Krishna Janmashtami 2025: जानिए पूजा-व्रत का सही समय और मथुरा-वृंदावन से लेकर महाराष्ट्र तक की खासियत
इस बार जन्माष्टमी की खास विशेषताएं और ज्योतिषीय योग
समृद्ध डेस्क: भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव, जिसे कृष्ण जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से जाना जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है। इस वर्ष 2025 में भगवान कृष्ण का 5252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा। यह त्योहार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो इस बार 16 अगस्त 2025 को पड़ रही है। इस पावन अवसर पर देशभर में भक्तजन विशेष पूजा-अर्चना, व्रत और उत्सव का आयोजन करते हैं।
जन्माष्टमी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- निशिता पूजा मुहूर्त: 16-17 अगस्त की मध्यरात्रि 12:04 बजे से 12:47 बजे तक (कुल 43 मिनट)

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अष्टमी तिथि: 15 अगस्त रात 11:49 बजे से 16 अगस्त रात 9:34 बजे तक
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रोहिणी नक्षत्र: 17 अगस्त सुबह 4:38 बजे से 18 अगस्त सुबह 3:17 बजे तक
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पारण समय: 17 अगस्त को सुबह 12:47 बजे के बाद
कृष्ण जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व
जन्म की कथा
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी और वसुदेव के घर हुआ था। उनके मामा राजा कंस को भविष्यवाणी मिली थी कि देवकी का आठवां पुत्र उसकी मृत्यु का कारण बनेगा। इस कारण कंस ने देवकी और वसुदेव को कारागार में बंद कर दिया और उनकी पहली छह संतानों को मार डाला।
जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, तो दिव्य शक्ति से कारागार के द्वार खुल गए और पहरेदार सो गए। वसुदेव ने नवजात कृष्ण को यमुना नदी पार करके गोकुल में नंद और यशोदा के घर पहुंचाया, जहां उनका लालन-पालन हुआ।
आध्यात्मिक संदेश
भगवान कृष्ण आनंद और प्रेम के प्रतीक हैं। उनका जन्म इस बात का प्रमाण है कि जब भी धर्म की हानि होती है और अधर्म बढ़ता है, तो भगवान स्वयं अवतार लेकर धर्म की स्थापना करते हैं। कृष्ण का जीवन हमें सिखाता है कि प्रेम, करुणा और निस्वार्थता के माध्यम से जीवन में आनंद प्राप्त किया जा सकता है।
जन्माष्टमी मनाने की विधि और परंपराएं
पूजा विधि
1. प्रात:काल की तैयारी
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सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और संकल्प लें
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घर की सफाई करें और मंदिर को सजाएं
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लड्डू गोपाल की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं
2. पंचामृत अभिषेक
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दूध, दही, शहद, घी और गुड़ (पंचामृत) से भगवान की प्रतिमा का अभिषेक करें
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इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर नए वस्त्र पहनाएं
3. भोग और प्रसाद
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मक्खन-मिश्री, पंजीरी, खीर, पेड़ा, लड्डू आदि का भोग लगाएं
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फल और दूध की वस्तुओं का विशेष चढ़ावा करें
4. मंत्र जाप और आरती
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"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें
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कृष्ण के 108 नामों का पाठ करें
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मध्यरात्रि में विशेष आरती और भजन करें
व्रत के नियम
जन्माष्टमी पर निर्जला व्रत रखने की परंपरा है। व्रत रखने वाले भक्त:
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पूरे दिन अन्न-जल का त्याग करते हैं
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मध्यरात्रि के बाद ही भोजन करते हैं
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कुछ भक्त केवल फलाहार करते हैं
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व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करते हैं
विभिन्न राज्यों में जन्माष्टमी के अनूठे रीति-रिवाज
उत्तर प्रदेश - मथुरा और वृंदावन
मथुरा और वृंदावन में सबसे भव्य उत्सव होता है क्योंकि यहीं भगवान कृष्ण ने अपना बचपन बिताया था। यहां की विशेषताएं:
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कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में विशेष झांकियां
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रासलीला का मंचन
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मंदिरों में रात्रि जागरण
महाराष्ट्र - दही हांडी परंपरा
महाराष्ट्र में जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का आयोजन होता है:
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ऊंचाई पर लटकाए गए मटके को तोड़ना
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युवकों द्वारा मानव पिरामिड बनाना
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"गोविंदा आला रे" के नारे
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इस परंपरा का संबंध कृष्ण की मक्खन चोरी की लीला से है
दक्षिण भारत की परंपराएं
दक्षिण भारतीय राज्यों में जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी कहा जाता है:
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घरों के द्वार पर कोलम (रंगोली) बनाना
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चावल के आटे से कृष्ण के पैरों के निशान बनाना
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पारंपरिक मिठाइयों का प्रसाद
गुजरात की गोकुलाष्टमी
गुजरात में इसे गोकुलाष्टमी के नाम से मनाया जाता है:
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गरबा नृत्य और भजन संध्या
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मंदिरों में झूले की सजावट
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कृष्ण मूर्ति को झूले में झुलाना
पूर्वी भारत में मनाई जाने वाली परंपराएं
पश्चिम बंगाल और ओडिशा में:
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तालेर बोरा (ताड़ के गुड़ के पकवान) का प्रसाद
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स्थानीय मिठाइयों का विशेष भोग
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सामुदायिक उत्सव और भजन गायन
आधुनिक समय में जन्माष्टमी का स्वरूप
मंदिरों में आयोजन
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ISKCON मंदिरों में विशेष समारोह
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हजारों भक्तों का प्रसाद वितरण
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24 घंटे की भजन संध्या
सामुदायिक उत्सव
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पड़ोसियों के साथ मिलकर झांकियों का आयोजन
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बच्चों द्वारा कृष्ण लीला का अभिनय
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सामूहिक भोज का आयोजन
डिजिटल युग में जन्माष्टमी
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ऑनलाइन आरती और प्रसारण
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सोशल मीडिया पर भजन साझाकरण
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वर्चुअल दर्शन की सुविधा
जन्माष्टमी 2025 की विशेषताएं
ज्योतिषीय योग
इस वर्ष जन्माष्टमी पर कई शुभ योगों का निर्माण हो रहा है:
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अमृत सिद्धि योग
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सर्वार्थ सिद्धि योग
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गजलक्ष्मी योग
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वृद्धि और ध्रुव योग
महत्वपूर्ण तथ्य
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यह भगवान कृष्ण का 5252वां जन्मदिवस है
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स्वतंत्रता दिवस के दिन अष्टमी तिथि का प्रारंभ
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दो दिन तक चलने वाला उत्सव
स्वास्थ्य और सुरक्षा के उपाय
व्रत के दौरान सावधानियां
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निर्जला व्रत रखने वालों को सुबह पर्याप्त पानी पीना चाहिए
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गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए
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मधुमेह के रोगियों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए
दही हांडी में सुरक्षा
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हेलमेट और सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग
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चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता
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भीड़ नियंत्रण के उपाय
कृष्ण जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्रेम, एकता और सामुदायिक भावना का प्रतीक है। इस पावन अवसर पर भगवान कृष्ण के संदेश को अपने जीवन में उतारकर हम सच्ची खुशी और शांति प्राप्त कर सकते हैं। 16 अगस्त 2025 को मनाए जाने वाले इस महापर्व में सभी भक्तजन पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ भगवान कृष्ण की आराधना करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुख-समृद्धि से भर दें।
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