संसद में सुरक्षा नीति पर घमासान, पहलगाम के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति केंद्र में
मानसून सत्र के छठे दिन आतंकवाद और सेना की कार्रवाई पर सत्ता और विपक्ष में टकराव
नई दिल्ली: संसद का मानसून सत्र 2025 अपने छठे दिन पर राजनीतिक तूफानों का गवाह बना, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले और उसके बाद शुरू किए गए सेना के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ को लेकर लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में जमकर बहस हुई। विपक्ष ने सरकार से सवाल किया कि सुरक्षा एजेंसियों को इनपुट मिलने के बावजूद इतनी बड़ी चूक कैसे हुई। साथ ही ऑपरेशन ‘सिंदूर’ की पारदर्शिता और सफलता पर भी सवाल उठाए गए।

सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी सुरक्षा बलों की सराहना की और सांसदों से संयम बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि देश की एकता और अखंडता से जुड़े मुद्दों पर राजनीति से ज़्यादा राष्ट्रहित को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
राज्यसभा में भी विपक्षी नेताओं ने घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच की मांग की, जबकि सत्तापक्ष ने सुरक्षा एजेंसियों की नीतियों का समर्थन करते हुए कहा कि ऐसे समय में सेना के मनोबल को कमजोर करना अनुचित है।
इस सत्र में केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि आतंकियों की पहचान हो चुकी है और ऑपरेशन सिंदूर को जम्मू-कश्मीर पुलिस, CRPF और भारतीय सेना की संयुक्त टुकड़ी अंजाम दे रही है। यह भी बताया गया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में अलर्ट बढ़ा दिया गया है और राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।
सत्र के अंत में गृह मंत्रालय की ओर से एक लिखित बयान दिया गया, जिसमें इस बात की पुष्टि की गई कि पहलगाम में हुई आतंकी घटना का संबंध सीमा पार से आतंकवाद फैलाने वाली गतिविधियों से है और इस दिशा में कूटनीतिक प्रयास भी जारी हैं।
पूरा दिन संसद में राष्ट्र सुरक्षा, कश्मीर, सेना की भूमिका, और राजनीति की जुगलबंदी देखने को मिली। मानसून सत्र के आने वाले दिनों में यह मुद्दा और तीखा हो सकता है।
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