Hazaribagh News: झारखंड राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 2025: अभाविप का विरोध, इसे 'काला कानून' करार दिया
आपकी सकारात्मक पहल राज्य की उच्च शिक्षा व्यवस्था की गरिमा एवं निष्पक्षता की रक्षा करेगी : नवलेश सिंह
यह संविधान की गरिमा और न्यायिक स्वतंत्रता का अपमान है।
हजारीबाग: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारणी सदस्य नवलेश सिंह ने बयान जारी कर हाल हीं में झारखंड राज्य मंत्रिपरिषद एवं विधानसभा द्वारा पारित राज्य विश्वविद्यालय विधेयक-2025 में झारखंड के विश्वविद्यालयों में कुलपति, प्रति कुलपति, वित्तीय सलाहकार, परीक्षा नियंत्रक एवं अन्य प्रमुख पदों पर नियुक्ति के अधिकार को महामहिम राज्यपाल महोदय से हटाकर राज्य सरकार को देने का किए गए प्रावधान का निंदा किया है।

यह विधेयक महामहिम राज्यपाल एवं राज्य के तमाम राजकीय विश्व - विद्यालयों के संचालन एवं उनकी स्वायत्तता के लिए बने फेडरल स्ट्रक्चर पर प्रहार है जिसको किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता। साथ हीं सिंह ने कहा कि हम इस विधेयक के अंतर्गत गठित झारखंड राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग- 2025 का स्वागत करतें है, लेकिन इस विधेयक के अंतर्गत केवल शिक्षक, शिक्षकेत्तर, कर्मचारी की नियुक्ति एवं प्रमोशन का कार्य होना चाहिए ना कि कुलपति प्रति कुलपति की नियुक्ति का अधिकार होना चाहिए।
सरकार झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC), झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) एवं झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) जैसी शैक्षणिक एवं नियुक्ति संस्थाओं के संचालन में लगातार विफल रही है। बार-बार पेपर लीक, परीक्षा रद्द, अनियमितताएं तथा नियुक्तियों में भ्रष्टाचार की घटनाएं इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि राज्य सरकार योग्यतापूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्षता की गारंटी नहीं दे सकती।
ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालयों जैसे उच्च शिक्षण संस्थानों में कुलपति, प्रति कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया को भी राज्य सरकार के अधीन करना शिक्षा के साथ खिलवाड़ है तथा संविधान में प्रदत्त राज्यपाल की भूमिका और अधिकारों का हनन है। यह संविधान की गरिमा और न्यायिक स्वतंत्रता का अपमान है।
अतः विद्यार्थी परिषद विनोबा भावे विवि समेत राज्य के तमाम छात्र समुदाय से करबद्ध आग्रह करती है कि राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित राज्य विश्वविद्यालय विधेयक-2025 की खामियों के विषय में समाज में जनजागरण कर इसका जोरदार विरोध करें, ताकि विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता एवं संवैधानिक संतुलन बनी रहे।
आपकी सकारात्मक पहल राज्य की उच्च शिक्षा व्यवस्था की गरिमा एवं निष्पक्षता की रक्षा करेगी। साथ हीं श्री सिंह ने कहा कि अभाविप कैबिनेट में इस बिल के आते हीं विरोध करना शुरू कर दिया है महामहिम राज्यपाल महोदय से अभाविप प्रतिनिधि मंडल मिल इस बिल को स्वीकृति नहीं देने का आग्रह पूर्व में कर चुकी है, आने वाले दिनों में बड़े छात्र आंदोलन के माध्यम से बिल को वापस करने का काम किया जाएगा।
