Ramgarh News: झारखंड में हो रही है सहायक अध्यापकों की उपेक्षा: धर्मेंद्र तिवारी
सरकार केवल मीडिया के जरिए प्रोपेगेंडा फैलाती है कि पारा शिक्षकों के लिए बहुत कुछ किया गया है, जबकि सच्चाई यह है कि अब तक केवल उनका शोषण हुआ है।
गोला/ रामगढ़: झारखंड प्रदेश के हजारों सहायक अध्यापक (पारा शिक्षकों) सरकार की उपेक्षा का दंश झेल रहे है।जिसका असर पारा शिक्षक या अध्यापकों के पारिवारिक जीवन को काफी प्रभावित कर रहा है।उक्त बातें जनता दल युनाइटेड के नेता धर्मेंद्र तिवारी ने प्रेस को लिखे पत्र में चिंता जताई है । उन्होंने कहा है कि सरकार सहायक अध्यापकों के हित में जल्द न्यायपूर्ण कार्यवाही करे।।

विडंबना यह है कि सरकार ने पारा शिक्षकों को न तो “अनुबंध कर्मी” माना है और न ही “सरकारी कर्मी”। इस दोहरे रवैये का जवाब सरकार को देना ही होगा। यदि ये शिक्षक सरकारी कार्य कर रहे हैं तो उन्हें सरकारी सुविधाओं से वंचित क्यों रखा गया है? इन शिक्षकों को न तो स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिल रहा है, न आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का, और न ही ग्रीन व पीला राशन कार्ड। सरकार केवल मीडिया के जरिए प्रोपेगेंडा फैलाती है कि पारा शिक्षकों के लिए बहुत कुछ किया गया है, जबकि सच्चाई यह है कि अब तक केवल उनका शोषण हुआ है।
वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि सहायक अध्यापकों को “समान काम का समान वेतन” मिलना चाहिए था, जो अब तक नहीं मिला। उन्होंने झारखंड सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इन्हें हमारे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीति से सीख लेनी चाहिए, जिन्होंने बिहार के पारा शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देकर उनका सम्मान सुनिश्चित किया है। झारखंड सरकार की संवेदनहीनता स्पष्ट रूप से पारा शिक्षकों के साथ अन्याय है।
जनता दल (यूनाइटेड) मांग करता है कि झारखंड सरकार पारा शिक्षकों को तुरंत किसी उपयुक्त स्वास्थ्य बीमा योजना में शामिल करे, उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा दे और वेतन, सुरक्षा व सम्मान की गारंटी सुनिश्चित करे। जनता दल (यू) इस न्यायपूर्ण लड़ाई में पारा शिक्षकों के साथ मजबूती से खड़ा है।
