नैक के पूर्व चेयरमैन डॉ. भूषण पटवर्धन की पुस्तक 'जीनोम से ॐ तक' का एसबीयू में भव्य लोकार्पण
विज्ञान, अध्यात्म और भारतीय शिक्षा प्रणाली के समन्वय पर हुई गहन चर्चा
सरला बिरला विश्वविद्यालय (एसबीयू) में आयोजित सरला बिरला स्मृति व्याख्यान में नैक के पूर्व चेयरमैन एवं प्रख्यात शिक्षाविद् डॉ. भूषण पटवर्धन की पुस्तक 'जीनोम से ॐ तक' का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर डॉ. पटवर्धन ने एनईपी 2020 को ऐतिहासिक नीति बताया और शिक्षा में दर्शन, विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया
रांची: सरला बिरला विश्वविद्यालय में आज सरला बिरला स्मृति व्याख्यान के अंतर्गत प्रख्यात शिक्षाविद् एवं अनुसंधान वैज्ञानिक तथा नैक के पूर्व चेयरमैन डॉ. भूषण पटवर्धन मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे. इस अवसर पर उनकी लिखी किताब 'जीनोम से ॐ तक' का विमोचन एसबीयू सभागार में किया गया. अपने संबोधन में डॉ. पटवर्धन ने शिक्षा के क्षेत्र में उदार मूल्यों के प्रसार हेतु बिरला परिवार की समृद्ध विरासत का जिक्र किया. इस वर्ष एनईपी 2020 की पांचवीं वर्षगांठ मनाए जाने की बात करते हुए उन्होंने इसे ऐतिहासिक नीति करार दिया. मानवता और सामाजिक विज्ञान के बगैर विज्ञान के अस्तित्व को उन्होंने अधूरा बताया.

"विज्ञान के उद्देश्य – सत्य और सार्वभौमिक कल्याण पर बोलते हुए उन्होंने मस्तिष्क और मन के अस्तित्व पर भी विस्तृत चर्चा की. साथ ही अपनी पुस्तक "जीनोम से ॐ" के सभी नौ अध्यायों पर विस्तार से प्रकाश डाला.
कार्यक्रम के अवसर पर एसबीयू के कुलपति प्रो सी जगनाथन ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले पांच वर्षों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से कई सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं और भारतीय ज्ञान प्रणाली के समग्र दृष्टिकोण को बल मिला है.विवि में एनईपी के क्रियान्वयन, विभिन्न संगोष्ठियों, कार्यक्रमों, और कार्यशालाओं के आयोजन को उन्होंने प्रेजेंटेशन के माध्यम से दर्शाया.
एसबीयू के महानिदेशक प्रो गोपाल पाठक ने अपने संबोधन में शिक्षकों और गुरुओं के समग्र मूल्यों पर जोर दिया. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के मसौदे के अनुसार आज के दिन को महत्वपूर्ण बताया. डॉ. भूषण पटवर्धन की पुस्तक "जीनोम से ॐ" पर चर्चा करते हुए उन्होंने शिक्षा के स्वरूप, मूल्य-प्रणाली तथा आध्यात्मिकता और शिक्षा के समन्वय पर प्रकाश डाला. हमारी प्राचीन विश्वविद्यालय प्रणाली की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह महज वेतन पैकेज के लिए न होकर मूल्यों, आध्यात्मिकता और ज्ञान के लिए प्रसिद्ध थी.
सरला बिरला विश्वविद्यालय की कुलाधिपति के मुख्य सलाहकार डॉ. अजीत राणाडे ने कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा किसी भी देश की प्रगति और विकास का सबसे महत्वपूर्ण कारक है तथा यह राष्ट्र निर्माण के लिए भी अत्यंत आवश्यक है. सरला बिरला विश्वविद्यालय की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक युवा विश्वविद्यालय है और इसने कम समय के भीतर ही अपनी विशिष्ट पहचान बना ली है. स्वामी विवेकानंद के कथन "शिक्षा वह है जो आपके भीतर की दिव्यता को प्रकट करती है" को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा की शुरुआत जिज्ञासा से होती है और यह कभी रुकनी नहीं चाहिए. आज की शिक्षा प्रणाली में आध्यात्मिकता और विज्ञान की आवश्यकता पर उन्होंने जोर दिया.
कार्यक्रम के अंत में पुस्तक पर प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन किया गया. इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षककेत्तर कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे.
एसबीयू के प्रतिकुलाधिपति बिजय कुमार दलान एवं माननीय राज्यसभा सांसद डॉ प्रदीप कुमार वर्मा ने इस व्याख्यान के आयोजन पर हर्ष व्यक्त किया है.
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
