इस करवा चौथ पर खल गयी स्वराज की कमी
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@Rahul Singh
महिलाओं के लिए करवा चौथ त्योहार काफी मायने रखती है. पश्चिमी व मध्य भारत में अधिकतर हिंदू महिलाएं यह त्योहार पूरे उत्साह व उल्लास से मनाती हैं और पति की सलामती व लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. अब पूर्वी भारत में भी तेजी से हिंदू महिलाओं के बीच यह त्योहार लोकप्रिय हो रहा है. 17 अक्तूबर को करवा चौथ संपन्न हो गया, लेकिन इस बार इस मौके पर सुषमा स्वराज की कमी खल गयी.
पिछले कई सालों से सुषमा स्वराज एक तरह से करवा चौथ त्योहार का प्रतीक चिन्ह बनी हुई थीं. करवा चौथ के न्यूज कवरेज के लिए अखबार, टीवी चैनल और न्यूज वेबसाइट सुषमा स्वराज की तसवीरों एवं फुटेज का ही प्रयोग करते थे. अखबारों में इस त्योहार की खबरों के साथ सामान्यतः उनकी तसवीर ही प्रमुखता से छपती थी. लेकिन, भाजपा की इस दिग्गज नेता के दिवंगत हो जाने के कारण इस बार ऐसा नहीं हो सका.
सुषमा स्वराज की इसी वर्ष बीमारी की वजह से छह अगस्त को निधन हो गया. उन्होंने लोकसभा चुनाव से कई महीने पहले अपनी सीट विदिशा या कहीं अन्य से लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था और स्वास्थ्य को ही इसकी वजह बताया था. हालांकि तब एक तबके ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी प्रतिद्वंद्विता से जोड़ कर देखने का प्रयास किया, लेकिन वास्तव में स्वास्थ्य ही इसकी वजह थी. ध्यान रहे कि भाजपा की दूसरी पीढी में नरेंद्र मोदी और सुषमा स्वराज दो राजनेता सबसे प्रभावशाली वक्ता माने जाते हैं.
सुषमा स्वराज की परंपरागत भारतीय महिला की वेशभूषा में करवा चौथ वाली तसवीरों के इस बार नहीं होने के वजह से अखबारों में भी एक सूनापन लगा. सुषमा स्वराज पेशे से वकील थीं और उन्होंने एक अधिवक्ता स्वराज कौशल से 1975 में विवाह किया था. दोनों एक आदर्श दंपती थे. स्वराज कौशल भी राजनीति में सक्रिय रहे, लेकिन वे सुषमा के इतनी उंचे मुकाम पर नहीं पहुंच सके. सुषमा स्वराज की विराट राजनीतिक शख्सियत उनके परिवार पर कभी भारी नहीं पड़ी, बल्कि घर में वे एक सामान्य भारतीय महिला की तरह ही रहती एवं नजर आती थीं, जिनके लिए परिवार की प्राथमिकता होती है.
Edited By: Samridh Jharkhand