नरेगा से जुड़े कार्यक्रमों को रोकना,सवाल पूछने के अधिकार का उल्लंघन है : नरेगा संघर्ष मोर्चा

नरेगा से जुड़े कार्यक्रमों को रोकना,सवाल पूछने के अधिकार का उल्लंघन है : नरेगा संघर्ष मोर्चा

नई दिल्ली : नरेगा मजदूरों द्वारा पिछले एक महीने से राजधानी के जंतर-मंतर पर धरना दिया जा रहा है। 24 मार्च को नरेगा मजदूरों के आंदोलन से जुड़े कुछ गतिविधियों-कार्यक्रमों को बाधित किए जाने के खिलाफ शनिवार को नरेगा संघर्ष मोर्चा ने एक बयान जारी किया है।

इसमें कहा गया है कि 24 मार्च की दोपहर दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय में नरेगा पर एक सार्वजनिक चर्चा के बीच दिल्ली पुलिस ने छात्रों एवं कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। दिल्ली पुलिस ने साफ कर दिया कि जंतर-मंतर के बाहर नरेगा पर कोई सार्वजनिक चर्चा नहीं होने दी जाएगी। बैनर तले अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, किसान मजदूर संगठन, उत्तरप्रदेश की ऋचा सिंह, एवं अन्य ने एक प्रेस कान्फ्रेंस कर अपनी बात रखी।

कलेक्टिव नामक एक संगठन ने काम के अधिकार और नरेगा पर चर्चा आयोजित की थी। इसमें ज्यां द्रेज, ऋचा सिंह, कॉमरेड सोमनाथ आदि बोलने वाले थे। कार्यक्रम के शुरू होते ही पुलिस द्वारा इसे अचानक रोक दिया गया और आयोजकों, वक्ताओं और अन्य छात्रों को मौरिस नगर पुलिस स्टेशन ले जाया गया। मोर्चा ने कहा है कि कॉमरेड सोमनाथ, दिल्ली विश्वविद्यालय के दो छात्रों एवं एक विदेशी छात्र को पुलिस ने तीन घंटे से अधिक समय तक गैर कानूनी हिरासत में रखा।

मोर्चा ने कहा है कि दो दिन पहले विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की पूर्व अनुमति प्राप्त करने के बाद भी कर्मचारियों को जंतर-मंतर पर से हटा दिया गया था। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि आम आदमी पार्टी द्वारा एक आयोजन किया जाना था। वहीं, एक दिन पहले कार्यकर्ताओं के विरोध के अधिकार भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा आयोजित रैली द्वारा बाधित किया गया था।

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मोर्चा ने कहा है कि कानून प्रवर्तन अधिकारियों की ओर से ये कार्रवाई नागरिकों के विरोध के अधिकार और उनकी चुनी हुई सरकार से सवाल पूछने के अधिकार का अतिक्रमण है, जो हमारे देश में आम हो गया है। मोर्चा ने कहा है कि यह भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और संविधान के तहत गारंटीयुक्त शांतिपूर्ण विरोध के अधिकार का घोर उल्लंघन है। यह राज्य की निगरानी और दमन के माहौल को बढा रहा है और असहमति की जगह दिन प्रति दिन कम होती जा रही है।

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मोर्चा ने कहा है कि 30 दिनों के प्रदर्शन के दौरान नरेगा आंदोलनकारियों ने ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधिकारियों से मिलने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। ऐसा तब किया गया जब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी संसद में नरेगा से संबंधित कोई शिकायत मिलने से इनकार किया। जबकि जमीनी हकीकत अलग है।

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अंततः 21 मार्चा को झारखंड के कार्यकर्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल सचिव शैलेश कुमार सिंह और संयुक्त संचिव अमित कुमार कटारिया से मिला। पर, वे उनके द्वारा पेश मुद्दों के प्रति गैर प्रतिबद्ध दिखे। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के श्रमिकों जिनकी मजदूरी दिसंबर 2021 से लंबित है और उन्हें वित्त वर्ष 2022-23 में कोई कार्य नहीं दिया गया है, उन्होंने मानवाधिकार आयोग में एक शिकायत दर्ज करायी है।

मोर्चा ने मांग की है कि एनएमएमएस ऐप को तत्काल हटाया जाए, 30 जनवरी 2023 के आदेश को वापस लिया जाए जिसमें सभी नरेगा भुगतानों को इसके माध्यम से किए जाने की बात कही गयी है। साथ ही नरेगा बजट को बढाया जाए, मजदूरी का समय पर भुगतान किया जाए और एक साल से अधिक लंबित मजदूरी का तुरंत भुगतान किया जाए।

Edited By: Samridh Jharkhand

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