स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य के लिए भारत को ढाई गुणा गति से करना होगा क्षमता विस्तार : एंबर

स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य के लिए भारत को ढाई गुणा गति से करना होगा क्षमता विस्तार : एंबर

भारत नवीनीकृत ऊर्जा के जरिए जलवायु नेतृत्व की स्थिति में, लेकिन कुछ चुनिंदा राज्य की कर रहे हैं एनर्जी ट्रांजिशन प्रक्रिया की अगुवाई

रांची : एनर्जी थिंकटैंक एंबर ने 17 मार्च 2023 को भारत में स्वच्छ .ऊर्जा क्षमता पर अपनी नई रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट में स्वच्छ .ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की तारीफ की गयी है और कहा गया है कि राजस्थान और गुजरात जैसे राज्य इस उपलब्धि को लीड कर रहे हैं, लेकिन कम से कम चार पूर्वी राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड व ओडिशा की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। एंबर की यह स्टडी नवीन और नवीनीकृत .ऊर्जा मंत्रालय के डेटा के विश्लेषण पर आधारित है।

इस अध्ययन के अनुसार, राजस्थान और गुजरात ने साल 2022 में भारत की सौर ऊर्जा क्षमता में 8.6 गीगावाट क्षमता को जोड़ा। राजस्थान की सौर व पवन ऊर्जा क्षमता में 6.7 गीगावाट की वृद्धि बीते वर्ष हुई। इसने वर्ष 2022 में अकेले भारत की सौर व पवन .ऊर्जा क्षमता में 43 प्रतिशत वृद्धि की। अब तक भारत में राज्य स्तर पर एक साल में स्वच्छ ऊर्जा क्षमता में यह सबसे बड़ा योगदान है। भारत की स्वच्छ ऊर्जा क्षमता में वर्ष 2022 में 15.7 गीगावाट की वृद्धि हुई जो वर्ष 2021 से 17 प्रतिशत अधिक है। भारत ने 2030 तक 450 गीगावाट स्वच्छ ऊर्जा का लक्ष्य साल 2030 के लिए रखा है और इन दो राज्यों का साझा लक्ष्य 151 गीगावाट है, जो देश के लक्ष्य का एक तिहाई है।

राजस्थान ने 2030 तक 90 गीगावाट स्वच्छ ऊर्र्जा का लक्ष्य रखा है और इसके लिए उसे हर साल अपने खाते में 8.6 गीगावाट क्षमता जोड़ना होगा। वहीं, गुजरात ने 2030 तक 61 गीगावाट का लक्ष्य रखा है और इसके लिए उसे हर साल 5.4 गीगावाट की क्षमता जोड़ना होगा।

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एंबर ने राजस्थान व गुजरात जैसे राज्यों की अच्छी उपलब्धि के बावजूद अपने विश्लेषण के आधार पर कहा है कि 2030 के निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को अपनी मौजूदा स्व्च्छ ऊर्जा क्षमता हासिल करने की रफ्तार को ढाई गुणा करना होगा

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2030 के लक्ष्य के लिए 91 महीना में 334 गीगावाट क्षमता विस्तार की जरूरत

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भारत को अगले 91 महीने में अपनी क्षमता में 334 गीगावाट की वृद्धि करनी होगी। यानी हर महीने भारत को अपने स्वच्छ ऊर्जा खाते में 3.7 गीगावाट जोड़ना होगा। यह जनवरी से अगस्त 2022 के बीच के औसत इंस्टालेशन दर 1.4 गीगावाट का दोगुणा है।

अगर वर्ष 2022 के लक्ष्य और हासिल की तुलना की जाए तो भारत की अगस्त 2022 में इंस्टाल स्वच्छ ऊर्जा क्षमता 116 गीगावाट थी, जबकि 2022 का लक्ष्य 175 गीगावाट है। यानी अगस्त तक पिछले साल के लक्ष्य का भारत 66 प्रतिशत हासिल कर पाया।

नए पवन ऊर्जा संयंत्र में भारत मात्र सात प्रतिशत क्षमता की वृद्धि कर पाया। भारत की नवीनीकृत ऊर्जा क्षमता में पवन ऊर्जा की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है।

सभी नई नवीकरणीय क्षमता में पवन की हिस्सेदारी पिछले वर्ष की समान अवधि के 12 प्रतिशत से घटकर इस वर्ष केवल 10 प्रतिशत रह गई। जनवरी से अगस्त 2022 तक लघु पनबिजली और जैव ऊर्जा ने सभी नवीकरणीय विकास में केवल एक प्रतिशत का योगदान दिया। विश्लेषण के अनुसार, साल 2022 में सौर और पवन ऊर्जा ने भारत की ऊर्जा क्षमता के सकल विस्तार में 92 प्रतिशत का योगदान दिया। जबकि कोयला का इस वृद्धि में योगदान मात्र पांच प्रतिशत रहा।

एंबर की डेटा एनालिस्ट (एशिया) यूनी ली के अनुसार, “भारत विशेष रूप से राजस्थान एवं गुजरात जैसे राज्यों ने दुनिया को दिखा दिया है कि सौर और पवन ऊर्जा क्षमता को न सिर्फ तेजी से प्रतिनियोजित किया जा सकता है, बल्कि यह हो भी रहा है। भारत सौर और पवन ऊर्जा के जरिए स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन क्षमता की एक प्रमुख संभावनाओं के उदाहरण के रूप में जलवायु नेतृत्व को हासिल करने के लिए अच्छी स्थिति में है”।

पिछले साल गुजरात चौथा राज्य बन गया जिसने अपने नवीनीकृत ऊर्जा को हासिल कर आगे निकल गया। इससे पहले राजस्थान, कर्नाटक और तेलंगाना सरप्लस नवीनीकृत ऊर्जा क्षमता हासिल कर चुका है। वहीं, बिहार, उत्तरप्रदेश, पंजाब, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, ओडिशा सहित कई दूसरे राज्य लक्ष्य से काफी पीछे हैं। इस लिंक को क्लिक कर आप ग्राफ देख सकते हैं। इन राज्यों को इस क्षेत्र में काफी काम करने की जरूरत होगी।

झारखंड की स्वच्छ ऊर्जा की इंस्टाल क्षमता 103.26 मेगावाट है, जबकि उसका 2022 तक उसका लक्ष्य 2005 मेगावाट है। बिहार की इंस्टाल क्षमता 389.61 मेगावाट है, जबकि उसका लक्ष्य 2762 मेगावाट है। पश्चिम बंगाल के 5386 मेगावाट क्षमता के लक्ष्य की तुलना में उसका हासिल मात्र 602.03 मेगावाट है, जबकि ओडिशा के 2377 मेगावाट के लक्ष्य की तुलना में हासिल 627.57 मेगावाट है। दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना सहित कई दूसरे राज्यों के भी लक्ष्य और मौजूदा क्षमता में बड़ा फासला है।

 

Edited By: Samridh Jharkhand

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