स्पीकर रवींद्रनाथ महतो का संबोधन: लोकतंत्र सिर्फ प्रणाली नहीं, जनआस्था का प्रतीक
शोक और संकल्प के साथ झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र शुरू
स्पीकर ने कहा कि इस सत्र में प्रस्तुत किया जाने वाला प्रथम अनुपूरक बजट राज्य की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ सामाजिक कल्याण, संरचनागत विकास और शिक्षा-स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों को नई गति देगा.
रांची: झारखंड विधानसभा मानसून सत्र के पहले दिन झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने प्रारंभिक शोक प्रकाश और प्रारंभिक वक्तव्य के साथ शुरू हुआ. उन्होंने कहा कि हम सभी का कर्तव्य है कि हम मर्यादित आचरण और जिम्मेदारी के साथ इस सदन की गरिमा को बनाए रखें. उन्होंने कहा कि हमारा दायित्व केवल कानून बनाना नहीं, बल्कि जनता की उम्मीदों का सम्मान करते हुए रचनात्मक बहस का वातावरण तैयार करना भी है. स्पीकर ने महादेवी वर्माकी पंक्तियां अंधकार में जो दीप जलाए वही सच्चा मानव कहलाए... को याद करते हुए कहा कि हमे लोकतंत्र के उस दीपक को जलाए रखना है, जो जनता के विश्वास से प्रज्जवलित होता है. दुनिया भर की घटनाएं हमें यह सिखाती है कि लोकतंत्र केवल शासन प्रणली नहीं, बल्कि जनआस्था का प्रतीक है.
प्रथम अनुपूरक बजट और महत्वपूर्ण विधेयक

गुरुजी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की गई
स्पीकर ने कहा कि सभी को जानकारी है कि दिशोम गुरु शिबू सोरेन का स्वास्थ्य इन दिनों अच्छा नहीं है. इस राज्य में उनका योगदान के परिपेक्ष्य में उनकी भूमिका किसी से छिपा हुआ नहीं है. हम उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं.
दिवंगत विभूतियों को दी गई श्रद्धांजलि
सत्र की शुरुआत विगत सत्र से अब तक दिवंगत हुईं प्रमुख हस्तियों को श्रद्धांजलि देने के साथ हुई. इनमें पूर्व सांसद चंद्रशेखर दूबे, पूर्व विधायक युगल किशोर पांडेय, और झारखंड आंदोलनकारी कपूर कुमार टुडू जैसे कई नाम शामिल हैं. इसके अलावा, शोक प्रकाश में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पोप फ्रांसिस, अभिनेता मनोज कुमार, वैज्ञानिक डॉ. जयंत नार्लीकर, और पूर्व इसरो प्रमुख के. कस्तूरीरंगन सहित कई हस्तियों को भी याद किया गया. सदन ने दो मिनट का मौन रखकर इन सभी को श्रद्धांजलि दी.
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
