पुंछ की खामोशी में छिपी दहशत: 'ऑपरेशन शिवशक्ति' ने नाकाम की एक और नापाक साजिश
रात के अंधेरे में क्या कर रहे थे ये दो आतंकी? पुंछ के जंगलों से बरामद हुए हथियार और राज़
'ऑपरेशन शिवशक्ति' ने जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से घुसपैठ की कोशिश विफल की। भारतीय सेना की बड़ी कामयाबी और बदलती आतंकी रणनीति का विश्लेषण।
नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा बलों ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक और महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। हाल ही में पुंछ जिले में चलाए गए 'ऑपरेशन शिवशक्ति' ने घुसपैठ की एक बड़ी कोशिश को नाकाम करते हुए दो आतंकवादियों को मार गिराया। यह केवल एक सामान्य मुठभेड़ नहीं, बल्कि सीमा पार से उत्पन्न होने वाले खतरों का मुकाबला करने के लिए एक सुविचारित और समन्वित प्रयास का प्रतीक है। खासकर हाल के दिनों में बढ़ी हुई आतंकवादी गतिविधियों के मद्देनजर।
ऑपरेशन शिवशक्ति: विवरण और सफलता
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सोमवार की रात जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस (JKP) के संयुक्त अभियान 'ऑपरेशन शिवशक्ति' के तहत दो आतंकवादियों को मार गिराया गया। ये आतंकवादी सीमा पार से भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने का प्रयास कर रहे थे। सेना के व्हाइट नाइट कोर ने बताया कि सतर्क सैनिकों की त्वरित कार्रवाई और सटीक गोलाबारी ने आतंकवादियों के नापाक मंसूबों को विफल कर दिया। मुठभेड़ स्थल से तीन हथियार भी बरामद किए गए।
दो आतंकवादियों के मारे जाने के बावजूद तीन हथियारों की बरामदगी से पता चलता है कि वे अच्छी तरह से हथियारों से लैस थे। यह इस संभावना को भी इंगित करता है कि वे एक बड़े, सुसज्जित घुसपैठ समूह का हिस्सा हो सकते थे, या उनका इरादा भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने पर स्थानीय संपर्कों को हथियार उपलब्ध कराना था। यह स्थिति उस खतरे के पैमाने को रेखांकित करती है जिसे विफल किया गया था। ऑपरेशन के बाद भी क्षेत्र में तलाशी अभियान जारी रहा, जिससे यह संभावना बनी रहती है कि कुछ अन्य घुसपैठिए बच निकले हों या अभी भी छिपे हों। यह तथ्य सीमा पर ऐसे हथियारों की घुसपैठ को रोकने के महत्व पर जोर देता है, क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर के भीतर आतंकवादियों के लिए निरंतर संचालन क्षमता को प्रभावित करता है।
पृष्ठभूमि और संबंधित अभियान
ऑपरेशन शिवशक्ति की यह सफलता 'ऑपरेशन महादेव' के ठीक दो दिन बाद मिली, जिसने 28 जुलाई, 2025 को श्रीनगर के बाहरी इलाकों में तीन आतंकवादियों को मार गिराया था। इन आतंकवादियों में सुलेमान उर्फ आसिफ/हाशिम मूसा भी शामिल था, जिसे 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड माना जाता था। ऑपरेशन महादेव ने लश्कर-ए-तैयबा के एक छाया संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) से जुड़े इन आतंकवादियों को खुफिया जानकारी के आधार पर ट्रैक किया और समाप्त किया। इस अभियान में चीनी सैटेलाइट फोन के सिग्नल का उपयोग करके आतंकवादियों को ट्रैक किया गया था।
आतंकवादियों द्वारा उन्नत संचार विधियों का उपयोग करने के बावजूद, भारतीय खुफिया एजेंसियों की ऐसी जानकारी को इंटरसेप्ट करने और उसका उपयोग करने की क्षमता उच्च स्तर की तकनीकी निगरानी क्षमता और विशेषज्ञता को प्रदर्शित करती है। यह आधुनिक आतंकवाद विरोधी अभियानों में एक महत्वपूर्ण शक्ति गुणक है, जो पारंपरिक मानव खुफिया जानकारी से परे, मायावी आतंकी ठिकानों के खिलाफ सटीक लक्ष्यीकरण और पूर्व-खाली कार्रवाई की अनुमति देता है।
इन लगातार सफल अभियानों से पता चलता है कि भारतीय सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए एक समन्वित और गहन रणनीति पर काम कर रहे हैं। ऑपरेशन महादेव में उच्च मूल्य वाले लक्ष्यों को खत्म करने की सफलता ने आतंकवादी नेटवर्क को सतर्क कर दिया होगा, जिससे नए घुसपैठ के प्रयासों को बढ़ावा मिला होगा। इसके विपरीत, महादेव से प्राप्त खुफिया जानकारी या उसके बाद बढ़ी हुई सतर्कता ने सीधे शिवशक्ति के लिए सूचना प्रदान की होगी। "तालमेल और सिंक्रनाइज़ खुफिया जानकारी" का स्पष्ट उल्लेख इस संबंध का समर्थन करता है।
हालिया प्रमुख आतंकवाद-रोधी अभियान:
| विशेषता | ऑपरेशन शिवशक्ति (Operation Shivshakti) | ऑपरेशन महादेव (Operation Mahadev) |
| तिथि | 30 जुलाई, 2025 | 28 जुलाई, 2025 |
| स्थान | पुंछ, जम्मू-कश्मीर (नियंत्रण रेखा) | श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर |
| मुख्य उद्देश्य | घुसपैठ को रोकना, सीमा सुरक्षा | पहलगाम हमले के आतंकियों का सफाया |
| परिणाम | 2 आतंकवादी ढेर, 3 हथियार बरामद | 3 आतंकवादी ढेर (मास्टरमाइंड सहित) |
| शामिल बल | भारतीय सेना (व्हाइट नाइट कोर), JKP | भारतीय सेना (स्पेशल फोर्सेज, चिनार कोर), JKP, CRPF |
| प्राथमिक खुफिया | समन्वित खुफिया इनपुट | चीनी सैटेलाइट फोन सिग्नल, टिप-ऑफ |
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