राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की गरिमामयी उपस्थिति में नवस्नातकों को मिला सेवा का मंत्र
एम्स देवघर के पहले दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति मुर्मु का भव्य स्वागत
एम्स देवघर के पहले दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के आगमन पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने उनका स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक क्षण बताया. उन्होंने नवस्नातकों को चिकित्सा सेवा को करियर नहीं, बल्कि सेवा और करुणा का मार्ग बताया.
देवघर: राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने गुरुवार को भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित एम्स, देवघर के प्रथम दीक्षांत समारोह में से पहले राष्ट्रपति का देवघर में स्वागत करते हुए कहा कि श्रावणी मास की इस पुण्य बेला में बाबानगरी देवघर में उनका आगमन सम्पूर्ण राज्यवासियों के लिए हर्ष एवं उत्साह का विषय है. उन्होंने कहा कि देवघर केवल झारखंड ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण भारतवर्ष की आस्था का प्रमुख केंद्र है. राष्ट्रपति का आगमन इस अवसर को और भी ऐतिहासिक तथा स्मरणीय बना देता है.

दीक्षांत समारोह के उपलक्ष्य में राज्यपाल ने कहा कि यह केवल एक शैक्षणिक आयोजन नहीं, बल्कि विद्यार्थियों के लिए एक नई सामाजिक जिम्मेदारी के आरंभ का क्षण है. उन्होंने नवस्नातकों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि चिकित्सा का मार्ग मात्र एक करियर का चयन नहीं है, बल्कि संवेदना, सेवा और नैतिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है. उन्होंने एम्स, देवघर की स्थापना के लिए भारत के प्रधानमंत्री का विशेष आभार प्रकट किया और कहा कि यह संस्थान न केवल झारखंड, बल्कि बिहार और बंगाल जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए भी स्वास्थ्य सेवाओं का केंद्र बन चुका है. उन्होंने इसे प्रधानमंत्री के “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” की भावना से जुड़ा हुआ कदम बताया.
राज्यपाल ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने श्वेत कोट को केवल वर्दी न समझें, बल्कि उसे विश्वास, करुणा और सेवा का प्रतीक मानें. हर रोगी केवल बीमारी ही नहीं, बल्कि अपनी उम्मीदें और बीमारियों के प्रति भय भी लेकर चिकित्सक के पास आता है, इसलिए उनके साथ संवेदनशीलता और सम्मान का व्यवहार ही चिकित्सा व्यवस्था की आत्मा है.
उन्होंने कहा कि झारखंड में उच्च शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में और अधिक कार्य किए जाने की आवश्यकता है. उन्होंने राज्य भ्रमण के दौरान लोगों से संवाद एवं योजनाओं के प्रचार-प्रसार का अनुभव साझा करते हुए कहा कि उनका प्रयास यही है कि कोई भी पात्र व्यक्ति सरकार की योजनाओं से वंचित न रहे. "ज्ञान की प्राप्ति तभी सार्थक है जब उसका उपयोग जनकल्याण के लिए हो." उन्होंने उपाधिधारकों से ‘विकसित भारत 2047’ के निर्माण में भागीदारी का आह्वान करते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य हेतु शुभकामनाएँ दीं.
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
