आदिवासी समुदाय की मांग विधानसभा में धार्मिक उपासना के लिए स्थल आवंटन हो तो मंझी थान-जाहेर थान के लिए भी मिले जगह
दुमका : झारखंड विधानसभा में नमाज पढ़ने के लिए कमरा आवंटन होने के स्थिति में विधानसभा परिसर में अदिवासियों का पूज्य स्थल मंझी थान और जाहेर थान भी हो। अनुसूचित क्षेत्र में सरकारी योजनाओं, भवनों का उद्घाटन-शिलान्यास आदि के समय आदिवासी पुजारी नायकी से भी पूजा-पाठ करवाया जाए। अनुसूचित क्षेत्र के थानों व पुलिस लाइन में आदिवासियों का पूज्य स्थल मंझी थान की भी स्थापना की जाए। यह मांग आदिवासी समुदाय ने झारखंड में जारी ताजा बहस कि विधानसभा में धार्मिक अनुष्ठान के लिए स्थान हो या नहीं के बीच की है।
झारखंड विधानसभा परिसर में नमाज कक्ष पर जारी बहस के बीच दुमका में आदिवासी समुदाय ने मंझी थान व जाहेर थान के लिए स्थल आवंटन की मांग की है।
भाषा : संताली।
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दुमका जिले के दुमका प्रखंड की भुरकुंडा पंचायत के अंतर्गत दुन्दिया गांव में दिसोम मरांग बुरु युग जाहेर आखड़ा और ग्रामीणों ने झारखंड विधानसभा में नमाज पढ़ने के लिय कमरा आवंटन के मुद्दे को लेकर बैठक की। नमाज पढ़ने के लिए कमरा आवंटन को लेकर आखड़ा और ग्रामीणों ने सरकार को धन्यवाद किया। आदिवासियों के हित को लेकर झारखंड राज्य अलग हुआ। अगर नमाज पढ़ने के लिय विधानसभा में कमरा आवंटन होता है तो आदिवासियों की सभ्यता, संस्कृति और धर्म को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए आखड़ा और ग्रामीणों ने दुमका के विधायक बसंत सोरेन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि अन्य धर्माें के साथ.साथ आदिवासियों के लिए भी विधानसभा परिसर में आदिवासियों का पूज्य स्थल मंझी थान और जाहेर थान का स्थापना की जाए, क्योंकि झारखंड राज्य आदिवासी राज्य के नाम से जाना जाता है। अगर अन्य धर्मांें के लिए विधानसभा परिसर में पूज्य-प्रार्थना स्थान मिलता है तो आदिवासी को भी विधानसभा परिसर में पूज्य स्थल मंझी थान और जाहेर थान अवश्य मिले, जो प्रकृति का द्योतक है।
आदिवासी समुदाय के लोगों ने मांग की है कि सरकारी उदघाटन-शिलान्यास के दौरान आदिवासी परंपरा से भी राज्य पूजा-पाठ कराया जाए।
भाषा : संताली।
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आखड़ा और ग्रामीणों ने यह मांग भी रखी कि अनुसूचित क्षेत्र में कोई भी सरकारी योजनाओं, भवनों का उद्घाटन, शिलान्यास आदि के समय आदिवासी पुजारी नायकी से भी पूजा.पाठ करवाया जाए। इसके साथ-साथ अनुसूचित क्षेत्र के थानों व पुलिस लाइन में आदिवासियों का पूज्य स्थल मंझी थान की भी स्थापना की जाए। तभी जाकर अबुवा दिसोम, अबुवा राज में आदिवासियों का सभ्यता, संस्कृति और धर्म को अक्षुण्ण रखा जा सकता है। इस मौके में बबलू मुर्मू, सुनिराम किस्कु, सिमल टुडू, बाबूराम मुर्मू, मार्शल मुर्मू, रमेश हांसदा, सुजीत मुर्मू, माने टुडू, सोनातन किस्क, एमेली बेसरा, सुंदरी हांसदा, बहामुनि हेम्ब्रम, समिता बेसरा, एलिजाबेद मरांडी, महफूल मरांडी, सुरेश टुडू, सोनोति किस्कु, सोकोदी सोरेन, होपोटी मराण्डी, मुखी बास्की, निर्मला हेम्ब्रम, प्रमिला सोरेन, सुनिराम बास्की आदि उपस्थित थे।