लद्दाख में हिंसक प्रदर्शन के बाद सोनम वांगचुक को NSA के तहत किया गया गिरफ्तार
नई दिल्ली: प्रसिद्ध जलवायु कार्यकर्ता और शिक्षाविद् सोनम वांगचुक को शुक्रवार, 26 सितंबर 2025 को लद्दाख पुलिस द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया है। यह गिरफ्तारी लेह में हुई हिंसक घटनाओं के दो दिन बाद की गई है, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी और 90 से अधिक लोग घायल हुए थे।
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गिरफ्तारी के मुख्य कारण
सरकारी सूत्रों के अनुसार, वांगचुक को भड़काऊ भाषणों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय का आरोप है कि उन्होंने अरब स्प्रिंग और नेपाल के जेन जेड प्रदर्शनों का हवाला देकर भीड़ को उकसाया था। गृह मंत्रालय के अनुसार: "यह स्पष्ट है कि भीड़ को सोनम वांगचुक के भड़काऊ बयानों से उकसाया गया था"।
24 सितंबर की हिंसक घटनाएं
बुधवार, 24 सितंबर को लेह में शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसक हो गया जब प्रदर्शनकारियों ने:
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भाजपा कार्यालय में आग लगा दी
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पुलिस वाहन को जलाया
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मुख्य कार्यकारी पार्षद के कार्यालय पर हमला किया
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सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी की
इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई और 90 से अधिक लोग घायल हुए, जिनमें 30 से अधिक पुलिस/CRPF कर्मी भी शामिल थे।
NSA के तहत गिरफ्तारी
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तारी का मतलब है कि वांगचुक को बिना जमानत के लंबे समय तक हिरासत में रखा जा सकता है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, उन्हें जल्द ही लद्दाख से बाहर किसी अज्ञात स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है।
SECMOL का FCRA लाइसेंस रद्द
गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वांगचुक द्वारा स्थापित संस्था SECMOL (Students Educational and Cultural Movement of Ladakh) का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया था।
मुख्य आरोप:
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स्थानीय फंड को FCRA खाते में जमा करना (धारा 17 का उल्लंघन)
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स्वीडन से 4.93 लाख रुपए का फंड ट्रांसफर "राष्ट्रीय हित के विरुद्ध"
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विदेशी योगदान का गैर-अनुमतिप्राप्त गतिविधियों में उपयोग
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1.5 करोड़ रुपए से अधिक की विदेशी राशि बिना FCRA रजिस्ट्रेशन के प्राप्त करना
वांगचुक का आमरण अनशन
सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर से लेह के शहीद पार्क में 35 दिवसीय आमरण अनशन शुरू किया था। उनकी मांगें थीं:
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लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा
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संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करना
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स्थानीय नौकरियों और भूमि की सुरक्षा
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लद्दाख की नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा
हिंसा भड़कने के बाद उन्होंने 24 सितंबर को अपना अनशन समाप्त कर दिया था।
इंटरनेट सेवाएं बंद
वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लेह में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और ब्रॉडबैंड की गति धीमी कर दी गई है। अधिकारियों ने कहा कि यह कदम "कानून व्यवस्था बनाए रखने" के लिए उठाया गया है।
सरकारी रुख और वांगचुक का जवाब
गृह मंत्रालय का कहना है कि लद्दाख के नेताओं के साथ बातचीत जारी थी और अगली बैठक 6 अक्टूबर को तय थी। सरकार का आरोप है कि "राजनीतिक रूप से प्रेरित व्यक्ति" इस संवाद प्रक्रिया को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे थे।
इसके जवाब में वांगचुक ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था: "मुझे बलि का बकरा बनाना मूल समस्या का समाधान नहीं है। इस समय हमें चालाकी की बजाय समझदारी की जरूरत है क्योंकि लोग पहले से ही निराश हैं"।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने वांगचुक की गिरफ्तारी को "बेहद दुर्भाग्यपूर्ण" बताया और केंद्र सरकार पर वादे न निभाने का आरोप लगाया। आम आदमी पार्टी ने शुक्रवार शाम जंतर मंतर पर कैंडल मार्च का आयोजन किया।
CBI की जांच
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने वांगचुक के हिमालयी इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) की FCRA उल्लंघनों की जांच शुरू की है। आरोप है कि संस्थान ने 6.5 करोड़ रुपए वांगचुक की निजी फर्म शेश्योन इनोवेशन को ट्रांसफर किए थे।
लद्दाख की मांगें
2019 में जम्मू-कश्मीर से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से लद्दाख में राज्य का दर्जा की मांग तेज हो गई है। स्थानीय संगठन लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस इन मांगों का नेतृत्व कर रहे हैं।
सरकार ने कुछ सुधार किए हैं जैसे आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84% करना, महिलाओं के लिए एक-तिहाई प्रतिनिधित्व और भोटी व पुरिग भाषाओं को आधिकारिक दर्जा देना।
आगे की स्थिति
वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद लद्दाख में तनाव बना हुआ है। कारगिल में भी शटडाउन की घोषणा की गई है। मानवाधिकार संगठनों ने सरकार से संयम बरतने और हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की निष्पक्ष जांच की मांग की है
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