कोयले के लिए 2030 के रोडमैप पर हो रहा है काम, डेढ गुणा बढ़ जाएगा उत्पादन
रांची : भारत सरकार कोयला उत्पादन में हालिया वृद्धि से उत्साहित है और इसलिए बिजली की बढती मांग के मद्देनजर वह वर्ष 2025 और 2030 के रोडमैप पर काम कर रही है। कोयला मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि उसने वर्ष 2025 के लिए 1.31 बिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जबकि 2030 तक 1.5 बिलियन टन पर पहुंचने का लक्ष्य है। यानी मौजूदा उत्पादन की तुलना में 2030 तक भारत का कोयला उत्पादन डेढ गुणा से भी अधिक हो जाएगा।
कोयला मंत्रालय नई खदानों को शुरू करने के लिए और वर्तमान में चालू कोयला खदानों से उत्पादन बढाने के लिए विभिन्न राज्य सरकारों व केंद्रीय एजेंसियों से सक्रिय रूप से चर्चा कर रहा है।
कोयला मंत्रालय ने यह भी कहा है कि इस तरह के प्रयास से कैप्टिव व वाणिज्यिक कोयला खदानों से उत्पादन में अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 तक वित्त वर्ष 2021-22 की उसी अवधि की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि उत्पादन में वृद्धि ने कोयले के आयात पर अंकुश लगाने में काफी हद तक मदद की है।
कोयला मंत्रालय के बयान के अनुसार, वर्ष 2019-20 में 730.87 मिलियन टन कोयला उत्पादन 2021-22 में बढकर 778.19 मिलियन टन हो गया था, जो 6.47 प्रतिशत की वृद्धि है। वर्ष 2022-23 में कोयले के उत्पादन ने बढत हासिल की है और अप्रैल 2022 से जनवरी 2023 के दौरान कोयला का उत्पादन 698.25 मिट्रिक टन रहा, जो 16 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है।
मंत्रालय ने भारत सरकार की कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड के उत्पादन वृद्धि का जिक्र करता हुए कहा है कि इस अवधि में उसने खुद के उत्पादन में 15.23 प्रतिशत की वृद्धि हासिल करते हुए उसे इस अवधि के पूर्व के स्तर 478.12 मिट्रिक टन से 550.93 मिट्रिक टन पहुंचाया है। ध्यान रहे कि विशेषज्ञों व अध्ययनों का भी यह कहना है कि नवीनीकृत ऊर्जा स्रोत पर भारत के जोर देने के बावजूद 2035 तक कोयला की मांग, उत्पादन व खपत बढेगी।