कोडरमा: दुष्कर्म आरोपी को 16 वर्ष सश्रम कारावास, ₹5000 जुर्माना भी लगाया
जुर्माना की राशि नहीं देने पर 6 माह अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी
बचाव पक्ष की ओर से एलएडीसीएस की अधिवक्ता ने दलीलें पेश करते हुए बचाव किया। अदालत ने सभी गवाहों और साक्ष्यो का अवलोकन करने के उपरांत अभियुक्त को दोषी पाते हुए सजा मुकर्रर की और जुर्माना लगाया।
कोडरमा: डोमचांच थाना कांड संख्या 13/ 2024 एसटी 52/ 2024 लकड़ी चुनने गई बिरहोरीन महिला के साथ जबरन दुष्कर्म किए जाने के एक मामले की सुनवाई करते हुए अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय अजय कुमार सिंह की अदालत ने गुरुवार को आरोपी संजय बिरहोर, उम्र 40 वर्ष, 'पिता मंगर विरहोर, ग्राम -जिओरायडीह, थाना- डोमचांच, जिला कोडरमा, निवासी को आईपीसी की धारा 376 (2)(एन) का दोषी पाते हुए 16 वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही ₹5000 जुर्माना लगाया। जुर्माना की राशि नहीं देने पर 6 माह अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।

मुक्तभोगी महिला ने थाना को दिए आवेदन में कहा था कि 02-02-2024 को समय करीब 10:00 बजे मैं अपने गांव के दो अन्य वीरहोरीन के साथ चंदन चूल्हा जंगल में लकड़ी लाने एवं बकरी चराने गई थी। समय करीब 12:00 बजे दिन में जब हमलोग घर वापस आ रहे थे तब वह उन दोनों विरहोरीन के पीछे आ रही थी। इसी दौरान कोई मेरे पीछे से आकर मेरा मुंह दबा दिया। जब पीछे देखी तो मेरे ही गांव का संजय विरहोर पिता मंगल बिरहोर ग्राम जीयोरायडीह मेरा मुंह दबाकर पकड़े हुए हैं। मैं चिल्लाने की कोशिश की पर चिल्ला नहीं पाई और ना ही खुद को उससे छुड़ा पाई।
संजय विरहोर मुझे घसीट कर जंगल में एक पेड़ के पास ले गया और साड़ी फाड़ दिया और रस्सी से मुझे पेड़ में बांध दिया और जबरदस्ती मेरे साथ बलात्कार किया। वह पुनः मुझे वहां से घसीट कर पश्चिम दिशा में दूर ले जाकर जमीन में पटक दिया तथा दोबारा वहां मेरे साथ जबरदस्ती बलात्कार किया। फिर मैं लगभग 4:00 बजे संध्या किसी तरह छुड़ाकर भाग कर गांव आई। गांव के लोगों को बताई। गांव के लोगों द्वारा संजय को खोजबीन किया गया। रात्रि करीब 9:00 बजे संजय विरहोर को पकड़ कर ग्रामीण महिलाओं द्वारा बंद कर रखा गया और पुलिस को सोपा गया। मुक्तभोगी महिला ने पुलिस से उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया था।
अभियोजन का संचालक लोक अभियोजक पीपी एंजेलिना वारला ने किया। इस दौरान सभी 10 गवाहों का परीक्षण कराया गया। लोक अभियोजक पीपी ने कार्रवाई के दौरान न्यायालय से अभियुक्त को अधिक से अधिक सजा देने का आग्रह किया। वहीं बचाव पक्ष की ओर से एलएडीसीएस की अधिवक्ता ने दलीलें पेश करते हुए बचाव किया। अदालत ने सभी गवाहों और साक्ष्यो का अवलोकन करने के उपरांत अभियुक्त को दोषी पाते हुए सजा मुकर्रर की और जुर्माना लगाया।
