ऊर्जा क्षमता वृद्धि में अगर सौर नंबर वन, तो नंबर दो पर पवन

वैश्विक ऊर्जा थिंक टैंक एम्बर के नए विश्लेषण से पता चलता है कि 2022 में भारत की बिजली क्षमता में वृद्धि का बहुमत (92%) सौर और पवन से चलित था। इस साल, जी20 शिखर सम्मेलन के होने से पहले यह मज़बूत वृद्धि देश के जलवायु नेतृत्व ग्रहण करने के लिए मंच तैयार करती है। कोयला केवल 5% के लिए ज़िम्मेदार है।

एम्बर का विश्लेषण भारत के न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी (नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा) मंत्रालय के डाटा का उपयोग करके 2022 रिन्यूएबल एनर्जी लक्ष्यों की तुलना में भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मासिक प्रगति को ट्रैक करता है।
विश्लेषण से पता चलता है कि राजस्थान और गुजरात 2022 में सबसे अधिक रिन्यूएबल बिजली क्षमता वृद्धि के साथ शीर्ष दो राज्यों के रूप में उभरे हैं, विशेष रूप से सौर के नेतृत्व में। दोनों राज्यों ने 8.6 गीगावाट सौर ऊर्जा जोड़ी, जो 2021 तक तुर्की के पूरे सौर बेड़े से अधिक है।
राजस्थान ने 2022 में अतिरिक्त 6.7 गीगावाट सौर और पवन क्षमता स्थापित की। यह वृद्धि पिछले वर्ष भारत की कुल सौर और पवन क्षमता तैनाती का 43% है। यह भारत के इतिहास में राज्य स्तर पर अब तक की सबसे बड़ी वार्षिक संयुक्त सौर और पवन क्षमता वृद्धि रही ।
गुजरात ने 2022 में 3.1 गीगावाट सौर और पवन स्थापित किया, जो राजस्थान के कुल इंस्टालेशन का लगभग आधा है। विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि गुजरात में अब 18.5 गीगावाट स्वच्छ बिजली क्षमता है, जो वर्ष के लिए इसके नियोजित लक्ष्य से अधिक है।
एम्बर के विश्लेषण से पता चलता है कि रिन्यूएबल उत्पादन क्षमता में वृद्धि राजस्थान और गुजरात में केंद्रित रहेगी। राजस्थान और गुजरात का लक्ष्य क्रमशः 2030 तक 90 गीगावाट और 61 गीगावाट रिन्यूएबल क्षमता तक पहुंचने का है। इन लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए राजस्थान और गुजरात को अगले आठ वर्षों के लिए सालाना क्रमशः लगभग 8.6 गीगावाट 5.4 गीगावाट रिन्यूएबल क्षमता लानी होगी।
अगर ये 2030 लक्ष्य हासिल किये जाते हैं तो 2030 तक भारत के 450 गीगावाट के कुल रिन्यूएबल क्षमता लक्ष्य का एक तिहाई हिस्सा इन दो राज्यों में रिन्यूएबल क्षमता, जिसमे से अधिकांश सौर और पवन हैं, से होगा।
एम्बर के एशिया डाटा विश्लेषक, यूनी ली ने कहा, “भारत, विशेष रूप से राजस्थान और गुजरात राज्यों, ने दुनिया को दिखाया है कि सौर और पवन की तेज़ी से तैनाती न केवल संभव है, बल्कि अभी ही हो रही है। जब देश इस वर्ष जी20 की अध्यक्षता कर रहा है, भारत सौर और पवन ऊर्जा को फैलाने से स्वच्छ बिजली उत्पादन को सक्षम करने की संभावनाओं पर जलवायु नेतृत्व के एक प्रमुख उदाहरण के रूप में लेने के लिए अच्छी स्थिति में है।”