अब ट्रेन नहीं होगी लेट, ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली से लैस हुआ रेलवे ट्रैक

 दुर्घटनाओं की आशंका भी होगी खत्म

अब ट्रेन नहीं होगी लेट, ऑटोमेटिक सिग्नल प्रणाली से लैस हुआ रेलवे ट्रैक

रेलवे नियम के अनुसार पहले स्टेशन से चलने के बाद जब तक ट्रेन दुसरी स्टेशन तक नहीं पहुंच पाती है। जब तक दुसरी ट्रेन नहीं चलायी जा सकती थी। एक स्टेशन से दुसरे स्टेशन पहुँचने में 12 मिनट लगता है। इस सिस्टम के तहत दो स्टेशनों के बीच तीसरा सिग्नल सिस्टम लगाने का कार्य किया जा रहा है। 

कोडरमा: रेलवे अधिक से अधिक ट्रेनों को चलाने के लिए लगातार नई तकनीकि लगा रहा है। इसके तहत दो स्टेशन के बीच स्वचालित सिंग्नल लगाने का कार्य धनबाद रेल मंडल में भी शुरू हो गया है। इसके तहत धनबाद रेल मंडल के टनकुपा पहाडपुर गुरपा में  24.168 किमी सिग्नल प्रणाली लगाने का कार्य पुरा कर लिया गया। इसके पहले अप्रैल माह में मानपुर से टपकुपा 16 किमी सिग्नल प्रणाली लगाने का कार्य पुरा कर लिया गया। इस कार्य के पुरा होने के बाद इस खंड पर रेलवे के नियम के अनुसार दो स्टेशनों के बीच की दुरी औसत 10 किमी की होती है। 


रेलवे नियम के अनुसार पहले स्टेशन से चलने के बाद जब तक ट्रेन दुसरी स्टेशन तक नहीं पहुंच पाती है। जब तक दुसरी ट्रेन नहीं चलायी जा सकती थी। एक स्टेशन से दुसरे स्टेशन पहुँचने में 12 मिनट लगता है। इस सिस्टम के तहत दो स्टेशनों के बीच तीसरा सिग्नल सिस्टम लगाने का कार्य किया जा रहा है। यह सिग्नल लगने के बाद एक स्टेशन से चलाने 5 मिनट के अंदर दुसरी ट्रेन चला दी जाती थी। यानि 10 मिनट में एक ट्रेन चलती थी। इस व्यवस्था में 10 मिनट में 2 ट्रेन चल सकेगी। धनबाद रेल मंडल के अंतर्गत प्रधानघंटा कोडरमा के रास्ते मानपुर तक 208 किमी के दायरे में सिग्नल प्रणाली लगाने का कार्य किया जाना है। 

इसके लिए रेलवे ने 201 करोड 47 लाख की राशिन आवंटित की है। बताते चले कि नई दिल्ली हावडा ग्रेड कोड सेक्सन के अंतर्गत कोडरमा के रास्ते हावडा से दिल्ली तक 160 किमी प्रतिघंटा की रफतार से ट्रेनों को चलाना है। इसी को लेकर रेलवे मिशन रफतार में जुटा है। एटोमेटिन सिंग्नल प्रणााली लगाने के क्रम में धनबाद रेल मंडल टनकुपा पहाडपुर और गुरपा में रेलवे के अधिकारी मोनेटरिंग करने में लगे रहे। इस कारण कुछ कुछ देर पर ट्रेनों की आवाजाही प्रभावित हुई। 


मौके पर धनबाद रेलमंडल के सहायक परिचालन प्रबंधक अभिषेक तिवारी उप दुर संकेत प्रबंधक आरएसपांडेय यातायात निरीक्षण पहाडपुर एन0केसिन्हा के अलाव गुरपा में कोडरमा के टीआई अरविन्द कुमार सुमन टनकुपा मंे धनबाद के टीआई नवीन कुमार उपस्थित थे। बताया गया कि आने वाले दिनों में घाट सेक्सन के साथ-साथ गझंडी से कोडरमा एवं अन्य स्टेशनों पर भी इस तरह की सिग्नल प्रणाली लगायी जायेगी। 

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इससे ट्रेनों की लेटलतीफी और दुर्धटना की आंशका को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है।  ट्रेन की लेटलतीफी और दुर्घटना की आशंका को खत्म करने के लिये कोडरमा गया रेलखंड के  रेलवे ट्रैक को ऑटोमैटिक सिग्नल प्रणाली से लैस कर दिया है। इस सिस्टम लगने से अब कई ट्रेन एक ही ट्रैक पर आसानी से चल सकेंगी।

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इस प्रणाली से बेधड़क ट्रेन दौड़तीं नजर आएंगी

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कोडरमा धनबाद गया के बीच सेक्शन में यह प्रणाली लगाने पर काम चल रहा है। इस प्रणाली से दुर्घटनाओं की आशंका पूरी तरह से खत्म होने का दावा किया गया है। अभी तक लीवर प्रणाली से ट्रेन को कण्ट्रोल किया जाता था। एक ट्रेन जब तक दूसरे स्टेशन तक नहीं पहुँच जाती थी, स्टेशन मास्टर का सन्देश न मिलने पर ट्रेन को कहीं भी खड़ा कर दिया जाता था।

 
इस प्रणाली से बेधड़क ट्रेन दौड़तीं नजर आयेगीं। 6 दिसम्बर 1906 को दिल्ली हावडा रूट पर परिचालन शुरू हुआ था और 118 साल के बाद यह प्रणाली बदल रही है और इस रेलखंड पर धनबाद से कोडरमा होकर प्रतिदिन 130 मालगाडी व एक्सप्रेस ट्रेनें का अप और डाउन में परिचालन होता है। इस सीस्टम को लागु होने के बाद 30 प्रतिशत अतिरिक्त गाडियॉ चलने लगेगी।  


ट्रेन बगैर किसी बाधा के आसानी से चल सकेगी

ऑटोमैटिक सिग्नल प्रणाली शुरू हो जाने से कोडरमा गया रेलखंड बीच यह प्रणाली लगने से ट्रेन खड़ी नहीं होगी। रेल अधिकारियों के मुताबिक ऑटोमेटिक सिग्नलिंग प्रणाली बिना किसी अतिरिक्त स्टेशनों के निर्माण और रखरखाव के साथ ही ज्यादा से ज्यादा ट्रेन चलाने को प्रमुख जंक्शन स्टेशन के ट्रैफिक को नियन्त्रित करने में मदद करता है। इसके चलते एक ही पटरी पर एक के पीछे एक ट्रेन बगैर किसी बाधा के आसानी से चल सकेगी।

7 से 8 मिनट में ही दूसरी ट्रेन चलाई जा सकेगी

एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन के बीच की दूरी 12 से 15 किलोमीटर तक होती है। ट्रेन को यह दूरी तय करने में 15 मिनट का समय लगता है। पहले गई ट्रेन के पीछे 12 मिनट के बाद दूसरी ट्रेन चलाई जाती है। रेलवे इस समय को कम कर 5 से 7 मिनट करने जा रहा है। बीच के सिग्नल को पार करते ही पीछे से दूसरी ट्रेन चला दी जाएगी। इससे 12 मिनट के स्थान पर 5 से 7 मिनट में ही दूसरी ट्रेन चलाई जा सकती है।

अभी हर 10 मिनट में चलती है ट्रेन

वर्तमान में  हावडा दिल्ली ट्रैक पर ट्रेन का आवागमन ज्यादा है।कोडरमा मुख्य स्टेशन है। यहाँ से दिल्ली, मुम्बई,के साथ-साथ कोडरमा हजारीबाग टाउन बडकाकाना रॉची कोडरमा मधुपुर के रास्ते आसनसोल पटना के मैन लाईन समेत चारों दिशाओं के लिये हर समय ट्रेन का आवागमन होता है। साथ ही इस ट्रैक पर दो वन्दे भारत, 4 राजधानी समेत दुरूंतो एक्सप्रेस भी दौड़ रही है। उसके अनुसार हर 10 मिनट में एक ट्रेन चलती है। 

इससे 1 ट्रेन की दूसरी ट्रेन से दूरी कम से कम 10 किलोमीटर की होती है या फिर एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन जितनी। वन्दे भारत,  राजधानी समेत दुरूतों एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेन के लिये तीन स्टेशन तक ट्रैक को खाली रखा जाता है। इस दौरान अन्य मेल-एक्सप्रेस, पैसिंजर और मालगाड़ी को लूप लाइन पर खड़ा करके निकाला जाता है। जब यह ट्रेन अगले स्टेशन पर पहुँच जाती है, फिर अन्य ट्रेन को निकाला जाता है।

Edited By: Samridh Jharkhand

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