अदालत के आदेश के बाद भी नरेगा मजदूर असमंजस में, पीबीकेएमएस ने जारी किया बयान
कोलकाता : कलकत्ता हाइकोर्ट द्वारा नौ जनवरी 2023 को पश्चिम बंगाल के मनरेगा श्रमिकों के बकाय भुगतान के संबंध में पश्चिम बंग खेत मजूर समिति – पीबीकेएमएस की याचिका पर दिए गए फैसले के बाद भी राज्य के मनरेगा श्रमिक असमंजस में हैं। इसको लेकर पीबीकेएमएस ने रविवार को एक बयान जारी कर पूरी स्थिति पर अपना पक्ष रखा है।
मनरेगा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए लगातार संघर्ष कर रहे पीबीकेएमएस ने अपने बयान में कहा है कि कलकत्ता हाइकोर्ट ने इस मामले को जिलाधिकारियों द्वारा उचित कार्रवाई करने के आदेश करने के साथ निबटा दिया है। पीबीकेएमएस ने दिसंबर 2021 से मनरेगा श्रमिकों को नहीं दी गयी मजदूरी के भुगतान के लिए आदेश की मांग की थी और पीड़ित श्रमिकों का विवरण प्रदान किया गया था।
पीबीकेएमएस ने कहा है कि इसके साथ ही मुआवजे के भुगतान की मांग, नए कार्याें की शुरुआत, बेरोजगारी भत्ता का भुगतान और भ्रष्टाचार से निबटने के लिए सोशल ऑडिट कराने की मांग की थी। अदालत के आदेश ने समिति को मिश्रित भावनाओं के साथ छोड़ दिया है।
पीबीकेएमएस ने कहा है कि यह इस मामले की केवल दूसरी तारीख थी और हम एक ओर मामले के जल्द निबटाने से खुश हैं, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार ने हमारी याचिका पर अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
साथ ही समिति को विभिन्न जिलों में जिलाधिकारियों को पीड़ित श्रमिकों का विवरण प्रस्तुत करने की अनुमति दी गयी है, जिन पर हमारे दावों की प्राप्ति के तीन महीने के अंदर जांच करने व कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। समिति ने कहा है कि हम डीएम को दिए गए इस दिशा निर्देश का स्वागत करते हैं, जो हमारे प्रतिनिधिमंडल और हमारे दावों के साथ हमारे अभ्यावेदन की अनदेखी करते रहे हैं।
पीबीकेएमएस ने आदेश की कुछ जटिलताओं का जिक्र करते हुए कहा है कि अति परिष्कृत और जटिल कम्प्यूटरीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली के साथ, राज्य और केंद्र दोनों सरकारों के पास पहले से ही श्रमिकों के बकाया, काम के लिए आवेदन और अन्य सभी अधिकारों के बारे में जानकारी है। आदेश हालांकि इस जानकारी को एक बार फिर से एकत्र करने का दायित्व उन श्रमिकों पर डालता है, जो पहले से ही अवैतनिक मजदूरी के कारण गरीबी और अभाव से जूझ रहे हैं।
समिति ने कहा है कि वह श्रमिकों की मांग के लिए तबतक काम करती रहेगी, जब तक उन्हें उनका पारिश्रमिक और काम का अधिकार नहीं मिल जाता है। समिति ने घोषणा की है कि वह विभिन्न जिलों के श्रमिकों की देय मजदूरी, काम के लिए आवेदन और अन्य मांगों से संबंधित विवरण एकत्र करेगी और इसे जल्द से जल्द जिला मजिस्ट्रेट को सौंपेगी। समिति ने इसके लिए सभी नरेगा श्रमिकों से अपने दावे दर्ज करने का आह्वान किया है। समिति ने कहा है कि राज्य सरकार ने मनरेगा में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं और न ही संकट से निबटने के लिए कोई कदम उठाया है।