झारखंड : पीके वर्मा को प्रदूषण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाने के लिए प्रतीक शर्मा ने दायर की याचिका

पर्यावरण कार्यकर्ता प्रतीक शर्मा की ओर से दायर की गयी याचिका

उल्लेखनीय है कि विगत दिनों झारखंड सरकार ने राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक पद पर पीके वर्मा को नियुक्त किया और इसके साथ ही उनको झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अध्यक्ष भी बना दिया, जबकि सर्वोच्च न्यायालय और एनजीटी का स्पष्ट आदेश है कि झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पद पर वही व्यक्ति नियुक्त हो सकता है, जिसके पास पर्यावरण की विशेष योग्यता होगी.
इसके अतिरिक्त इस पद पर कोई ऐसा कर्मी या सरकारी अधिकारी नियुक्त नहीं होगा, जिस पद के साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हितों का टकराव हो.
वर्मा झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष और झारखंड के प्रधान मुख्य वन संरक्षक दोनों ही पदों पर कार्यरत हैं. इन दोनों पदों के बीच हितों का टकराव है, क्योंकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्णय के विरुद्ध अपील की सुनवाई के लिए राजस्व परिषद सदस्य की अध्यक्षता में बनी समिति में राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक भी एक सदस्य रहते हैं. इसके अतिरिक्त दोनों पदों के हितों में कार्य करने के दौरान भी अनेक प्रकार की बिंदुओं पर हितों का टकराव संभव है. वर्मा गणित विषय से स्नातक हैं, इनके पास प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पर नियुक्त होने के लिए आवश्यक पर्यावरण का विशेष ज्ञान नहीं है. इस प्रकार वे इस पद को धारण करने के लिए अयोग्य हैं.
वर्ष 2017 में दिए गए फैसला में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि इस फैसले के तिथि के 6 महीने के भीतर सभी राज्य सरकारों को एक नियमावली तैयार करनी होगी, जिसके आधार पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष की नियुक्ति होगी. झारखंड सरकार ने अब तक यह नियमावाली नहीं बनाया है.
जनहित याचिका में कहा गया है कि माननीय झारखंड उच्च न्यायालय झारखंड सरकार को निर्देश दे कि वह पीके वर्मा को झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के अध्यक्ष पद से हटाए, इस पद पर पर्यावरण का विशेष ज्ञान रखने वाले व्यक्ति को नियुक्त करें तथा अविलंब इस पद पर नियुक्ति के लिए एक नियमावली बनाए.
याचिका में यह भी कहा गया है कि पीसीसीएफ प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद पर रहते हुए वर्मा की भूमिका पर्यावरण संरक्षण एवं वन्य प्राणी संरक्षण के विरुद्ध रही है. साथ ही कतिपय मामलों में इन्होंने राज्य सरकार के वित्तीय भुगतान के निर्देशों की अवहेलना की है तथा मनमाना कार्य किया है. इस प्रकार वे प्रधान मुख्य वन संरक्षक और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष पदों की जिम्मेदारी वाहक करने लायक नहीं है.