Bhangarh fort story: भारत का सबसे डरावना किला, जहाँ रात ढलते ही थम जाती है ज़िन्दगी!
भानगढ़ का श्राप: वो दास्तान जहाँ इतिहास और रहस्य आपस में मिल जाते हैं
समृद्ध डेस्क: राजस्थान के अलवर जिले में बसा भानगढ़ का किला सिर्फ एक ऐतिहासिक इमारत नहीं, बल्कि एक चलती-फिरती कहानी है एक ऐसी कहानी जहाँ इतिहास, लोककथा और डरावनी किंवदंतियाँ आपस में इस तरह गुंथी हुई हैं कि उन्हें अलग करना नामुमकिन है। यह सिर्फ पत्थरों का ढेर नहीं, बल्कि सैकड़ों आत्माओं की अनसुनी चीखें और सदियों पुराना एक श्राप है, जिसकी गूंज आज भी यहाँ की हवाओं में महसूस की जा सकती है। जब सूरज की आखिरी किरणें इस किले की दीवारों से टकराकर लौटती हैं, तो मानो समय खुद थम जाता है और एक ऐसी दुनिया का दरवाज़ा खुलता है, जहाँ इंसानों का कोई वजूद नहीं। इस लेख में हम भानगढ़ के उसी रहस्य को गहराई से समझेंगे, 1500 शब्दों की एक विस्तृत यात्रा पर निकलेंगे, जहाँ हमने कहानियों, इतिहास और वास्तविक जीवन के किस्सों को एक साथ पिरोया है।
तांत्रिक का श्राप और राजकुमारी की दास्तान

कहानी की शुरुआत:
किले के एक कोने में, ऊँची पहाड़ी पर तांत्रिक सिंधु सेवड़ा की कुटिया थी। वह काले जादू में माहिर था और उसकी आँखें सिर्फ एक ही चेहरे को तलाशती थीं - राजकुमारी रत्नावती का। राजकुमारी अपनी खूबसूरती, बुद्धिमत्ता और नेक दिल के लिए मशहूर थीं, और तांत्रिक के लिए वह सिर्फ एक इंसान नहीं, बल्कि एक ऐसी हकीकत थीं जिसे वह किसी भी कीमत पर पाना चाहता था। एकतरफा प्यार की इस आग में वह इतना जलने लगा कि उसने प्यार को पाने की जगह, काला जादू का सहारा लेने की ठान ली।
वो खतरनाक इत्र:
एक दिन राजकुमारी अपनी सहेलियों के साथ बाजार में इत्र खरीद रही थीं। तांत्रिक ने देखा कि यह उसके लिए सही मौका है। उसने चुपके से एक इत्र की शीशी में काला जादू मिला दिया। उसका इरादा था कि जैसे ही राजकुमारी उस इत्र का इस्तेमाल करेंगी, वह तांत्रिक के वश में आ जाएंगी। लेकिन राजकुमारी को उसकी चाल का एहसास हो गया।
ताकतवर पत्थर और तांत्रिक का अंत:
राजकुमारी ने इत्र की शीशी को एक बड़े पत्थर पर फेंक दिया। तांत्रिक के जादू से वशीभूत होकर वह पत्थर तांत्रिक की ओर लुढ़क गया और उसे बुरी तरह कुचल दिया। मरने से पहले, उसने एक भयानक श्राप दिया: "यह किला और यहाँ रहने वाला कोई भी इंसान कभी खुश नहीं रहेगा। सब एक ही पल में खत्म हो जाएंगे, और उनकी आत्माएँ हमेशा यहीं भटकती रहेंगी।"
यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि एक दर्दनाक भविष्यवाणी थी। जल्द ही भानगढ़ में एक भयंकर युद्ध हुआ और तांत्रिक का श्राप सच हो गया। पूरा किला एक ही रात में तबाह हो गया और वहाँ रहने वाले लगभग 10,000 लोग मारे गए। यह किला अब सिर्फ पत्थरों का एक ढेर बन गया था, जहाँ केवल निराशा और उदासी ही रह गई थी।
असली जिंदगी के किस्से जो रोंगटे खड़े कर देते हैं।
भानगढ़ के बारे में सिर्फ कहानियाँ ही नहीं, बल्कि कुछ वास्तविक जीवन के किस्से भी हैं जो लोगों को यह मानने पर मजबूर कर देते हैं कि यहाँ कुछ तो है जो साधारण नहीं है।
गाइड की दास्तान: एक स्थानीय गाइड, जिसका नाम रमेश है, बताता है कि एक बार एक विदेशी पर्यटक ने रात में किले में रुकने की जिद की। रमेश ने उसे बहुत समझाया, लेकिन वह नहीं माना। वह पर्यटक अपनी कार में बैठा रहा, और रमेश पास की एक झोपड़ी में सो गया। सुबह जब रमेश किले की तरफ गया, तो उसे वह कार वहाँ नहीं मिली। बाद में पता चला कि वह पर्यटक अगली सुबह 50 किलोमीटर दूर किसी हाईवे पर बेहोश मिला था और उसने कहा कि रात में किले के अंदर से कुछ ऐसी डरावनी आवाजें आ रही थीं कि वह डर के मारे वहाँ से भाग गया।
दोस्तों का रोमांचक सफर: चार दोस्तों का एक समूह, जो भूतों की कहानियों पर विश्वास नहीं करता था, रात में किले के बाहर रुका। उनमें से एक दोस्त, जिसका नाम अंकित था, ने किले की दीवार पर चढ़कर अंदर देखने की कोशिश की। अचानक उसकी आँखें लाल हो गईं और वह अजीबोगरीब हरकतें करने लगा। उसके दोस्तों ने तुरंत उसे खींचकर नीचे उतारा। बाद में अंकित ने बताया कि जैसे ही उसने अंदर देखा, उसे लगा कि कोई उसकी तरफ घूर रहा है और उसे अपने शरीर पर किसी के होने का एहसास हुआ।
इतिहास की सच्चाई और वैज्ञानिक दृष्टिकोण: भानगढ़ की कहानी का एक और पहलू है, वैज्ञानिक और ऐतिहासिक। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने किले के प्रवेश पर एक बोर्ड लगाया है जिस पर साफ लिखा है, "सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले प्रवेश वर्जित है।" यह चेतावनी केवल कहानियों पर आधारित नहीं है, बल्कि सुरक्षा कारणों से है। ASI के अधिकारी भी मानते हैं कि रात में किले के अंदर कुछ ऐसी गतिविधियाँ होती हैं जो इंसान को डरा सकती हैं।
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पुरातत्व विभाग की चेतावनी: ASI के अनुसार, रात में किले की बनावट और जंगली जानवरों की वजह से यह जगह असुरक्षित हो सकती है। लेकिन लोग मानते हैं कि यह नियम वहाँ की आत्माओं से बचने के लिए बनाया गया है।
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इतिहासकारों की राय: कुछ इतिहासकार कहते हैं कि किले के वीरान होने का कारण तांत्रिक का श्राप नहीं, बल्कि अकाल या किसी महामारी का फैलना था।
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मनोवैज्ञानिक कारण: कई लोग मानते हैं कि जब हम किसी डरावनी जगह पर जाते हैं, तो हमारा दिमाग खुद से ऐसी चीज़ों की कल्पना करने लगता है।
संत बालूनाथ और महाराजा की कहानी
भानगढ़ के महाराज माधोसिंह एक संत बालूनाथ के भक्त थे। बालूनाथ ने तपस्या करने के लिए महाराज से एक गुफा बनाने की मांग की। महाराज तुरंत तैयार हो गए और उन्होंने एक गुफा बनवा दी। बालूनाथ उस गुफा में तपस्या करने चले गए।
मगर, दरबार के पुजारी महाराज और संत बालूनाथ के बीच रिश्ते को देखकर जलने लगे। दोनों को अलग करने के लिए पुजारियों ने एक योजना बनाई। उन्होंने एक बिल्ली को मारकर गुफा के अंदर फेंक दिया।
दो-तीन दिन बाद जब बिल्ली के मृत शरीर से बदबू फैलने लगी, तो पुजारियों ने राजा को जानकारी दी कि संत बालूनाथ का गुफा में निधन हो गया है।
भानगढ़ का अद्भुत सौंदर्य:
अंधेरे और श्राप की कहानियों के बावजूद, दिन के समय भानगढ़ एक शानदार ऐतिहासिक स्थल है। किले के अंदर मौजूद मंदिर, महल, और बाज़ार की संरचनाएं इसकी भव्यता का प्रमाण देती हैं। ऊँचे पहाड़ और घने जंगल इसकी सुंदरता को और भी बढ़ा देते हैं। पर्यटक यहाँ दिन में आते हैं, इतिहास को महसूस करते हैं और सूर्यास्त से पहले यहाँ से चले जाते हैं, अपने साथ एक ऐसा अनुभव लेकर जो डर और रोमांच से भरा होता है।
अंत में, भानगढ़ का रहस्य अभी भी कायम है। यह एक ऐसी जगह है जहाँ इतिहास और डरावनी कहानियाँ एक साथ सांस लेती हैं। क्या यहाँ सच में आत्माएँ भटकती हैं, या यह सिर्फ हमारी कल्पना का कमाल है? इस सवाल का जवाब आज भी हर उस व्यक्ति के मन में है जो भानगढ़ के किले में कदम रखता है।
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
