ़ पूर्णिमा के दिन वेद के ज्ञाता वेदव्यास जी की पूजा करें. जिन्होंने सृष्टि को ज्ञान प्रदान करने के लिए पुराणों की रचना की इस दिन अपने गुरु की पूजा करनी चाहिए. यदि कोई गुरु नहीं हैं, तो भगवान विष्णु की आराधना करें.
जिन लोगों की कुंडली में चंद्रमा का दोष है वे लोग आषाढ़ पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा करें और उनके बीज मंत्र का जाप करें इसके अलावा चंद्र दोष से मुक्ति के लिए आषाढ़ पूर्णिमा के दिन स्नान के बाद किसी गरीब ब्राह्मण को सफेद वस्त्र, चावल, शक्कर, दूध, सफेद मिठाई, चांदी, मोती आदि का दान करें.
प्रसिद्ध ज्योतिष
आचार्य प्रणव मिश्रा
आचार्यकुलम, अरगोड़ा, राँची
8210075897
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
