Koderma News: जैन धर्म के दशलक्षण पर्यूषण के अंतिम दिन भव्य शोभा यात्रा निकाली गई
आत्मा में लीन हो जाना ही ब्रह्मचर्य धर्म है : निर्मला दीदी
शोभा यात्रा में डांडिया नृत्य, भजन और भगवान वासुपूज्य के जयकारों से शहर गुंजायमान हुआ।
कोडरमा: जैन धर्म के सर्वोच्च पर्व दशलक्षण पर्यूषण के अंतिम दिन अनंत चतुर्दशी का पर्व बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ शोभा यात्रा के रूप में मनाया गया। शोभा यात्रा में बैंड-बाजा, डांडिया नृत्य और भगवान के जयकारों के साथ श्रद्धालु शामिल हुए।

जैन समाज के भजन सम्राट सुबोध गंगवाल, संजय लट्टू छाबड़ा, मुकेश अजमेरा, अनिल पांड्या आदि ने भजनों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया। भगवान महावीर और पार्श्वनाथ के जयकारों से पूरा शहर गूंज उठा। मार्ग में जगह-जगह तोरण द्वार बनाए गए थे और श्रद्धालुओं द्वारा भगवान की आरती की गई। नया मंदिर पानी टंकी रोड में शोभा यात्रा का समापन हुआ।
भक्तजनों ने पंडित अभिषेक शास्त्री एवं डॉ. निर्मला दीदी के सानिध्य में “उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म” का पर्व मनाया। इस अवसर पर निर्मला दीदी ने कहा कि आत्मा में लीन हो जाना ही ब्रह्मचर्य धर्म है। जब मनुष्य अपने भीतर स्थिर होता है, जहां कोई विकृति नहीं होती, वही अवस्था ब्रह्मचर्य की होती है। जैन दर्शन में ब्रह्मचर्य को सर्वोच्च स्थान दिया गया है; इसके बिना सिद्धि की प्राप्ति असंभव है।
उन्होंने आगे कहा कि "जहां ब्रह्मचर्य है, वहीं समस्त सिद्धियों का आधार है। वही ईश्वरतुल्य जीवन है, जो साधना से चमकता है। वासना से नहीं, साधना से ब्रह्मचर्य सिद्ध होता है। भारत की यही अध्यात्म संस्कृति उसे विश्व में सर्वोच्च बनाती है।"
दशलक्षण पर्व में 10 लक्षणों का व्रत धारण करने वाले समाज के सदस्यों – मंत्री नरेंद्र झाझरी, उपमंत्री राज छाबड़ा, कोषाध्यक्ष सुरेंद्र काला, भंडारी सुनील सेठी, पूर्व अध्यक्ष ललित शेट्टी, जयकुमार गंगवाल, सुरेश झाझरी, सुशील छाबड़ा, पदम सेठी, कमल सेठी, सुरेश शेट्टी, किशोर जैन पांड्या, पार्षद पिंकी जैन एवं जैन महिला समाज, युवक समिति, सम्मेद शिखर महावंदना ग्रुप, तथा मीडिया प्रभारी नवीन जैन व राजकुमार अजमेरा ने सभी तपस्वियों की अनुमोदना की।
बड़ा मंदिर स्टेशन रोड में मूलनायक भगवान पारसनाथ की विश्व शांति धारा का सौभाग्य सुनील, ममता, शानू, नैनी क्रदिय सेठी परिवार को प्राप्त हुआ। प्रथम अभिषेक का सौभाग्य हजारीमल, रमेश, नरेश, विजय, संजय कासलीवाल परिवार को मिला। भगवान वासुपूज्य की शांति धारा का सौभाग्य सोहनलाल, अजीत, अमित, पोपी, राजेश गंगवाल परिवार को प्राप्त हुआ।
नीचे बेदी में भगवान को बिहार कर प्रथम कलश एवं शांति धारा का सौभाग्य अनूप, शैलेश, दीपक सेठी परिवार को मिला। नवग्रह अनुसार तीर्थंकरों की प्रतिमा पर क्रमवार शांति धारा का सौभाग्य रत्नत्रय व्रत धारी परिवारों को मिला।
भगवान वासुपूज्य जी के मोक्ष कल्याणक पर निर्वाण लड्डू चढ़ाने का सौभाग्य सुनील, ममता, नैनी, सानू क्रदिय सेठी परिवार को मिला। नया मंदिर में भगवान महावीर की शांति धारा और प्रथम अभिषेक का सौभाग्य चुन्नीलाल, प्रदीप, पियूष, राहुल छाबड़ा परिवार को मिला।
पादुक शीला पर भगवान सुब्रतनाथ की शांति धारा का सौभाग्य फूलचंद, किशोर, प्रदीप, प्रतीक पांड्या परिवार को मिला। भगवान पारसनाथ की शांति धारा का सौभाग्य हीरालाल जी, नवीन, चैतन्य शेट्टी परिवार को तथा शांतिनाथ भगवान की शांति धारा का सौभाग्य जुगल किशोर, संदीप, संजय, आशीष सेठी परिवार को मिला।
भगवान आदिनाथ की शांति धारा का सौभाग्य सभी पुजारी भक्तों को प्राप्त हुआ। नया मंदिर में भगवान वासुपूज्य के निर्वाण लड्डू चढ़ाने का सौभाग्य ओमप्रकाश, विनीत सेठी परिधान परिवार को प्राप्त हुआ।
बड़ा मंदिर में भगवान की शांति धारा, कलश एवं लॉन्ग की माला प्राप्त करने वाले सौभाग्यशाली परिवारों को बैंड-बाजे के साथ उनके घर तक सम्मानपूर्वक पहुंचाया गया।
आज रात्रि में बड़ा मंदिर स्टेशन रोड पर मूलनायक भगवान पारसनाथ की प्रतिमा के समक्ष विश्व शांति के लिए भक्तामर स्तोत्र का पाठ, 48 दीपकों के साथ विश्व शांति मंत्र के सान्निध्य में सम्यक प्रज्ञा नवीन पार्षद पिंकी जैन परिवार, शांतिलाल संजय छाबड़ा परिवार, दीपक आलोक गंगवाल परिवार द्वारा किया जाएगा।
