कड़िया के गढ़ में कौन मारेगा बाजी: अर्जुन या कालीचरण !
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बुंडू से संजोग भगत
खूंटी/बुंडू। कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण को कांग्रेस ने खूंटी से प्रत्याशी बनाकर अर्जुन मुंडा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ज्यों-ज्यों यहां के मतदान का दिन पार हो रहा है, राजनीतिक तपीश बढ़ती जा रही है। पांचवे चरण में होनेवाले चुनाव के बाबत यहां से एमपी रहे कड़िया मुंडा के गढ़ में अर्जुन को काली देगें टक्कर। खास बात ये है कि कालीचरण 1992 व 1995 में तमाड़ से विधायक रह चुके हैं। वे शुरू से कांग्रेसी रहे हैं। उनके पिता मुचिराई मुंडा बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके थे। उन्होंने 1966 से 1977 तक खूंटी विधानसभा एवं 1980 से 1992 तक तमाड़ विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया था।
कालीचरण मुंडा का कहना है कि क्षेत्र के युवाओं को रोजगार दिलाना व किसानों की हालत में सुधार लाना चुनाव में मुख्य स्थानीय मुद्दा रहेगा। जिले से 70-80 हजार युवा रोजगार नहीं मिलने के कारण दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं। साथ ही किसानों की हालत दयनीय है। खूंटी लोस पर यदि नजर दौड़ाई जाय तो कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा को छोड़कर सभी नए चेहरे हैं। भाजपा एवं बहुजन समाज पार्टी ने अपने उम्मीदवार बदल दिए हैं। जबकि आजसू, झाविमो, आप एवं समाजवादी पार्टी मैदान से गायब है। लोकसभा चुनाव 2014 में इन पार्टियों के प्रत्याशी मैदान में थें। इस बार 2014 की तुलना में प्रत्याशियों की संख्या भी कम है। 2014 के चुनाव में कुल 14 प्रत्याशी मैदान में थें। इनमें कडिया मुंडा ऐसे शख्स हैं जिन्होंने लोकसभा के एक दर्जन चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज की है। इस बार भाजपा ने उनका टिकट काट दिया। उनकी जगह अर्जुन मुंडा भाजपा के प्रत्याशी हैं। यद्यपि अर्जुन मुंडा जमशेदपुर सीट से एक बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन खूंटी लोकसभा क्षेत्र में वह नया चेहरा हैं। इसी तरह बसपा ने भी अपना प्रत्याशी बदल दिया है। पिछले चुनाव में सुबोध पूर्ति बसपा प्रत्याशी थें। उन्हें 6407 वोट मिले थें। लेकिन इस बार इंदुमती मुंडू को बसपा ने अपना प्रत्याशी बनाया है। आजसू, झाविमो, आप, सपा आदि पार्टियां इस बार मैदान से गायब हैं। 2014 में आजसू के निएल तिर्की, झाविमो के बसंत लोंगा, आप की दयामनी बारला एवं सपा की नीतिमा बोदरा बारी चुनाव मैदान में थे। कांग्रेस प्रत्याशी कालीचरण मुंडा 147017 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे थें। वे इस बार पुनरू मैदान में हैं। इस बार कुल 11 प्रत्याशियों में से तीन राष्ट्रीय या राज्य से मान्यता प्राप्त दलों से हैं। जबकि पांच पंजीकृत पार्टी तथा तीन निर्दलीय हैं। मान्यता प्राप्त दलों के प्रत्याशियों में भारतीय जनता पार्टी के अर्जुन मुंडा, बहुजन समाज पार्टी की इंदुमती मुंडू एवं कांग्रेस के कालीचरण मुंडा हैं।
पंजीकृत दलों में झारखंड पार्टी के अजय तोपनो, हम भारतीय पार्टी की अविनाशी मुंडू, भारतीय माइनोरिटीज सुरक्षा महासंघ के निल जस्टीन बेक, ऐहरा नेशनल पार्टी के मुन्ना बड़ाईक, राष्ट्रीय सेंगेल पार्टी की सिबिल कंडुलना, निर्दलीय मीनाक्षी मुंडा, नियारन हेरेंज एवं सुखराम हेरेंज मैदान में हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है इसकी सरगर्मियां बढ़ती जा रही है। सभी प्रत्याशी शहर, नगर और ग्रामीण क्षेत्र में जाकर चुनावी सभा, जनसंपर्क अभियान कर प्रचार-प्रसार के साथ जीत के लिए जनता से अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। दोनों पार्टी के प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत को लेकर ऐड़ी चोटी एक कर रहें हैं। लोगों की माने तो इस बार भी मोदी लहर रहेगी। वहीं लोकसभा सीटों पर 06 मई को होने वाले चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने अपने घुड़सवार मैदान में उतारे हैं, और एक दूसरे को घेरने के लिए मुद्दे तैयार हैं। कांग्रेस किसानों के मुद्दे पर सरकार की घेराबंदी करेंगी। सत्तारूढ़ भाजपा के पास नौकरियों में पारदर्शिता और विकास में क्षेत्रवाद का खात्मा बड़े हथियार का काम करेंगे। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों की समस्या के साथ विकास की कमी और अभी तक पांचपरगना क्षेत्र के कई जगहों पर पूरा पानी नहीं पहुंच पाने के मुद्दों पर भी राजनीतिक दल एक दूसरे को घेरने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देंगे। ग्रामीण युवाओं को रोजगार में आरक्षण का मुद्दा भी बड़ा रहेगा। इसके अतिरिक्त लोकसभा चुनाव में हालांकि स्थानीय मुद्दे कोई खास असर नहीं दिखाते, लेकिन बड़ा क्षेत्र होने के नाते स्थानीय मुद्दों का इस चुनाव में खासा असर देखने को मिलता है। यह चुनाव मुद्दों के साथ-साथ प्रत्याशियों की व्यक्तिगत छवि पर भी काफी हद तक निर्भर रहने वाला है।
Edited By: Samridh Jharkhand