शिबू सोरेन को 'भारत रत्न' देने की मांग: कैलाश यादव ने बताया वे 'आदिवासी समाज के अजेय योद्धा'
गुरुजी के अधूरे सपने को पूरा करना राजनीतिक दलों का दायित्व
गुरुजी झारखंड के धरतीपुत्र माटी के लाल थे जल जंगल जमीन बचाने के लिए जीवंत काल तक संघर्ष त्याग और बलिदान देने वाले योद्धा के तौर पर आवाज उठते रहे. झारखंड के दबे कुचले गरीब वंचित आदिवासी समाज के हक अधिकार के लिए और साहूकारों के अत्याचार के खिलाफ जंगल के गांव से लेकर लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद तक पहुंचाने में कामयाब रहे.
रांची: प्रदेश राजद प्रवक्ता कैलाश यादव ने 20 वर्ष पूर्व तत्कालीन सीएम देशोम गुरु श्रद्धेय शिबू सोरेन के साथ अपना तस्वीर साझा कर भावुक पल को याद किया है. यादव ने कहा कि गुरुजी झारखंड के धरतीपुत्र माटी के लाल थे जल जंगल जमीन बचाने के लिए जीवंत काल तक संघर्ष त्याग और बलिदान देने वाले योद्धा के तौर पर आवाज उठते रहे. झारखंड के दबे कुचले गरीब वंचित आदिवासी समाज के हक अधिकार के लिए और साहूकारों के अत्याचार के खिलाफ जंगल के गांव से लेकर लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर संसद तक पहुंचाने में कामयाब रहे.

विदित हो कि राज्य निर्माण वर्ष 2000 से पूर्व जब केंद्र में श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में NDA सरकार थी उस समय BJP /VHP/RSS के नेताओं ने दिल्ली बैठक के दौरान राज्य को वनांचल नाम तय किया था लेकिन गुरुजी शिबू सोरेन ने UPA नेताओं संग वनांचल नाम का जमकर विरोध किया था तत्पश्चात फिर झारखंड नाम पर सहमति बनी थी.
आदिवासी समाज के विकास के लिए अलग राज्य का मांग करने वाले जयपाल सिंह मुंडा, कार्तिक उरांव रामदयाल मुंडा जैसे अनेक बड़े नेताओं ने भी झारखंड नाम से राज्य बनाने की मांग करते रहे थे. लेकिन गुरुजी ने जंगल एवं सुदूर क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समाज के रहन सहन खान पान के तौर तरीके को ध्यान में रखकर ही गुरुजी ने झारखंड नाम पर प्रस्ताव पास करवाने में सफल रहे तथा एक बड़े कद का राजनेता के रूप में जाने गए थे.
यादव ने कहा कि राजद से गुरुजी शिबू सोरेन का संबंध हमेशा मधुर और घनिष्ठ रहा. राजद अध्यक्ष लालू यादव के साथ गुरुजी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा को हमेशा बढ़ावा दिया. उन्होंने कार्यकर्ता जनता जनार्दन को कभी निराश नहीं किया लोगों के दुख पीड़ित अवस्था में हमेशा साथ रहे. यादव ने कहा कि गुरुजी से मिलने का मुझे बराबर अवसर मिलते रहा उनके जन्मदिन के मौके पर बधाई देने और आशीर्वाद लेने का सौभाग्य प्राप्त होते रहा.
ज्ञात हो कि आज से 20 वर्ष पूर्व वर्ष 2005 में जब गुरुजी राज्य में पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तो उनके साथ एक कार्यक्रम में साथ रहने का मौका मिला था जिसका तस्वीर हमने साझा किया है. आज गुरुजी को अंतिम यात्रा पर अंतिम जोहार करते हैं इस भावुक पल में राजनीतिक दलों को संकल्प लेने चाहिए कि गुरुजी के अधूरे सपने को सभी लोग मिलजुल कर पूरा करें.
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
