पीबीसीएमएस के सचिव बीरबल उरांव की गिरफ्तारी मामले पर चाय मजदूरों ने कहा - उन्हें फंसाने की लंबे समय से चल रही थी साजिश

बीरबल उरांव की गिरफ्तारी से अलीपुरद्वार जिले के चाय मजदूरों में आक्रोश, पश्चिम बंग चा मजूर समिति ने ने तत्काल न्याय की मांग की है बीरबल उरांव को अलीपुरद्वार कोर्ट ने जमानत दे दी, पीबीसीएमएस ने पूरे मामले के तकनीकी व अंदरूनी पहलुओं को भी उजागार किया है

पीबीसीएमएस के सचिव बीरबल उरांव की गिरफ्तारी मामले पर चाय मजदूरों ने कहा - उन्हें फंसाने की लंबे समय से चल रही थी साजिश

 

 

Birbal Oraon
यह उस वीडियो का फुटेज है, जिसमें बीरबल उरांव हसिया से सिर्फ कुछ पौधों के उपरी हिस्सों को गुस्से में काटते दिख रहे हैं, जबकि शामुकतला पुलिस का कहना है कि उसे चाय बागान के प्रबंधन के लोगों ने खुद पर हमले की शिकायत दी है और उसके आधार पर गिरफ्तारी हमने की है।

 
अलीपुरद्वार (पश्चिम बंगाल) : पश्चिम बंगाल के चाय मजदूरों व उनके लिए संघर्ष करने वाले यूनियन नेताओं का दमन लगातार जारी है। ऐसी घटनाओं के सबसे दुर्भाग्यपूर्ण मोड़ में श्रीनाथपुर टीजी के प्रबंधन द्वारा प्रस्तुत एक शिकायत के आधार पर बुधवार, सात अगस्त 2024 को पश्चिम बंग चा मजूर समिति के सचिव बीरबल उरांव को शामुकतला पुलिस स्टेशन द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें बिना पूर्व सूचना के सात अगस्त को शाम 6.20 बजे गिरफ्तार किया गया और इस संबंध में एफआइआर नंबर 212/2024 है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता के तहत धारा  329(3)/329(4)/115(2)/324(4)/351(2) लगायी गयी हैं। इस संबंध में बीरबल को 5 बजे शाम पुलिस ने हिरासत में लिया था। रात नौ बजे बीरबल की पत्नी अंजली उरांव को कई बार फोन करने के बाद ही मामले की जानकारी दी गई।

मामले में सभी धाराएं जमानती हैं और 2 साल से कम की सजा का प्रावधान है। बिना पूर्व सूचना के उनकी गिरफ्तारी स्थापित कानूनी सिद्धांतों का घोर उल्लंघन है, जो कानून के शासन और मौलिक अधिकारों की उपेक्षा को दर्शाती है। घटना के इतिहास और पुलिस के अनुचित व्यवहार को देखने के बाद कोर्ट ने उन्हें तुरंत जमानत दे दी।

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इस संबंध में चाय मजदूरों से की गई बातचीत में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि बीरबल उरांव चाय मजदूरों के मुद्दे पर लगातार संघर्ष कर रहे थे और बागान प्रबंधन के खिलाफ उन्होंने कई मुद्दे उठाये थे और अधिकारियों को लगातार उस संबंध में लिख रहे थे, इसलिए वे प्रबंधन के निशाने पर थे। उनके विरोधी इस ताक में थे कि कैसे उन्हें फंसाया जा सके।

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उनका कथित अपराध यह है कि बीरबल उरांव ने अपने पड़ोसी की जमीन पर कुछ पेड़ काट दिया। प्रबंधन दावा कर रहा है कि जमीन उसकी है। जमीन के मालिकाना हक को लेकर पहले से ही विवाद चल रहा है, पर तब भी उस जमीन के मालिक या कब्जाधारी के बजाय प्रबंधन ने शिकायत दर्ज कराई है। गौरतलब है कि श्रीनाथपुर टीजी कई वर्षों से लोगों की जमीनों पर अवैध रूप से कब्जा कर रहा है और अपना कब्जा बढ़ा रहा है।  

प्रबंधन द्वारा मजदूरों के खिलाफ एकपक्षीय कार्रवाई किये जाने से उनमें नौकरी से हटाने का भय होता है। हालांकि इस संवाददाता को नाम का उल्लेख नहीं करने की शर्त चाय श्रमिकों ने कुछ तथ्य बताए हैं। एक चाय श्रमिक ने कहा कि बीरबल उरांव द्वारा श्रमिक हित में उठाये जाने वाले मुद्दे व अधिकारियों को पत्र लिखने से प्रबंधन परेशान था और जिस जमीन को लेकर विवाद हुआ है उसे बीरबल उरांव के पुर्वजों ने ही प्रबंधन को दिया था। बीरबल उरांव उस जमीन पर सब्जी की खेती सिर्फ अपने निजी उपयोग के लिए करने की कोशिश करते थे, लेकिन प्रबंधन को लोग आकर उसे यह कहते हुए उजाड़ देते थे कि प्रबंधन ने उन्हें ऐसा करने के लिए भेजा है। जब पड़ोस में वे दूसरे की बागवानी का मुद्दा उठाते तो वे कर्मी कहते कि प्रबंधन ने हमें सिर्फ आपके खिलाफ कार्रवाई को कहा है। एक चाय श्रमिक ने कहा कि चौथी बार उनकी बगिया उजाड़ दी गई और बैगन को फेंक दिया गया। उन्होंने कहा था कि हम तो सब्जी लगा रहे हैं लोग बागान लगा रहे हैं। अपनी सब्जी की खेती को नष्ट किये जाने पर बिरबल ने बगल के सुपाड़ी के लगाये गये कुछ पेड़ों को काटा था और इसको आधार बना कर ही उन पर कार्रवाई की गई।

इस संबंध में शामुकतला पुलिस के एसआइ जगदीश ने पूछे जाने पर कहा कि प्रबंधन की शिकायत पर हमने बीरबल के खिलाफ कार्रवाई की है और उन्हें गिरफ्तार किया। प्रबंधन ने यह शिकायत दी कि बीरबल मैनेजर व बड़ा बाबू को मारने के लिए दौड़े और इस संबंध में वीडियो भी है। इस संवाददाता ने एसआइ जगदीश से वीडियो को सार्वजनिक किये जाने व साझा करने की बात कही तो उन्होंने कहा कि यह पार्ट ऑफ इन्वेस्टीगेशन है और साझा कर दिया जाएगा। हालांकि कुछ न्यूज वेबसाइट पर इस संबंध में जो खबरें आयीं उसमें बीरबल उरांव किसी व्यक्ति को मारने के लिए नहीं दौड़ते दिख रहे हैं, सिर्फ गुस्से कुछ छोटे पौधों के उपरी हिस्सों को काटते दिख रहे हैं।

यहां कुछ ऐसे तथ्य है तो मजदूरों के सवालों को सामने लाते हैं - 

  1.  बाग में जोत बीघे के 32-35 परिवार हैं। ये वे लोग हैं जिन्होंने बागान में स्थायी नौकरी के बदले अपनी 1-2 एकड़ जमीन प्रबंधन को दे दी थी, उन्हें अभी भी स्थायी नौकरी नहीं दी गई है और वे अपनी जमीन वापस मांग रहे हैं।
  2. लगभग 100 परिवार 1970 से लगभग 100-120 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं। 22 जून को प्रबंधन ने उनकी फसलें नष्ट कर दीं और यह जमीन अभी भी विवाद में है। 
  3. बीरबल उरांव और उनके परिवार के पास 1 एकड़ से अधिक ज़मीन का कब्ज़ा है, जिस पर वे 3-4 पीढ़ियों से खेती करते आ रहे हैं। चाय बागान प्रबंधन इस जमीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा है और 22 जून और कल  भी उन्होंने  फसलों को नष्ट करने की कोशिश की है। इस बात से थाना पुलिस और जिला प्रशासन भलीभांति परिचित है और उन्हें इस विवाद की शिकायत बीरबल से भी कई बार लिखित रूप से  मिली है। साथ ही, रिकॉर्ड में भी यह जमीन श्रीनाथपुर चाय बागान की नहीं बताई गई है।

जो जमीन  विवादित है,  पुलिस उस पर प्रबंधन की शिकायत लेने के लिए बहुत उत्सुक है।  लेकिन जब कर्मचारी पुलिस या किसी अन्य राज्य प्राधिकरण के समक्ष अपनी शिकायत दर्ज करने का प्रयास करते हैं, तब सरकारी अफसर शिकायत दर्ज करने में अत्यधिक अनिच्छा दिखाता है। 

बीरबल उरांव की गिरफ्तारी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सतेंदर कुमार अंतिल बनाम सीबीआई (2022) और अरनेश कुमार बनाम बिहार राज्य (2014) में निर्धारित कानूनी सिद्धांतों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन है। ये ऐतिहासिक फैसले कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए उचित प्रक्रिया का पालन करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं कि गिरफ्तारियां मनमाने ढंग से नहीं की जाएं। अर्नेश कुमार मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के लिए उचित प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का पालन करने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया कि गिरफ्तारी अंतिम उपाय का उपाय है, खासकर 7 साल तक की अधिकतम कारावास की सजा वाले अपराधों के लिए। इसी तरह, सतेंद्र कुमार अंतिल मामले में न्यायालय ने गैरकानूनी हिरासत के खिलाफ व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा के महत्व को दोहराया। 

पीबीसीएमएस ने गिरफ्तारी की निंदा की
पीबीसीएमएस ने बीरबल उरांव की इस गैरकानूनी गिरफ्तारी की कड़े शब्दों में निंदा की है। समिति ने कहा है कि हम घोषणा करते हैं कि बीरबल की गिरफ्तारी श्रमिकों के अधिकारों और कल्याण के लिए उनके सक्रिय संघर्ष के खिलाफ है। श्रीनाथपुर में ही, बीरबल ने श्रीनाथपुर बागान के मज़दूरों को सुप्रीम कोर्ट के एक मामले में शामिल होने में सक्रिय रूप से सहायता की है, जिसमें 2006 की रिट याचिका सिविल संख्या 365 और 2012 की अवमानना याचिका सिविल संख्या 16 शामिल है।  ये चाय बागान श्रमिकों को लंबित मजदूरी दिलाने के लिए  दायर किये गये थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर, उन्होंने श्रमिकों के वास्तविक बकाया की पुष्टि और स्थापित करने की प्रक्रिया में श्रम विभाग और पीएफ विभाग की सहायता की थी।  इस कार्रवाई से प्रबंधन नाराज हो गया क्योंकि उनका दावा था कि उनके बागान में कोई बकाया  नहीं था।

बीरबल उरांव ने श्रीनाथपुर बागान में प्रचलित भविष्य निधि पीएफ, ग्रेच्युटी, मातृत्व लाभ, बोनस इत्यादि जैसे वैधानिक लाभों के गैर.वितरण के बारे में गंभीर जमीनी हकीकत के खिलाफ श्रमिकों द्वारा प्रतिरोध भी तैयार किया है। श्रीनाथपुर प्रबंधन ऐसे मुद्दों में श्रमिकों की  शिकायत की चिठ्ठी लेते तक नहीं थे और वह इसके लिए अपना कार्यालय भी नियमित रूप से खुला नहीं रखते थे। बीरबल की मुहिम  की वजह से कई श्रमिकों को ग्रेच्युटी का आंशिक भुगतान मिला है, जो 20 या अधिक वर्षों से भुगतान नहीं किया गया था। भविष्य निधि विभाग द्वारा कई श्रमिकों को भविष्य निधि के लिए पंजीकृत नहीं करने पर प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई करवाने के लिए भी वह जिम्मेदार रहे हैं।

बीरबल को परेशान करने के लिए उनकी दो महिला रिश्तेदारों को अवैध रूप से इस आधार पर काम से बर्खास्त कर दिया गया कि वे विवादित बगीचे की भूमि पर कब्जा करने में बीरबल की सहायता कर रही थीं। इस मुद्दे को यूनियन ने उठाया था। सहायक श्रम आयुक्त ने बर्खास्तगी को अवैध घोषित कर दिया है, महिलाओं की बहाली और बर्खास्तगी की पूरी अवधि के लिए वेतन का भुगतान करने का आदेश दिया है। 

पीबीकेएमएस ने कहा है कि श्रमिकों को संघ में शामिल होने से रोकने के लिए बागान में लगातार आतंक का माहौल है। बीरबल उरांव जैसे सक्रिय ट्रेड यूनियनवादी की गिरफ्तारी न केवल श्रमिकों के अधिकारों को आगे बढ़ाने में हुई प्रगति को कमजोर करती है, बल्कि उन सभी को  जो न्याय और समानता के लिए लड़ते हैं, एक भयावह संदेश भी देती है।

पीबीसीएमएस ने कहा है, हम बीरबल उरांव की गिरफ्तारी को लेकर आसपास की परिस्थितियों की स्वतंत्र जांच की मांग करते हैं, विशेष रूप से उस विवादित जमीन से संबंधित मुद्दों पर जिस पर श्रीनाथपुर प्रबंधन अपना दावा करता है और जिस तरह से प्रबंधन श्रम अधिकारों का घोर उल्लंघन करता है। हम सभी संबंधित नागरिकों, श्रमिक संघों, मानवाधिकार संगठनों और समुदाय के नेताओं से भी आग्रह करते हैं कि वे इस अन्याय की निंदा करने और सभी श्रमिकों के अधिकारों की सुरक्षा की वकालत करने में हमारे साथ शामिल हों।

Edited By: Rahul Singh

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