ग्राम प्रधान से मंत्री तक: रामदास सोरेन की संघर्षगाथा

गांव-गांव पैदल घूमकर बनाई थी जनाधार की नींव

ग्राम प्रधान से मंत्री तक: रामदास सोरेन की संघर्षगाथा
रामदास सोरेन (फाइल फोटो)

रामदास सोरेन ने राजनीति की शुरुआत ग्राम प्रधान से की और जनता से गहरे जुड़ाव के बल पर झारखंड की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान बनाया. मेहनत और संघर्ष ने उन्हें मंत्री पद तक पहुंचाया. 2005 में टिकट न मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ते हुए रामदास सोरेन ने जनता का अपार समर्थन पाया. 35 हजार वोट लेकर उन्होंने अपनी लोकप्रियता साबित की और झारखंड की राजनीति में मजबूत पहचान बनाई.

रांची: दिल्ली के निजी अस्पताल में शुक्रवार को झारखंड के स्कूली शिक्षा, साक्षरता एवं निबंधन मंत्री और झामुमो के वरिष्ठ नेता रामदास सोरेन ने अंतिम सांस ली. 2 अगस्त को जमशेदपुर स्थित आवास पर बाथरूम में गिरने से उन्हें गंभीर चोटें आई थीं, जिसके बाद एयरलिफ्ट कर दिल्ली लाया गया था. तब से वह लाइफ सपोर्ट पर थे.

शिक्षा सुधारों के मजबूत पैरोकार रहे रामदास सोरेन

जमशेदपुर के को-ऑपरेटिव कॉलेज से स्नातक किए रामदास सोरेन ने हमेशा सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता सुधारने और आदिवासी अंचलों में शिक्षा का दायरा बढ़ाने पर जोर दिया. मंत्री बनने के बाद उन्होंने खुद स्कूलों का दौरा कर बच्चों और शिक्षकों की समस्याएं सुनीं. उनकी पहचान जमीन से जुड़े नेता और शिक्षा सुधारक की रही.

ग्राम प्रधान से शुरू हुई राजनीति, तीन बार बने विधायक

1 जनवरी 1963 को पूर्वी सिंहभूम के घोराबांधा गांव में जन्मे रामदास सोरेन ने अपनी राजनीति की शुरुआत ग्राम प्रधान के तौर पर की. जनता से निरंतर जुड़ाव ने उन्हें राज्य की राजनीति में बड़ा मुकाम दिलाया. 2009 में पहली बार विधायक बने, 2019 और 2024 में घाटशिला से लगातार जीत दर्ज की.

निर्दलीय लड़कर भी साबित किया था राजनीतिक कद

वर्ष 2005 में कांग्रेस-झामुमो गठबंधन के कारण टिकट न मिलने पर सोरेन ने पार्टी पद से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ा. 35 हजार वोट पाकर उन्होंने यह साबित किया कि जनता में उनकी मजबूत पकड़ है. 2009 में झामुमो ने उन्हें टिकट दिया और वे पहली बार विधानसभा पहुंचे.

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2014 में हार, लेकिन जनता से जुड़ाव बनाए रखा

2014 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार लक्ष्मण टुडू से हारने के बावजूद सोरेन ने हार नहीं मानी. वे लगातार अपने क्षेत्र में सक्रिय रहे और जनता के बीच भरोसा बनाए रखा. इसका नतीजा यह रहा कि 2019 और 2024 में उन्होंने दोबारा भारी बहुमत से जीत दर्ज की.

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मंत्री बनने पर पैतृक गांव में मना था जश्न

2024 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद कैबिनेट मंत्री बनते ही उनके पैतृक गांव खरस्वती और पूरे घाटशिला में जश्न का माहौल था. ग्रामीणों ने मिठाइयां बांटीं और लोगों ने कहा था—“रामदास बाबू गरीब-गुरबा की सेवा के लिए बने हैं.”

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अचानक हादसे ने छीन लिया लोकप्रिय नेता

2 अगस्त की सुबह बाथरूम में गिरने से उनके सिर में गंभीर चोट लगी. ब्लड क्लॉटिंग और ब्रेन हेमरेज के चलते उनकी हालत बिगड़ गई. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर एयरलिफ्ट कर दिल्ली भेजा गया. इलाज के दौरान शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.

राज्य में शोक की लहर, नेताओं ने जताया दुख

उनके निधन पर राज्यपाल संतोष गंगावार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन और विधायक कल्पना मुर्मू सोरेन सहित कई नेताओं ने गहरी संवेदना व्यक्त की. झामुमो ने इसे पार्टी और राज्य की अपूरणीय क्षति बताया.

 

 

 

Edited By: Mohit Sinha
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Mohit Sinha is a writer associated with Samridh Jharkhand. He regularly covers sports, crime, and social issues, with a focus on player statements, local incidents, and public interest stories. His writing reflects clarity, accuracy, and responsible journalism.

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