Bhangarh fort story: भारत का सबसे डरावना किला, जहाँ रात ढलते ही थम जाती है ज़िन्दगी!

भानगढ़ का श्राप: वो दास्तान जहाँ इतिहास और रहस्य आपस में मिल जाते हैं

Bhangarh fort story: भारत का सबसे डरावना किला, जहाँ रात ढलते ही थम जाती है ज़िन्दगी!
(एडिटेड इमेज)

समृद्ध डेस्क: राजस्थान के अलवर जिले में बसा भानगढ़ का किला सिर्फ एक ऐतिहासिक इमारत नहीं, बल्कि एक चलती-फिरती कहानी है एक ऐसी कहानी जहाँ इतिहास, लोककथा और डरावनी किंवदंतियाँ आपस में इस तरह गुंथी हुई हैं कि उन्हें अलग करना नामुमकिन है। यह सिर्फ पत्थरों का ढेर नहीं, बल्कि सैकड़ों आत्माओं की अनसुनी चीखें और सदियों पुराना एक श्राप है, जिसकी गूंज आज भी यहाँ की हवाओं में महसूस की जा सकती है। जब सूरज की आखिरी किरणें इस किले की दीवारों से टकराकर लौटती हैं, तो मानो समय खुद थम जाता है और एक ऐसी दुनिया का दरवाज़ा खुलता है, जहाँ इंसानों का कोई वजूद नहीं। इस लेख में हम भानगढ़ के उसी रहस्य को गहराई से समझेंगे, 1500 शब्दों की एक विस्तृत यात्रा पर निकलेंगे, जहाँ हमने कहानियों, इतिहास और वास्तविक जीवन के किस्सों को एक साथ पिरोया है।


resized-image - 2025-08-06T200319.741
स्रोत: the World of Haunted Places.


तांत्रिक का श्राप और राजकुमारी की दास्तान

भानगढ़ की कहानी एक सुंदर राजकुमारी रत्नावती और एक काले जादू के तांत्रिक सिंधु सेवड़ा के प्रेम और प्रतिशोध की गाथा है। यह वो कहानी है जो हर उस दीवार, हर उस खम्भे पर लिखी हुई है जिसे आप इस किले में देखेंगे।

कहानी की शुरुआत:

किले के एक कोने में, ऊँची पहाड़ी पर तांत्रिक सिंधु सेवड़ा की कुटिया थी। वह काले जादू में माहिर था और उसकी आँखें सिर्फ एक ही चेहरे को तलाशती थीं - राजकुमारी रत्नावती का। राजकुमारी अपनी खूबसूरती, बुद्धिमत्ता और नेक दिल के लिए मशहूर थीं, और तांत्रिक के लिए वह सिर्फ एक इंसान नहीं, बल्कि एक ऐसी हकीकत थीं जिसे वह किसी भी कीमत पर पाना चाहता था। एकतरफा प्यार की इस आग में वह इतना जलने लगा कि उसने प्यार को पाने की जगह, काला जादू का सहारा लेने की ठान ली।

यह भी पढ़ें रांची से निकलता है पत्रकारिता में सफलता का रास्ता, राष्ट्रीय संस्थानों तक पहुंचती झारखंड की कलम

वो खतरनाक इत्र:

यह भी पढ़ें वंदे मातरम् के 150 वर्ष: प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में याद किए देशभक्ति के प्रेरक पल

एक दिन राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ बाजार में इत्र खरीद रही थीं। तांत्रिक ने देखा कि यह उसके लिए सही मौका है। उसने चुपके से एक इत्र की शीशी में काला जादू मिला दिया। उसका इरादा था कि जैसे ही राजकुमारी उस इत्र का इस्तेमाल करेंगी, वह तांत्रिक के वश में आ जाएंगी। लेकिन राजकुमारी को उसकी चाल का एहसास हो गया।

यह भी पढ़ें शिल्पकार हीराबाई झरेका बघेल को राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार, राष्ट्रपति मुर्मु ने किया सम्मानित

ताकतवर पत्थर और तांत्रिक का अंत:

राजकुमारी ने इत्र की शीशी को एक बड़े पत्थर पर फेंक दिया। तांत्रिक के जादू से वशीभूत होकर वह पत्थर तांत्रिक की ओर लुढ़क गया और उसे बुरी तरह कुचल दिया। मरने से पहले, उसने एक भयानक श्राप दिया: "यह किला और यहाँ रहने वाला कोई भी इंसान कभी खुश नहीं रहेगा। सब एक ही पल में खत्म हो जाएंगे, और उनकी आत्माएँ हमेशा यहीं भटकती रहेंगी।"

यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि एक दर्दनाक भविष्यवाणी थी। जल्द ही भानगढ़ में एक भयंकर युद्ध हुआ और तांत्रिक का श्राप सच हो गया। पूरा किला एक ही रात में तबाह हो गया और वहाँ रहने वाले लगभग 10,000 लोग मारे गए। यह किला अब सिर्फ पत्थरों का एक ढेर बन गया था, जहाँ केवल निराशा और उदासी ही रह गई थी।

resized-image - 2025-08-06T200527.811
स्रोत: प्रभात खबर


असली जिंदगी के किस्से जो रोंगटे खड़े कर देते हैं। 

भानगढ़ के बारे में सिर्फ कहानियाँ ही नहीं, बल्कि कुछ वास्तविक जीवन के किस्से भी हैं जो लोगों को यह मानने पर मजबूर कर देते हैं कि यहाँ कुछ तो है जो साधारण नहीं है।

गाइड की दास्तान: एक स्थानीय गाइड, जिसका नाम रमेश है, बताता है कि एक बार एक विदेशी पर्यटक ने रात में किले में रुकने की जिद की। रमेश ने उसे बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं माना। वह पर्यटक अपनी कार में बैठा रहा, और रमेश पास की एक झोपड़ी में सो गया। सुबह जब रमेश किले की तरफ गया, तो उसे वह कार वहाँ नहीं मिली। बाद में पता चला कि वह पर्यटक अगली सुबह 50 किलोमीटर दूर किसी हाईवे पर बेहोश मिला था और उसने कहा कि रात में किले के अंदर से कुछ ऐसी डरावनी आवाजें आ रही थीं कि वह डर के मारे वहाँ से भाग गया।

दोस्तों का रोमांचक सफर: चार दोस्तों का एक समूह, जो भूतों की कहानियों पर विश्वास नहीं करता था, रात में किले के बाहर रुका। उनमें से एक दोस्त, जिसका नाम अंकित था, ने किले की दीवार पर चढ़कर अंदर देखने की कोशिश की। अचानक उसकी आँखें लाल हो गईं और वह अजीबोगरीब हरकतें करने लगा। उसके दोस्तों ने तुरंत उसे खींचकर नीचे उतारा। बाद में अंकित ने बताया कि जैसे ही उसने अंदर देखा, उसे लगा कि कोई उसकी तरफ घूर रहा है और उसे अपने शरीर पर किसी के होने का एहसास हुआ।

इतिहास की सच्चाई और वैज्ञानिक दृष्टिकोण: भानगढ़ की कहानी का एक और पहलू है, वैज्ञानिक और ऐतिहासिक। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने किले के प्रवेश पर एक बोर्ड लगाया है जिस पर साफ लिखा है, "सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले प्रवेश वर्जित है।" यह चेतावनी केवल कहानियों पर आधारित नहीं है, बल्कि सुरक्षा कारणों से है। ASI के अधिकारी भी मानते हैं कि रात में किले के अंदर कुछ ऐसी गतिविधियाँ होती हैं जो इंसान को डरा सकती हैं।

  • पुरातत्व विभाग की चेतावनी: ASI के अनुसार, रात में किले की बनावट और जंगली जानवरों की वजह से यह जगह असुरक्षित हो सकती है। लेकिन लोग मानते हैं कि यह नियम वहाँ की आत्माओं से बचने के लिए बनाया गया है।

  • इतिहासकारों की राय: कुछ इतिहासकार कहते हैं कि किले के वीरान होने का कारण तांत्रिक का श्राप नहीं, बल्कि अकाल या किसी महामारी का फैलना था।

  • मनोवैज्ञानिक कारण: कई लोग मानते हैं कि जब हम किसी डरावनी जगह पर जाते हैं, तो हमारा दिमाग खुद से ऐसी चीज़ों की कल्पना करने लगता है।


संत बालूनाथ और महाराजा की कहानी

भानगढ़ के महाराज माधोसिंह एक संत बालूनाथ के भक्त थे। बालूनाथ ने तपस्या करने के लिए महाराज से एक गुफा बनाने की मांग की। महाराज तुरंत तैयार हो गए और उन्होंने एक गुफा बनवा दी। बालूनाथ उस गुफा में तपस्या करने चले गए।

मगर, दरबार के पुजारी महाराज और संत बालूनाथ के बीच रिश्ते को देखकर जलने लगे। दोनों को अलग करने के लिए पुजारियों ने एक योजना बनाई। उन्होंने एक बिल्ली को मारकर गुफा के अंदर फेंक दिया।

दो-तीन दिन बाद जब बिल्ली के मृत शरीर से बदबू फैलने लगी, तो पुजारियों ने राजा को जानकारी दी कि संत बालूनाथ का गुफा में निधन हो गया है।


भानगढ़ का अद्भुत सौंदर्य:

अंधेरे और श्राप की कहानियों के बावजूद, दिन के समय भानगढ़ एक शानदार ऐतिहासिक स्थल है। किले के अंदर मौजूद मंदिर, महल, और बाज़ार की संरचनाएं इसकी भव्यता का प्रमाण देती हैं। ऊँचे पहाड़ और घने जंगल इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देते हैं। पर्यटक यहाँ दिन में आते हैं, इतिहास को महसूस करते हैं और सूर्यास्त से पहले यहाँ से चले जाते हैं, अपने साथ एक ऐसा अनुभव लेकर जो डर और रोमांच से भरा होता है।

अंत में, भानगढ़ का रहस्य अभी भी कायम है। यह एक ऐसी जगह है जहाँ इतिहास और डरावनी कहानियाँ एक साथ सांस लेती हैं। क्या यहाँ सच में आत्माएँ भटकती हैं, या यह सिर्फ हमारी कल्पना का कमाल है? इस सवाल का जवाब आज भी हर उस व्यक्ति के मन में है जो भानगढ़ के किले में कदम रखता है।

Edited By: Samridh Desk
Tags: भानगढ़ किला Bhangarh fort भानगढ़ का रहस्य Bhangarh mystery भूतों का किला haunted fort in India भानगढ़ कहानी Bhangarh story भानगढ़ का श्राप curse of Bhangarh राजस्थान के डरावने किले haunted forts of Rajasthan भानगढ़ का इतिहास Bhangarh fort history.ज़रूर यहाँ कुछ कीवर्ड्स दिए गए हैं जिन्हें लोग खोज सकते हैं और जो आपके लेख को Google पर बेहतर रैंक दिलाने में मदद करेंगे: मुख्य कीवर्ड्स (Popular Keywords): भानगढ़ किला Bhangarh ki kahani भानगढ़ किला क्यों भूतिया है why is Bhangarh fort haunted भानगढ़ किले का इतिहास Bhangarh fort history भानगढ़ किले की सच्चाई Bhangarh fort reality भानगढ़ में क्या हुआ था what happened at Bhangarh भानगढ़ किला कहाँ है where is Bhangarh fort. अलवर का भानगढ़ किला Bhangarh fort in Alwar राजस्थान में घूमने की जगहें places to visit in Rajasthan डरावनी जगहें राजस्थान scary places in Rajasthan भानगढ़ किले की यात्रा Bhangarh fort trip.
Sujit Sinha Picture

सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।

'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।

Latest News

धनबाद में धान अधिप्राप्ति का शुभारंभ, किसानों को ₹2450 प्रति क्विंटल MSP धनबाद में धान अधिप्राप्ति का शुभारंभ, किसानों को ₹2450 प्रति क्विंटल MSP
हजारीबाग में राजस्व कार्यशाला आयोजित, प्रमंडलीय आयुक्त पवन कुमार ने दिए अहम निर्देश
सांसद निशिकांत दुबे को बड़ी राहत, उच्च न्यायालय ने दर्ज प्राथमिकी की रद्द
जियोन झरना संथाल एसोसिएशन द्वारा आयोजित क्रिसमस मिलन समारोह में शामिल हुए सांसद और विधायक
कुलेश भंडारी के नेतृत्व में पाहाड़िया गांवों में मजबूत हो रहा वाइल्ड फूड फॉरेस्ट अभियान
जमुआ में धान अधिप्राप्ति केंद्र का उद्घाटन, किसानों से एमएसपी पर धान बेचने की अपील
बांके बिहारी मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, कमेटी, यूपी सरकार और एमवीडीए को नोटिस
Chaibasa News: ट्रैक्टर से कुचलकर युवक की मौत, गांव में आक्रोश
उड़ान आईएएस एकेडमी में हिंदी साहित्य भारती की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित
गिरिडीह से कोलकाता–पटना समेत प्रमुख शहरों के लिए सीधी रेल सेवा की मांग, चैंबर ऑफ कॉमर्स का प्रतिनिधिमंडल दिल्ली रवाना
Giridih News : पचम्बा में मामूली विवाद के बाद पंच की बैठक में भिड़े दो पक्ष, जमकर हुई ईंट-पत्थरबाजी
Giridih News :बादीडीह में अनियंत्रित हाइवा की टक्कर से वृद्ध की मौत, आक्रोशित ग्रामीणों ने शव रखकर किया सड़क जाम