घासी समाज को जनजाति का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सौंपेंगे ज्ञापन
दुर्गा पूजा के तुरंत बाद शुरू होगा आंदोलन; रूपरेखा तैयार, केंद्र से न्याय की अपील
झारखंड के घासी समाज ने लंबे समय से अपनी मांग को लेकर दिल्ली में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय जनजाति मंत्री को ज्ञापन सौंपने का फैसला किया है। समाज एसटी दर्जा पाने के लिए संघर्षरत है, ताकि शिक्षा, रोजगार और विकास योजनाओं में उचित लाभ प्राप्त किया जा सके।
रांची: झारखंड के घासी समाज ने अपनी लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है। दुर्गा पूजा के समापन के तुरंत बाद घासी समाज का एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल दिल्ली रवाना होकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय जनजाति मंत्री को ज्ञापन सौंपेगा। इस ज्ञापन के माध्यम से समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा प्रदान करने की मांग दोहराई जाएगी। इसके बाद प्रतिनिधिमंडल आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर लौटेगा और पूरे राज्य स्तर पर आंदोलन की औपचारिक घोषणा करेगा।

आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने कहा, "घासी समाज की यह मांग न्यायपूर्ण है। हम केंद्र सरकार से अपील करते हैं कि ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर समाज को एसटी का दर्जा प्रदान करे। यदि शीघ्र कार्रवाई न हुई, तो शांतिपूर्ण आंदोलन के माध्यम से अपनी आवाज बुलंद करेंगे।" प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख सदस्यों में नायक के अलावा समाज के अन्य वरिष्ठ नेता शामिल होंगे।
नायक ने आगे कहा कि घासी समाज के लोग लंबे समय से इस मांग को लेकर संघर्षरत हैं। हाल ही में विभिन्न मंचों पर ईमेल एवं ज्ञापन के माध्यम से प्रधानमंत्री कार्यालय एवं जनजाति मंत्रालय को अवगत कराया गया है। समाज के नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि मांग पूरी न हुई, तो आंदोलन राज्यव्यापी रूप ले सकता है, जिसमें धरना, रैली एवं अन्य शांतिपूर्ण तरीके अपनाए जाएंगे। घासी समाज सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों एवं जनता से अपील करता है कि इस न्यायपूर्ण मांग में उनका साथ दें।
Mohit Sinha is a writer associated with Samridh Jharkhand. He regularly covers sports, crime, and social issues, with a focus on player statements, local incidents, and public interest stories. His writing reflects clarity, accuracy, and responsible journalism.
