IndiGo Crisis 2025: क्रू की कमी और नए नियमों से उड़ानें ठप, सैकड़ों फ्लाइट्स लेट और कैंसल
नई दिल्ली: इंडिगो एयरलाइंस इस समय क्रू की भारी कमी और नए नियमों की वजह से बड़े संकट से जूझ रही है, जिसका सीधा असर फ्लाइट्स की समयबद्धता और ऑपरेशन पर पड़ रहा है। देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन होने के बावजूद इसकी बड़ी संख्या में उड़ानें लेट हो रही हैं और कई फ्लाइट्स रद्द भी करनी पड़ रही हैं।
इंडिगो की मौजूदा स्थिति

संकट की मुख्य वजह: क्रू की कमी
रिपोर्ट के मुताबिक संकट की जड़ क्रू, खासकर पायलट और केबिन क्रू की भारी कमी है। कई उड़ानों के लिए एयरलाइन को पर्याप्त केबिन क्रू नहीं मिला, जिसके कारण शेड्यूल की गई फ्लाइट्स को सीधे रद्द करना पड़ा और बाकी फ्लाइट्स में क्रू को अलग-अलग स्टेशनों पर भेजकर किसी तरह ऑपरेशन चलाया गया। कमी इतनी ज्यादा है कि एयरलाइन का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस, जिसकी वजह से उसकी पहचान बनी थी, अब अलायंस एयर और स्पाइसजेट जैसे छोटे खिलाड़ियों से भी पीछे चला गया है और कई फ्लाइट्स 7–8 घंटे तक लेट चल रही हैं।
नए FDTL नियम और ऑपरेशनल दबाव
यह क्रू संकट हाल में लागू हुए नए ‘फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन’ (FDTL) नियमों के बाद और गहरा गया है। इन नियमों के तहत क्रू के काम के घंटे कम किए गए हैं और उन्हें ज्यादा आराम देना अनिवार्य किया गया है, ताकि सेफ्टी मानकों का बेहतर पालन हो सके, लेकिन इसके नतीजे में इंडिगो के पास उपलब्ध पायलटों और क्रू के घंटे सीमित हो गए। अब जैसे ही शेड्यूल थोड़ा बिगड़ता है, तुरंत ड्यूटी-टाइम लिमिट की दीवार सामने आ जाती है और एयरलाइन के पास फ्लाइट कैंसल या लंबी देरी के अलावा ज्यादा विकल्प नहीं बचते।
यात्रियों पर असर और कंपनी की सफाई
इन देरी और रद्द उड़ानों की वजह से एयरपोर्ट्स पर यात्रियों को भारी असुविधा झेलनी पड़ रही है, कई लोगों को घंटों इंतजार और री-बुकिंग की परेशानी उठानी पड़ रही है। इंडिगो के प्रवक्ता ने स्वीकार किया कि पिछले दिनों में कई फ्लाइट्स जरूरी कारणों से लेट या कैंसल हुई हैं, जिनमें टेक्नोलॉजी से जुड़ी दिक्कतें, एयरपोर्ट पर बढ़ी भीड़ और ऑपरेशनल जरूरतें शामिल हैं। कंपनी का कहना है कि वह प्रभावित यात्रियों को वैकल्पिक उड़ान या रिफंड दे रही है और सभी को सलाह दी गई है कि एयरपोर्ट के लिए निकलने से पहले अपनी फ्लाइट की ताजा स्थिति ऑनलाइन जरूर चेक कर लें, ताकि असुविधा कम हो सके।
एयरपोर्ट की तकनीकी दिक्कतें भी जिम्मेदार
एयरलाइन के आंतरिक संकट के साथ कुछ प्रमुख एयरपोर्ट्स की तकनीकी समस्याओं ने भी स्थिति बिगाड़ दी है। उदाहरण के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पर एक दिन बैगेज मैसेजिंग सिस्टम काम नहीं कर रहा था, जिसकी वजह से टर्मिनल 1 पर सामान लेने के एरिया में अफरा-तफरी मच गई और टर्मिनल 3 पर भी कुछ हद तक यही हाल रहा। ऐसे हालात में ग्राउंड ऑपरेशन धीमे पड़ गए, टर्नअराउंड टाइम बढ़ा और देरी की चेन और लंबी होती चली गई।
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