एयरपोर्ट पर लगाया नकली Wi-Fi, हजारों प्राइवेट फोटो चुराए… IT वर्कर गिरफ्तार
नेशनल डेस्क: ऑस्ट्रेलिया में एक आईटी प्रोफेशनल द्वारा बनाया गया फर्जी फ्री वाई‑फाई नेटवर्क महिलाओं के प्राइवेट फोटो‑वीडियो चोरी करने का बड़ा साइबर क्राइम केस बन गया, जिसमें आरोपी को सात साल चार महीने की जेल की सजा मिली है। यह मामला पब्लिक वाई‑फाई की असुरक्षा और डिजिटल प्राइवेसी खतरे को लेकर दुनिया भर के यूज़र्स के लिए चेतावनी की तरह सामने आया है।
आरोपी और पूरा मामला

फर्जी वाई‑फाई नेटवर्क कैसे बनाता था
आरोपी ‘वाई‑फाई पाइनऐपल’ नाम के एक छोटे‑से डिवाइस का इस्तेमाल करता था, जिसे साइबर सुरक्षा की भाषा में ‘ईविल ट्विन’ सेटअप की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। यह डिवाइस पर्थ, मेलबर्न और एडिलेड एयरपोर्ट के साथ कई घरेलू उड़ानों में इस तरह कॉन्फ़िगर किया गया था कि यह असली एयरलाइन या एयरपोर्ट वाई‑फाई के बिल्कुल उसी नाम से फर्जी नेटवर्क तैयार कर देता था, जिससे यात्रियों के फोन और लैपटॉप अपने‑आप इस नकली नेटवर्क से कनेक्ट हो जाते थे।
डेटा चोरी की ट्रिक
जब कोई यात्री इस फेक वाई‑फाई से जुड़ता, तो उसके सामने एक लॉग‑इन पेज जैसा वेबपेज खुलता, जिसमें ईमेल या सोशल मीडिया अकाउंट से साइन‑इन करने को कहा जाता था। जैसे ही यूज़र अपनी लॉग‑इन डिटेल्स या पासवर्ड भरता, यह सारी संवेदनशील जानकारी सीधे आरोपी के डिवाइस पर सेव हो जाती और वह इन्हीं क्रेडेंशियल्स से लोगों के अकाउंट में घुसकर आगे हैकिंग करता था।
महिलाओं के अकाउंट कैसे हैक हुए
चुराए गए यूज़रनेम और पासवर्ड की मदद से वह कई महिलाओं के फेसबुक, इंस्टाग्राम और अन्य ऑनलाइन अकाउंट में लॉग‑इन कर जाता था। वहां से उसने निजी बातचीत, प्राइवेट फोटो, और अंतरंग वीडियो को व्यवस्थित तरीके से डाउनलोड कर अपने पर्सनल स्टोरेज में सेव किया, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस को छापेमारी के दौरान हजारों संवेदनशील फाइलें बरामद हुईं।
पुलिस को शक कैसे हुआ
अप्रैल 2024 में एक घरेलू फ्लाइट के दौरान क्रू मेंबर्स को एक संदिग्ध वाई‑फाई नेटवर्क दिखा, जिसका नाम एयरलाइन के असली नेटवर्क से लगभग एक‑सा था और जो सामान्य प्रक्रिया से अलग दिखाई दे रहा था। क्रू ने यह जानकारी एयरलाइन प्रबंधन को दी, जिसके बाद ऑस्ट्रेलियन फेडरल पुलिस (AFP) को अलर्ट किया गया और निगरानी शुरू की गई।
गिरफ्तारी और सबूत
जांच के दौरान जब यह व्यक्ति पर्थ एयरपोर्ट पर उतरा तो उसका सामान चेक किया गया, जहां से वाई‑फाई पाइनऐपल डिवाइस, लैपटॉप और मोबाइल फोन बरामद हुए। इसके बाद पुलिस ने पर्थ के पाल्मायरा इलाके में उसके घर पर छापा मारा, जहां फोरेंसिक टीम को हजारों निजी तस्वीरें‑वीडियो, अलग‑अलग लोगों के लॉग‑इन पासवर्ड, और फर्जी वेबपेज से जुड़े रिकॉर्ड जैसे ठोस डिजिटल सबूत मिले।
सबूत मिटाने और जांच को चकमा देने की कोशिश
छापे के अगले ही दिन आरोपी ने अपने क्लाउड स्टोरेज से 1752 फाइलें डिलीट करने और फोन का डेटा साफ करने की कोशिश की, ताकि खुद को बचा सके। उसी महीने उसने अपने ऑफिस के लैपटॉप में भी अनधिकृत तरीके से घुसकर अपने नियोक्ता और पुलिस के बीच हो रही गोपनीय मीटिंग की जानकारी हासिल करने की कोशिश की, लेकिन डिजिटल ट्रेल के कारण यह प्रयास भी पुलिस की नज़र से नहीं बच सका।
अदालत का फैसला और सजा
AFP और अन्य एजेंसियों की विस्तृत साइबर फोरेंसिक जांच के बाद उस पर कई गंभीर धाराओं में केस चला, जिनमें अनधिकृत डेटा एक्सेस, अवैध निगरानी और अंतरंग सामग्री चोरी जैसे आरोप शामिल थे। ऑस्ट्रेलियाई अदालत ने इन अपराधों को बेहद गंभीर मानते हुए आरोपी को सात साल चार महीने की कैद की सज़ा सुनाई, जो पब्लिक वाई‑फाई का दुरुपयोग कर साइबर अपराध करने वालों के लिए कड़ा संदेश माना जा रहा है।
पब्लिक वाई‑फाई पर खतरा क्यों बढ़ रहा है?
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ बताते हैं कि एयरपोर्ट, कैफे, मॉल या मार्केट में मिलने वाला फ्री वाई‑फाई अक्सर एन्क्रिप्शन और ऑथेंटिकेशन के लिहाज़ से कमजोर होता है, जिसकी वजह से ‘ईविल ट्विन’ जैसे फर्जी नेटवर्क बनाना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है। ऐसे फर्जी नेटवर्क से न केवल पासवर्ड और बैंकिंग डिटेल्स चोरी हो सकती हैं, बल्कि यूज़र की पूरी ऑनलाइन गतिविधि मॉनिटर कर उसकी निजी जिंदगी से जुड़ी जानकारी भी निकाली जा सकती है।
सुरक्षित रहने के आसान तरीके
डिजिटल सुरक्षा एजेंसियां सलाह देती हैं कि पब्लिक जगहों पर इंटरनेट इस्तेमाल करते समय हमेशा भरोसेमंद VPN का इस्तेमाल करें और डिवाइस की फाइल शेयरिंग या हॉटस्पॉट जैसी सुविधाएं बंद रखें। पब्लिक वाई‑फाई पर इंटरनेट बैंकिंग, OTP‑आधारित लॉग‑इन या अन्य बेहद संवेदनशील काम करने से बचें, नेटवर्क छोड़ने के बाद ‘फॉरगेट नेटवर्क’ का विकल्प चुनें और भीड़‑भाड़ वाली जगहों पर फोन का वाई‑फाई ऑटो‑कनेक्ट फीचर ऑफ रखकर केवल जरूरत पड़ने पर ही मैनुअली नेटवर्क से जुड़ें।
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