Dumka news: शिक्षकों द्वारा ओलचिकी लिपि के विरोध पर परसी आरीचली मारांबुरु आखड़ा ने जताया कड़ा विरोध
सभी शिक्षक ओलचिकी लिपि का विरोध कर मुख्य उद्देश्य से भटक रहे हैं: अखड़ा
दुमका: एसकेएमयू के शिक्षको दुवारा संताल आदिवासी के ओलचिकी लिपि का विरोध करने पर संताल परगाना महाविद्यालय के परिसर में आरीचली मारांबुरु आखड़ा के बैनर तले छात्रों और समाजसेवियों ने बैठक किया और इन शिक्षको पर कड़ा एतराज व्यक्त किया.

इसको लेकर छात्र, समाजसेवी और अखड़ा काफी नाराज और गुस्से में है. अखड़ा का कहना है कि ये सभी शिक्षक ओलचिकी लिपि का विरोध कर मुख्य उद्देश्य से भटक रहे हैं। अखड़ा का कहना है कि अगर किसी भाषा का लिपि नहीं है तो वह भाषा कभी विकसित नहीं हो सकती है। अन्य भाषा में संताली को देवनागरी, रोमन, ओड़िया, बंगाली, असमिया या भारत देश की अन्य लिपि में लिख सकते है लेकिन वह परजीवी भाषा व लिपि पर निर्भर होगा। छात्रों और अखड़ा के अनुसार पूरी दुनिया में भाषा संरक्षण और सतत विकास पर कार्य हो रहे तो ओलचिकि लिपि पर क्यों नहीं? छात्रों और अखड़ा का कहना है कि इस विषय पर शिक्षक राजनीति कर रहे है। अखड़ा ने आगे कहा यह सभी शिक्षक आदिवासियों के संस्कृति, सभ्यता और आदिवासी के विरोधी है और आदिवासी समाज को आघात पहुँचाने वाले व्यक्ति है जो आदिवासी समाज को बाटने का प्रयास कर रहे है.
संताली भाषा सरकार के आठवीं अनुसूची में शामिल हैं और बिहार, बंगाल, उड़ीसा, असम आदि राज्यों में बोली भी जाती है और कई राज्यों में ओलचिकी लिपि से सरकारी स्कूल और कॉलेजों में पढ़ाया भी जा रहा है. अखड़ा का यह भी कहना है कि ये सभी शिक्षक सिर्फ और सिर्फ राजनीति में अपना चेहरा चमकाने और आदिवासियों को बाटने के उदेश्य से ओलचिकी का विरोध कर रहे हैं। जबकि शिक्षक होने के नाते इन्हें राजनितिक से दूर रहकर शिक्षण कार्य संताली भाषा और ओलचिकी लिपि का विकास कैसे हो उसपर केंद्रित होकर इस पर कार्य करना श्रेयस्कर होता.
अखड़ा ने कहा कि जरुरत पड़े तो इस आन्दोलन को गांवो से शहर तक ले जाया जायेगा. इस बैठक में परेश मुर्मू, सुनील टुडू, लालटु मारांडी, कमीश्नर मुर्मू, बादल मारांडी, रासबिहारी मारांडी, बाबुशल सोरेन, संजीव टुडू, पवन मुर्मू, मनोज सोरेन आदि उपस्थित थे।
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
