मुख्य सचेतक और सचेतक के चयन में भाजपा ने जातीय समीकरण का रखा ख्याल, वरिष्ठ विधायकों को मौका
राजनीतिक संतुलन और भविष्य की रणनीति के तहत पार्टी ने नए चेहरों को मौका दिया
भाजपा ने नेतृत्व में नई जान फूंकते हुए दूसरी पंक्ति के विधायकों को आगे लाने का साहसी कदम उठाया है. अनुभवी विधायकों के नहीं होने की भरपाई अब नवीन जयसवाल, नागेंद्र महतो और राज सिन्हा जैसे नेताओं को जिम्मेदारी देकर की जा रही है.
रांची: लंबे इंतजार और गहन विचार विमर्श के बाद भारतीय जनता पार्टी ने आज विधानसभा में मुख्य सचेतक और सचेतक के नामों का ऐलान आखिरकार कर दिया. मुख्य सचेतक और सचेतक के चयन में वरीयता और जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है. हटिया विधायक नवीन जयसवाल को मुख्य सचेतक और धनबाद और बगोदर विधायक क्रमशः राज सिन्हा और नागेंद्र महतो को सचेतक बनाया गया है. बाबूलाल मरांडी को पहले ही विधायक दल का नेता बनाया गया था. विधानसभा में दो महत्वपूर्ण पद खाली थे जिसे भर दिया गया है.

मुख्य सचेतक और सचेतक के चयन में भाजपा ने ऐसे लोगों को अवसर दिया है जो अब तक दूसरी पंक्ति में थे. इन्हें अब आगे कर नई जिम्मेदारी दी गई है. अब यह देखना है कि ये तीनों विधायक विधानसभा में किस तरह अपनी प्रतिभा दिखाते हैं. विपक्ष की भूमिका में सरकार को घेरते हैं. इनके लिए भी चुनौती कम नहीं है.
भाजपा ने जब आगे किया है तो प्रतिभा दिखानी होगी. पहचान बनानी होगी. नागेंद्र महतो तो दूसरी बार विधायक बने हैं. लेकिन नवीन जयसवाल और राज सिन्हा लंबे समय से विधानसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. नवीन जयसवाल को काफी अहमियत दी गई है. नवीन जयसवाल के सामने भी चुनौती पर खरे उतारने का मौका है. नवीन जयसवाल को अपनी काबिलियत सिद्ध करनी होगी.
विधानसभा में सबसे अधिक सरकार को घेरने और मुखर आवाज वाले विधायक रहे भानु प्रताप शाही, विरांची नारायण, अनंत ओझा और रणधीर सिंह इस बार सदन में नहीं हैं. उनकी कमी सदन में महसूस की जा रही है. अब यह जिम्मेदारी नए विधायकों को उठानी होगी. इसलिए भाजपा ने नए लोगों को आगे लाकर अवसर दिया है.
भाजपा में अब प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना है. सबकी नजर इसी पर टिकी है. प्रदेश अध्यक्ष कौन बनता है इससे भाजपा की दिशा और दशा तय होगी.
