टाटा ज़ूलॉजिकल पार्क में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2025, छात्रों ने लिया संरक्षण का संकल्प
शैक्षिक व्याख्यान, बाघ दर्शन, पौधारोपण और म्यूज़ियम विज़िट से समृद्ध हुआ छात्र अनुभव
जमशेदपुर के टाटा स्टील ज़ूलॉजिकल पार्क में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2025 पर जीवविज्ञान और वन्यजीव संरक्षण को समर्पित विविध गतिविधियों का आयोजन हुआ. ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर विमेन की लगभग 60 छात्राओं ने भाग लिया. डॉ. सीमा रानी द्वारा दिया गया व्याख्यान, बाघ बाड़े का दौरा, कीपर टॉक सत्र, पौधारोपण कार्यक्रम और “टच एंड लर्न” अनुभव ने छात्रों को बाघों और पारिस्थितिकी तंत्र के महत्व को समझने का अवसर दिया.
जमशेदपुर: टाटा स्टील ज़ूलॉजिकल पार्क में आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस उत्साहपूर्वक मनाया गया. इस अवसर पर ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर विमेन के जूलॉजी और बॉटनी संकाय के इंटरमीडिएट और स्नातक छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भागीदारी निभाई.

कार्यक्रम की शुरुआत एक शैक्षिक सत्र से हुई, जिसमें टाटा ज़ू की जीवविज्ञानी एवं शिक्षा अधिकारी डॉ. सीमा रानी ने "बाघ बचाओ, खुद को बचाओ" विषय पर प्रभावशाली व्याख्यान दिया, जिसका उद्देश्य बाघों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और समर्थन जुटाना था.
व्याख्यान के बाद छात्र-छात्राएं बाघ के बाड़े का दौरा करने पहुंचे, जहां टाटा ज़ू के क्यूरेटर डॉ. संजय कुमार महतो ने अपनी टीम — टी. राम, बिनोद शर्मा, विशाल, बिस्वजीत और दुबराज — के साथ मिलकर "कीपर टॉक" सत्र का आयोजन किया. इस दौरान बाघों के संरक्षण से जुड़े विभिन्न मानकों और एक्स-सीटू प्रबंधन उपायों पर विस्तार से चर्चा की गई. सत्र संवादात्मक रहा, जिसमें प्रतिभागियों ने क्यूरेटर से उत्सुकतापूर्वक सवाल पूछे और गहन चर्चा में भाग लिया.
इसके बाद पौधारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने न केवल पौधे लगाए, बल्कि वृक्षारोपण के महत्व, उसकी विधियों और हमारे जीवन में उसकी भूमिका के बारे में भी सीखा. उन्हें पौधों और पशुओं के पारस्परिक संबंधों की जानकारी दी गई, जिससे यह संदेश और मजबूत हुआ कि "जहां बाघ सुरक्षित हैं, वह जगह स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र का प्रतीक है."
अंत में "टच एंड लर्न" कार्यक्रम और म्यूज़ियम विज़िट का आयोजन किया गया. इस दौरान प्रतिभागियों को विशेष रूप से जंगलों में पाए जाने वाले बाघों सहित विभिन्न मांसाहारी वन्यजीवों के पगचिह्नों की पहचान और उनमें अंतर करने की विधियाँ सिखाई गईं. डॉ. सीमा रानी ने फील्ड बायोलॉजी में उपयोग होने वाले विभिन्न अनुसंधान और सर्वेक्षण विधियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी. म्यूज़ियम में कई दुर्लभ जीव-जंतुओं के नमूने प्रदर्शित किए गए, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस की यह प्रस्तुति न केवल शैक्षिक रही, बल्कि बेहद प्रभावशाली और यादगार भी बनी.
टाटा स्टील जूलॉजिकल पार्क (टी एस जेड पी) अपनी स्थापना से ही वन्यजीव और प्रकृति संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित रहा है.
सुजीत सिन्हा, 'समृद्ध झारखंड' की संपादकीय टीम के एक महत्वपूर्ण सदस्य हैं, जहाँ वे "सीनियर टेक्निकल एडिटर" और "न्यूज़ सब-एडिटर" के रूप में कार्यरत हैं। सुजीत झारखण्ड के गिरिडीह के रहने वालें हैं।
'समृद्ध झारखंड' के लिए वे मुख्य रूप से राजनीतिक और वैज्ञानिक हलचलों पर अपनी पैनी नजर रखते हैं और इन विषयों पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हैं।
